कोरोना हो या लाॅकडाउन बंदिश, माँ बाप का साया है सर पर सदा

आज प्रिय मित्र डोगरा जी के साथ उनके एक शिष्य के घर, तिमार पुर, दिल्ली, पर वृक्षा रोपण किया। उनके इस प्रिय शिष्य का नाम अपूर्व श्रीवास्तव है जो समर्पण नामक एक एन० जी० ओ० का संस्थापक अध्यक्ष भी है। अपूर्व की माँ का देहान्त अभी 3 जुलाई को हो गया था। उसकी माँ की स्मृति में ही यह वृक्षा रोपण का कार्यक्रम रखा गया। जिसका श्रेय डोगरा जी को जाता है जो सुदूर पश्चिम दिल्ली, उत्तम नगर से अशोक वृक्ष अपनी गाडी़ में रख कर लाए, मैंने भी कुछ पौधे अपने घर से साथ ले लिए जिसमें Aloe Vera, Lemon Grass, Snake Plant, और Giloy शामिल थे। यह सभी स्वस्थ संबंधी मैडिकल प्लांट्स है।

लाॅकडाउन के समय एक माँ को श्रधांजली के रुप में आयोजित यह वृक्षा रोपण एक अभूतपूर्व कदम कहा जा सकता है साथ ही एक सकारात्मक व प्रेरणात्मक पहल। मेरी नजर में माँ के प्रति इससे बड़ा सम्मान किया हो सकता है। अशोका वृक्ष भारतीय परम्परा में शुभ व दैविक वृक्ष माना गया है। जिसकी पत्तो की वन्दनवार आज के आधुनिक युग में भी घर के मुख्य द्वार पर लगाई जाती है।

अपूर्व ने 2019 में विधि संकाय, दिल्ली विश्वविद्यालय से कानून की डिग्री हासिल की है परन्तु उसका रुझान सामाजिक जन चेतना में है। उसका एक छोटा भाई अवि है और उससे छोटे जुड़वा भाई – बहन है निमेष और नव्या। इन चारो बच्चो को देख कर प्रतिपल यही आभास हुआ उन्होने अपनी माँ को आज प्रकृति के रूप में धारण कर लिया हो। जीवन को समझने और जीने का इससे बेहतर और क्या तरिका हो सकता है।

आज ही के दिन 1991 में डोगरा जी के पिताजी का स्वर्गवास हुआ था। लेकिन उनके द्वारा बताए सदमार्ग व अनुसाशित जीवन शैली को अपनाकर वह गौरवान्वित महसूस करते है। माता पिता के प्रति उनके उदगार आज सभी के लिए सन्मार्ग की ओर प्रेरित कर रहे हे। शरीर दिवंगत होता परन्तु आत्मा अमर है। कुछ लोग याद आते है चले जाने के बाद, कुछ चले जाने के बाद जीवंत हो जाते है। उन्हें ही माता पिता कहते है। आज मैने यह जाना हमें श्रद्धांजलि या पुण्यतिथि न कहकर स्मराणांजली अथवा प्रेरकतिथि के रूप में मनानी चाहिये। प्रिय बंधु सतीश कुमार सोलंकी व अपूर्व के पीता श्री अवधेश श्रीवास्तव के साथ श्रद्धा सुमन अर्पित करने के अविस्मरणीय पलो का साक्षी बनने का सौभाग्य मिला।

एक एहसास
मुकेश भटनागर