India chapter of the International Road Federation (IRF) a global road safety body working for better and safer roads worldwide is organizing a day long seminar on ‘Fast tracking …
Shriram Automall India Limited (SAMIL) is India’s Largest Physical and online Pre-owned Marketplace for Vehicles & Equipment will be introducing and demonstrating new strategies and tactics including digital retailing …
आज रविवार 8 जनवरी 2023 को राम जानकी संस्थान, आरजेएस द्वारा 114 वें अंतर्राष्ट्रीय वेबीनार का आयोजन उदय मन्ना के संयोजन में आयोजित किया गया । यह आयोजन प्रवासी …
आजादी का अमृत महोत्सव के अमृत काल में सकारात्मक भारत-उदय आंदोलन अपने रफ्तार में जारी है। आरजेएस राष्ट्रीय संयोजक उदय कुमार मन्ना ने बताया कि ब्रिटिश शासन काल में …
एक महान दलित विद्वान, समाज सुधारक और देश की पहली महिला शिक्षिका, समाज सेविका, कवि और शोषित वंचितों की आवाज उठाने वाली सावित्रीबाई फूले का जन्म 3 जनवरी,1831 को एक दलित परिवार में हुआ था ! उनके पिताजी का नाम खण्डोजी नेवसे पाटिल और माता जी का नाम लक्ष्मीबाई था और वह महाराष्ट्र के सातारा जिले के नायगांव नाम के एक छोटे से गाँव के रहने वाले थे सावित्रीबाई के तीन भाई थे और उनके पिताजी अपने गाँव के मुखिया थे ! सावित्रीबाई बचपन से ही बड़ी मेहनती और साहसी लड़की थी और जरुरत पड़ने पर अपनी सखियों सहेलियों की सहायता करना उसे अच्छा लगता था! उनके निर्भीक होने का तो लोगों को बचपन में तब एक बहुत बढ़िया मिसाल देखने को मिली जब वह अपने गांव के बाहर पेड़ों को छाया में अन्य लड़कियों के संग खेल रही थी कि अचानक एक साँप रेंगते हुए आया और साथ वाले पेड़ पर चढ़ने लग गया ! सांप देखकर बाकी बच्चे तो डरकर छोर मचाने और इधर उधर भागने लग गए, लेकिन सावित्री बाई ने बड़ी हिम्मत का परिचय देते हुए पेड़ से एक मोटी सी टहनी तोड़ी और उससे साँप को मारने लग गई, क्योंकि उसने देख लिया था कि पेड़ पर किसी पक्षी का घोंसला है और साँप पेड़ पर चढ़कर उसके अण्डे खाना चाहता था ! फिर बाकी बच्चे भी उसे बड़ी उत्सुकता से देखने लग गए कि आखिर वह साँप कोपक्षी के घोंसले तक पहुँचने से रोक पाती है या नहीं ! सावित्री बाई सांप को मारती रही और थोड़ी देर में सांप वहाँ से भागकर साथ वाले खेतों में जाकर ओझल हो गया तो सभी बच्चों ने तालियां बजाकर सावित्री बाई का अभिनन्दन किया ! सवित्रीबाई अभी नौ वर्ष की ही थी कि थोड़ी दूर एक दूसरे गांव की लड़की सगुणाबाई उसके लिए एक रिश्ता लाई और उसने इसके लिए उनके पिताजी खंडोजी नेवसे से बातचीत की ! तो ऐसे बातों – २ में पता चला कि सगुणाबाई जो रिश्ता लाई है वह उसके मौसा गोविन्द रॉव का लड़का ज्योतिबा रॉव फूले है और वह एक मिशनरी स्कूल में पाँचवी कक्षा में पढ़ता है ! उनके पिताजी ने अपनी तरफ़ से थोड़ा खोजबीन करके 13 वर्ष के ज्योतिबा रॉव से यह रिश्ता पक्का कर दिया ! उन दिनों बच्चों की शादियाँ बड़ी छोटी उम्र में ही कर दी जाती थी, लेकिन दो तीन वर्ष बाद जब लड़की थोड़ी स्याणी हो जाती थी, तब एकऔर रसम (गौणा) करके दुल्हन को अपने घर ले आते थे ! गोविन्द रॉव खेतीबाड़ी का काम करते थे और ज्योतिबा अपने पिता के इस काम में सहायता किया करते थे ! खेती