सत्यता एवं नम्रता की प्रतिमूर्ति थी दादी प्रकाशमणी जी

दादी जी द्वारा दी गई शिक्षाओं पर अमल करना ही वास्तव में दादी जी को सच्ची श्रद्धांजली अर्पित करना होगा। दादी जी के व्यक्तित्व में सत्यम् शिवम् सुन्दरम् की भावना समाहित थी। उक्त विचार भारत के पूर्व लोकसभा स्पीकर माननीय शिवराज पाटिल ने बहोड़ा कलां स्थित ब्रह्माकुमारीज़ के ओम् शान्ति रिट्रीट सेन्टर में दादी प्रकाशमणी जी के १२वें स्मृति दिवस पर आयोजित विश्व बंधुत्व कार्यक्रम में व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय आत्मा के सौन्दर्य को निखारने की अत्यन्त आवश्यकता है, जोकि आध्यात्मिकता से ही संभव है। 

पटौदी हरि मंदिर आश्रम के महामण्डलेश्वर स्वामी धर्मदेव महाराज ने अपने वक्तव्य में बताया कि दादी जी का जीवन हमारे लिए एक आदर्श प्रस्तुत करता है। उन्होंने कहा कि मैं जब भी उनसे मिला मैंने कुछ न कुछ नया सीखा। दादी जी परमात्मा द्वारा रचित एक ऐसा पुष्प थी, जिसकी खुशबू हम आज भी अपने आस-पास अनुभव कर रहे हैं।

वरिष्ठ पत्रकार डा. वेद प्रकाश वैदिक ने कहा कि दादी जी महिला सशक्तिकरण की एक अनुपम मिसाल रही। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय ब्रह्माकुमारीज़ संस्था एक मात्र संगठन है जिसका नेतृत्व महिलाएं कर रही हैं। उन्होंने कहा कि संस्था सारे विश्व में भारत का गौरव बढ़ाने का अद्भुत कार्य कर रही है।

यहूदी धर्म के धर्मगुरू मालेकर जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि १९८० से मैं ब्रह्माकुमारीज़ संस्था के साथ जुड़ा हुआ हूँ। उन्होंने कहा कि जब मैं पहली बार दादी जी से मिला तो किसी ने मेरा परिचय यहूदी धर्मगुरू के रूप में दिया लेकिन दादी जी ने कहा कि मैं किसी धर्म को नहीं जानती, मैं सिफ इतना जानती हूँ कि ये मेरा भाई है। उन्होंने कहा कि दादी जी की इस एक बात ने मेरे जीवन में एक जबरदस्त परिवर्तन ला दिया।

भारत सरकार के कार्मिक लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय के सयुंक्त सचिव शंशाक शेखर ने भी दादी जी को श्रद्धांजली देते हुए कहा कि दादी जी वास्तव में शान्ति एवं प्रेम की सच्ची मसीहा थी। उन्होंने कहा कि विश्व कल्याण में आध्यात्मिकता बहुत ज़रूरी है।

इस विशेष अवसर पर दादी जी के साथ के अपने अनुभव साझा करते हुए संस्था के अतिरिक्त सचिव बी.के.बृजमोहन जी ने बताया कि मुझे बचपन से ही दादी जी का सानिध्य प्राप्त हुआ। उन्होंने कहा कि दादी जी बड़ी ही सरल एवं सहज भाव से व्यवहार में आती थी। दादी जी की सदा ही समदृष्टि रही। दादी जी में अपनापन था। वो सदा ही सबको प्यार बांटती थी। उन्होंने कहा कि दादी जी ने कभी किसी को अलग नहीं समझा। सभी को एक ही परिवार का समझती थी।

ओ.आर.सी की निदेशिका आशा दीदी ने कार्यक्रम का संचालन करते हुए कहा कि दादी जी का जीवन हमारे लिए एक दर्पण की तरह है। उन्होंने कहा कि दादी जी सिर्फ कहती नहीं थी बल्कि पहले करके दिखाती थी।

कार्यक्रम में गीता दीदी, बी.के.मधु, बी.के.सपना एवं देश के सुप्रसिद्ध वकील साई कुमार ने भी दादी के साथ के अनुभव साझा किये। कार्यक्रम में २५०० से भी अधिक लोगों ने शिरकत की।