पर्यावरण व जैवमंडल के संरक्षण के लिए बायोस्फीयर रिजर्व दिवस मनाया गया

प्रकृति,पर्यावरण जैव-विविधता और जल-जंगल-जमीन और पहाड़ के संरक्षण के लिए यूनेस्को द्वारा घोषित तीन नवंबर 2024 को अंतर्राष्ट्रीय बायोस्फीयर रिजर्व दिवस मनाया गया।

कार्यक्रम में पर्यावरणविदों ने बताया कि बायोस्फियर रिज़र्व सतत विकास के प्रेरक स्थान होते हैं । इसके अंतर्गत स्थलीय ,समुद्रीय और तटीय पारिस्थितिकी तंत्र और जैव विविधता के संरक्षण को भी शामिल किया जाता है ।राम-जानकी संस्थान पाॅजिटिव ब्राॅडकास्टिंग हाउस (आरजेएस पीबीएच) के संस्थापक व राष्ट्रीय संयोजक उदय कुमार मन्ना के संयोजन और संचालन में दैनिक साईं मीडिया के सहयोग से अंतर्राष्ट्रीय बायोस्फीयर रिजर्व दिवस तीन नवंबर 2024 को मनाया गया। सह-आयोजक साईं मीडिया के संस्थापक व संपादक पीतम सिंह ने मुख्य अतिथि आहर पाइन बचाओ अभियान के संयोजक मुनीश्वर प्रसाद सिन्हा और अतिथि वक्ता दिल्ली विश्वविद्यालय के फिल्ड बायोलॉजिस्ट दिबानिक मुखर्जी और हरमीक सिंह का स्वागत करते हुए कहा कि इस दिवस की स्थापना बायोस्फीयर रिजर्व की भूमिका को बढ़ावा देने,सतत विकास और इन क्षेत्रों में और इसके आसपास रहने वाले समुदायों की भलाई के लिए की गई थी।

पर्यावरण संरक्षण के लिए 12 सितंबर 1730 में खेजड़ली गांव की माता अमृता देवी विश्नोई को पर्यावरणविद् आरके विश्नोई ने आरजेएस पीबीएच परिवार की ओर से श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कहा कि विश्नोई समाज पशुओं, जीव-जंतुओं और पेड़ों की रक्षा करने के लिए जाम्भोजी महाराज के नियमों का पालन करते हैं।

श्री मुनीश्वर प्रसाद सिन्हा ने कहा कि गोवर्धन, पूजा, दावात पूजा, सरस्वती पूजा और महापर्व छठ पूजा आदि सभी प्रकृति पूजा और संरक्षण से जुड़े पर्व- त्यौहार हैं। बीते जमाने का ढोलहा पीटना जल चौपाल की याद दिलाता है, जिसमें चर्चा होती थी कि जलस्रोतों को कैसे बचाना है। उन्होंने आहर पाइन बचाओ अभियान और श्रमदान प्रथा से युवाओं को जोड़कर पर्यावरण संरक्षण का प्रयोग और प्रयास किया।

श्री दिबानिक मुखर्जी ने कहा कि बायोस्फीयर रिजर्व,जैव विविधता हॉटस्पॉट की रक्षा करने और संधारणीय संसाधन उपयोग को बढ़ावा देने के लिए नामित क्षेत्र हैं। 

विभिन्न पारिस्थितिकी प्रणालियों का अनुभव करने और आर्द्रभूमि, रेंजलैंड और विविध प्रजातियों को आकर्षित करने के माध्यम से जैव विविधता के प्रबंधन के बारे में जानने के लिए बायोस्फीयर रिजर्व का दौरा करने का प्रस्ताव दिया है, जो अनिवार्य रूप से यमुना नदी के किनारे एक मिनी बायोस्फीयर रिजर्व बना रहा है।

श्री हरमीक सिंह जैव विविधता की अवधारणा को समझाते हैं, जिसमें मनुष्यों के बीच आनुवंशिक विविधता और पौधों और जानवरों में परिवर्तनशीलता शामिल है। वह पूरी आबादी पर बीमारियों या संक्रमण के प्रभाव को रोकने के लिए जैव विविधता को बनाए रखने के महत्व पर प्रकाश डालते हैं। उदय मन्ना ने जैव विविधता पार्कों पर चर्चा को केंद्रित करने और आरजेएस जैसे सकारात्मक मीडिया को शामिल करने का सुझाव दिया।

बैठक में बायोस्फीयर रिजर्व की अवधारणा, स्वदेशी ज्ञान और संस्कृति को संरक्षित करने के महत्व, तथा कार्बन उत्सर्जन को कम करने और वनों की रक्षा के लिए जन जागरूकता और व्यक्तिगत प्रयासों की आवश्यकता पर ध्यान केंद्रित किया गया। चर्चा में जैव विविधता को बनाए रखने, संरक्षण प्रयासों और क्षेत्र में सतत विकास के महत्व को भी शामिल किया गया, साथ ही पर्यावरण जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए एक राष्ट्रव्यापी नेटवर्क बनाने की योजना भी शामिल की गई।