के काम से जब भी थोड़ा फुर्सत मिलती ज्योतिबा अपनी पुस्तकें लेकर किसी पेड़ की छाँव में बैठकर पढ़ने लग जाते ! उनको अक्सर ऐसेपढ़ते देखकर सवित्रीबाई के दिल में भी पढ़ने की इच्छा जागृत होती ! एक दिन ऐसे उसको पास खड़े देखकर ज्योतिबा ने उनके साथ विस्तार से बात की और इस बात का विश्वास दिलाया की अगर उनकी पढ़ने की इच्छा है तो वह उसे अवश्य पढ़ाएंगे! उन दिनों लड़कियों का पढ़ना लिखना अच्छा नहीं माना जाता था, और लोगों, खासतौर पे अगड़ी जातियों के विरोध के बावजूद भी ज्योतिबा ने सावित्री को पढ़ाना जारी रखा ! ज्योतिबा अपनी उम्र से कहीं आगे की सोचने की काबिलयत रखते थे और वह अब तक अच्छी तरह समझ चुके थे और उनके समाज की आर्थिक स्थिति बड़ी कमजोर है और दलितों और वंचितों का अगड़ी जाति के लोगों द्वारा शोषण भी अक्सर होते रहते हैं और इस शोषण को समझ पाना और उससे बचने के लिए उनका पढ़ना लिखना अत्यंत आवश्यक है ! इसके लिए वह केवल सावित्री बाई को ही शिक्षित नहीं करते थे, बल्कि अपने समाज के अन्य लोगों को भी पढ़ने की प्रेरणा देते रहते थे ! उन दिनों मनुवादी समाज ने महिलाओं / लड़कियों पर अनेक प्रकार के प्रतिबन्ध लगा रखे थे, जिसकी वजह से वह पढ़ाई के बारे में सोच भी नहीं सकती थी ! लेकिन ज्योतिबा फूले अपनी क्रांतिकारी सोच से हमेशा ऐसी अनेक कुरीतियाँ को तोड़कर नए २ रास्ते अपनाने के लिए प्रेरित करते रहते थे ! उनके साहस और प्रेरणा से ही सावित्री बाई ने ना केवल पढ़ना आरम्भ किया बल्कि वह पति के हर कदम से कदम मिलाकर उनके नए २ क्रन्तिकारी आंदोलनों में भागलेती रही ! ऐसे करते २ उन्होंने अपनी स्कूल की पढ़ाई मुकम्मल की और अध्यापक बनने के लिए अनिवार्य शिक्षा (टीचर्स ट्रेनिंग) के लिए उन्होंने स्कॉटिश मिशनरी कॉलेज से ट्रेनिंग प्राप्त की ! उन्होंने पहली जनवरी 1848 में लड़कियों के लिए पहला महिला स्कूल पूणे में खोला ! क्योंकि उस वक़्त के धर्म के ठेकेदार महिला शिक्षा के घोर विरोधी तो थे ही, वह भला उनके स्कूल में पढ़ाने कहाँ आने वाले थे, अलबत्ता जयोतिबा फूले और उनकी पत्नी ने स्वंम यहाँ पढ़ाना शुरू कर दिया ! दूसरा स्कूल 3 जुलाई,1851 को और तीसरा स्कूल 17 नवम्बर 1851 और चौथा स्कूल 15 मार्च,1852 को खोला ! क्योंकि ब्राह्मण समाज के लोग तो उनका हमेशा विरोध ही करते रहे और लड़कियों को पढ़ाने के लिए कोई अगड़ी जाति की महिला तैयार नहीं हुई, इसलिए इस शुभ कार्य में ज्योतिबा फूले की मौसेरी बहन सगुणाबाई भी उनके साथ अध्यापन कार्य करने लग गई ! उनके प्रथम स्कूल में पहले वर्ष केवल 6 लड़कियाँ ही पढ़ने आई, जबकि फूले दम्पति लोगों को घर २ जाकर अपने बच्चों को पाठशाला में पढ़ने भेजने के लिए आमंत्रित करते थे ! उनके चौथे स्कूल खुलते २ पढ़ने वाले बच्चों की संख्या बढ़कर 150 तक पहुँच गई! जबसे फूले दम्पति ने अपना स्कूल खोला और लड़कियों को पढ़ाने का बीड़ा उठाया, रूढ़िवादी और पिछड़ी मानसिकता वाले मनुवादी लोग इनके और भी विरोधी बन गए ! दरअस्ल समाज के सामंतवादी मानसिकता वाले लोग यह बरदाश्त ही नहीं कर पा रहे थे कि कोई पिछड़ी के लोग …
लोकमंगल की कामना के साथ संचार,संवाद और शास्त्रार्थ बने सकारात्मक पत्रकारिता की बुनियाद और मीडियाकर्मी भारतीय संस्कार के साथ करें पत्रकारिता। मुख्य अतिथि प्रो.(डा.) संजय द्विवेदी , महानिदेशक आईआईएमसी, …
