कुछ बूंदे क्या पडी़
शहर में सरगर्मी, हलचल सी बढ़ गई
चुल्हे पे कढा़ई चढ़ गई
और आनन फानन पकोडी़या भी तल गईबगीचों में बहारें आ गई
आशिकों की आँखे लड़ गई
मोटर साईकल पर सवार
एक तेज़ रफ्तार जोडा़
ठेंगा दिखा गया
गड्ठो में पानी भर गया
सड़को को समतल बता गया
हुए बच्चे, बूढे़ लाचार
बडी़ मुश्किल में फंसे सब यार
मिडीया भी हो गई सजग
पूछने को सवाल हजार
क्यो हुआ कैसे हुआ कौन है जिम्मेवार
प्रशासन भी था सतर्क
काम करने दो यार, पूछना अगली बार
गड्ठे भरने है बहुत, बजट मिला है अब
बूंदे क्या पडी़
राहत के बजाये आफत आन पडी़
गिरती इमारतों से आती
चीखें पुकार, शहर की कैफियत दिखा गई
देखा था न वो मंज़र केदारनाथ में
केदारनाथ पर पिक्चर ही बना डाली
प्रेमी प्रेमिका को ही सेलाब में बहा डाला
चलो अच्छा हुआ
घनघोर तुफानी बरसात मेे
किसी का अन्त
कुछ नया हो गया
एक नया शहर बस गया
बूंदो से कुछ सीखो भाई
एक जुट हो जाओ
मक्कारी, कामचोरी, घूसखोरी
पर बहा दो सेलाब तुफानी
मुकेश भटनागर