आरजेएस पीबीएच की टीम राष्ट्रीय संयोजक उदय कुमार मन्ना की अगुवाई में शनिवार 28 अक्टूबर को दिल्ली की सबसे बड़ी अरावली जैवविविधता उद्यान पहुंची जिसमें पैनलिस्ट दुर्गा दास आजाद भी मौजूद रहे। यहां बायोडायवर्सिटी पार्क के प्रभारी पारिस्थितिकी विज्ञान शास्त्री एवं वैज्ञानिक डा. एम हुसैन शाह को अमृत काल का सकारात्मक भारत भाग 1 पुस्तक भेंट की गई। शिक्षा अधिकारी बलविंदर कौर और वरिष्ठ पक्षी विज्ञानी डा आयशा के साथ पाॅजिटिव मीडिया डायलॉग का आयोजन हुआ। यहां नर्सरी के संचालक डा.दुष्यंत राठौर से भी संवाद हुआ।
पाॅजिटिव मीडिया डायलॉग में डॉक्टर एम शाह हुसैन ने कहा की धरती को बचाने का एकमात्र विकल्प है प्राकृतिक आधारित समाधान। लोगों में सकारात्मक सोच आएगी और जागरूक होंगे तभी समस्या का समाधान होगा। आपदाओं में कमी आएगी बीमारियों का प्रकोप कम होगा धरती वास्तविक रूप में आएगी और इंसान प्रकृति की गोद में रहेगा। दिल्ली स्थित अरावली जैव विविधता उद्यान प्राकृतिक आधारित समाधान का एक छोटा सा हिस्सा है, यह एक मॉडल है। इस मॉडल को पूरी अरावली पर्वत श्रृंखला के पास बसे सभी शहरों के नजदीक अपनाना होगा। जो भी मूल प्रजातियां यहां विस्थापित हुई हैं, उन्हें उनके मूल स्थान में स्थापित किया जाना आवश्यक है। हरियाणा सरकार का उदाहरण देते हुए कहा कि हर पेड़ के लिए इंटेंसिव देने की शुरुआत अन्य सरकारों को भी करनी चाहिए । प्रकृति के लिए कोई छुट्टियां नहीं हैं। उन्होंने कहा कि मेरा बच्चा 20 साल का है और मैंने इन पेड़ पौधों को भी बच्चों की तरह पाला पोसा है।
पार्कों में प्राकृतिक आधारित समाधान की गोष्ठियां करने की जरूरत है। यहां सालभर का हिसाब लगाने पर दो सौ से ज्यादा प्रवासी सहित पक्षियों की प्रजातियां और लगभग एक हजार वनस्पति समाज की प्रजातियां मौजूद हैं। यहां नीलगाय, सियार , सांप आदि तो हैं ही ,परिजात, सीता अशोक और सिंदुरी,कदम्ब जैसे पेड़ भी मौजूद हैं।पार्क के बीचोंबीच वसंत विहार से वसंत कुंज तक ढाई किलोमीटर का ट्रेल भी बना है जहां लोग वाक करते हैं।
पाॅजिटिव मीडिया डायलॉग में यहां की शिक्षा अधिकारी बलविंदर कौर ने कहा कि यहां विद्यार्थियों को जैव विविधता की व्यवहारिक चीज साक्षात देखने को मिलती हैं और वह उन्हें आत्मसात कर लेते हैं जबकि पुस्तक पढ़कर सिर्फ कल्पना कर सकते हैं। पारिस्थितिकी तंत्र का यहां पूरा अध्ययन हो जाता है और कई ऐसी वनस्पति प्रजातियां हैं जो यहां हर कोई आसानी से देख सकता है यहां प्राकृतिक संतुलन का नमूना उपस्थित हुआ है।
यहां की वरिष्ठ पक्षी विज्ञानी डा. आयशा ने कहा की यहां 10 प्रजाति की पक्षियों से अब कई प्रजातियां बढ़ गई हैं । इसके लिए उनके पर्यावास की व्यवस्था दी गई ।प्रवासी पक्षी भी यहां आते हैं। पानी के तालाब ,ग्रासलैंड आदि विकसित किए गए और उनके नंबर बढ़ रहे हैं।
आरजेएस पीबीएच टीम द्बारा यहां आए शीन नाडर विश्वविद्यालय, ग्रेटर नोएडा के विद्यार्थियों और अमेरिका से आए हेनरी से सकारात्मक संवाद किया गया। कुल मिलाकर एक वाक्य में कहा जाए तो अरावली जैवविविधता उद्यान, जीव जंतु व वनस्पति समाज का एक मॉडल है ।