दिल्ली से पटना आई सकारात्मक भारत उदय यात्रा के दौरान आजादी की अमृत गाथा का 78 वां संस्करण आरजेएस के प्रेरणा स्रोत श्री राम जग सिंह और श्रीमती जनक दुलारी देवी की शादी की पैंसठवीं सालगिरह अशोक पुरी कालोनी, पटना में पुस्तक वितरण के साथ प्रारंभ हुई। आरजेएस राष्ट्रीय संयोजक उदय मन्ना के नेतृत्व में ये बैठक 10 जुलाई 2022 को फीजिकल और वर्चुअल आयोजित हुई। इसमें मुख्य अतिथि वंदना श्रीवास्तव, अध्यक्ष परिचय दास, विशिष्ट अतिथि अरूण कात्यायन और सेवा निवृत्त इंजीनियर डी.सिंह ने संबोधन दिया। सेवानिवृत्त एसडीओ रामजग सिंह ने इस अवसर पर कहा कि जहां सकारात्मकता होगी सफलता कदम चूमेगी ।
पॉजिटिविटी इज ए काइंड ऑफ एनर्जी और यह बहुत ही आसान है- “करत अभ्यास के जङमति होत सुजान। रसरी आवत जात, सिल पर करत निशान”. उन्होंने कार्यक्रम का शुभारंभ कवि सत्य नारायण के बिहार गीत से प्रारंभ करने के लिए आरजेएस को बधाईयां दी। राष्ट्रीय संयोजक उदय मन्ना ने बताया कि एमएसएमई -डीएफओ, पटना और आरजेएस पाॅजिटिव मीडिया दिल्ली, के संयुक्त प्रयासों से “एमएसएमई में बिहार के योगदान” पर 11 जुलाई को गहन चर्चा होगी वहीं 12 जुलाई को पटना विश्वविद्यालय स्थित सीनेट हाॅल पटना में सीपीआर का विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा।
मुख्य वक्ता बिहार के डीएवी पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज सिवान में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ अभय कुमार ने कहा कि भारतीय इतिहास के निर्माण में बिहार की महती भूमिका रही है। उन्होंने भारतीय ज्ञान-विज्ञान और दर्शन में बौद्ध,जैन,सिख इत्यादि परंपराओं के विकास में बिहार के योगदान पर प्रकाश डाला।
कार्यक्रम की मुख्य अतिथि भोजपुरी, लोक एवं समकालीन चित्रकार श्रीमती वंदना श्रीवास्तव ने बिहार की कलाओं पर अपना विवेचन प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि कला का संवर्धन, संरक्षण व पल्लवन आवश्यक है। मनुष्य जाति को कला की सम्वेदनशीलता के साथ साथ जीविकापरकता की ओर भी अग्रसर होना चाहिए। जो कलाप्रेमी , समाजप्रेमी और प्रकृतिप्रेमी रहा है , वही अनंत काल के बाद भी जीवित है। बिहार की धरती से देखें तो सीता, आम्रपाली, महावीर, गौतम बुद्ध , गुरु गोविंद सिंह जी में ये तत्त्व मिलते हैं। हम कला के पक्ष में यह कर सकते हैं कि जिस भी राज्य में कार्यक्रम हो, वहाँ की स्थानीय कला को सम्मानजनक महत्त्व मिले।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए नव नालन्दा महाविहार सम विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के अध्यक्ष तथा
“गौरवशाली भारत” पत्रिका के प्रधान संपादक परिचय दास ने कहा कि बिहार ने गणतंत्र की तमीज़ पूरी दुनिया को दी। बिहार ने कला, साहित्य, संगीत को नई समझ दी। बिहार ने दुनिया को पहला व्यवस्थित तथा जन सामान्य के लिए पहला विश्व विद्यालय- नालंदा महाविहार दिया। यहीं हिन्दी कविता का आरम्भ सरहपा की कविता से हुआ। सरहपा के साहित्य को मूल्यांकित करने की महती आवश्यकता है। विद्यापति, भिखारी ठाकुर, महेंद्र मिश्र आदि ने लोक की नई ज़मीन खोजी। हिन्दी में आंचलिक उपन्यास का आरम्भ रेणु जी द्वारा बिहार में हुआ। रेखाचित्र का जो स्तर बेनीपुरी जी में है, अन्यत्र दुर्लभ है। वीर कुँवर सिंह, जेपी जी, राजेन्द्र प्रसाद ने मनुष्य की स्वाधीनता की नई परिभाषा दी।
सेवानिवृत्त इंजीनियर और दरिया साहब के अनुयाई डी सिंह ने बिहार के भोजपुर जिला में जन्मे संत दरिया साहब के जीवन पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि दरिया पंथी सतनाम के उपासक और शाकाहारी तथा अहिंसक होते हैं । उन्होंने कहा कि दरिया साहब ने दरिया सागर और बीजक आदि बीस ग्रंथ लिखे।
बौद्ध धर्म के अनुयायी अरुण कात्यायन ने कहा बौद्ध विहार के नाम से बौद्धों का निवास स्थान था ,वही विहार से बिहार राज्य के लिए शब्द रचना हुई। उन्होंने भिक्षुणी के बौद्ध धर्म में प्रवेश, बोधि वृक्ष यानी पीपल वृक्ष , और बुद्ध के प्रमुख संदेशों का वर्णन किया ।उन्होंने कहा कि भगवान बुद्ध का संदेश आज भी प्रासंगिक है जो कहते हैं दु:ख का मूल कारण संग्रह है।