सकारात्मक भारत-उदय आंदोलन के अंतर्गत सकारात्मक कार्यों और प्रयासों को समर्थन रहता है। आरजेएस फैमिली से जुड़ी सकारात्मक व्यक्तित्व समाजसेवी प्रतिभा दीक्षित बच्चों को शिक्षा देने का नये साल …
Gurugram based 42 year old Vibha Sarin Prabhakar presently working in India’s leading market place pre-owned vehicle and equipment company has been announced as First runner up at recently …
साढ़े सात साल से चल रहे सकारात्मक भारत-उदय आंदोलन के अंतर्गत देश में 163 बैठकें, 160 फेसबुक लाईव, सैकड़ों स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि देने के बाद रविवार 1 जनवरी …
Shriram Automall India Limited(SAMIL) – India’s Largest physical and online Marketplace for Pre-owned Vehicles & Equipment, organised SAMIL Kisan Mahotsav, one of the biggest auction of the year, on the eve of Farmers’ Day on December 22 and 23, 2022. Over …
आजादी का अमृत महोत्सव के दौरान नई दिल्ली के प्रगति मैदान में आईटीपीओ द्वारा एफआईपी के सहयोग से 22 दिसंबर से 26 दिसंबर तक 26वां दिल्ली पुस्तक मेला और …
राम जानकी संस्थान,आरजेएस द्वारा आयोजित आजादी की अमृत गाथा के 106वें कार्यक्रम में शहीद रामप्रसाद बिस्मिल, अशफ़ाक उल्ला खां, ठाकुर रोशन सिंह और बाबू रामनारायण सिंह को याद किया …
वर्किंग जर्नलिस्ट्स ऑफ इंडिया (डब्ल्यू जे आई) की आम सभा का आयोजन शनिवार 17 दिसंबर 2022 को दिल्ली स्थित गांधी शांति प्रतिष्ठान में किया गया। इसमें राष्ट्रीय महासचिव नरेंद्र …
Shriram Automall India Limited (SAMIL), India’s Leading Marketplace for Pre-owned Vehicles and Equipment, launched the first-of-its-kind used vehicles and equipment price trends reports – ThePriceX Insights Report 2022. This report …
The Global Interfaith WASH Alliance (GIWA) and Parmarth Niketan, Rishikesh spent the auspicious occasion of Human Rights Day with faith leaders, scholars, academicians, and artists from across different sections …
राम जानकी संस्थान (आरजेएस) द्वारा आयोजित आजादी की अमृत गाथा की105वीं वर्चुअल बैठक विश्व मानवाधिकार दिवस 10 दिसंबर के उपलक्ष्य में हुई। आरजेएस के राष्ट्रीय संयोजक उदय कुमार मन्ना …
(आरजेएस पाॅजिटिव मीडिया रिपोर्ट)आईटीपीओ द्वारा एफआईपी के सहयोग से प्रगति मैदान के हॉल नंबर 3-4 में 22-26 दिसंबर, 2022 तक 26वें दिल्ली पुस्तक मेले का आयोजन किया जाएगा। 90 …
Shriram Automall Limited (SAMIL) India’s Largest physical and online Marketplace has introduced for Pre-owned Vehicles & Equipment has provided over 4000 scholarships and changed the lives of underprivileged students across …
The year 2023 declared as International Year of Millets (IYoM) by the United Nations’ General Assembly (UNGA) will provide a huge opportunity to the domestic farmers and exporters to …
“यदा यदा हि धर्मस्य”- गीता जयंती के सार के साथ आजादी का अमृत महोत्सव में जनभागीदारी करते हुए राम जानकी संस्थान(आरजेएस) द्वारा आजादी की अमृत गाथा के 104 वें …