आरजेएस पीबीएच द्वारा दीदेवार जीवन ज्योति के सहयोग से “जीवन उद्देश्य-स्वयं का स्वामी” पर संगोष्ठी

 आज का सेमिनार आरजेएस पीबीएच द्वारा दीदेवार जीवन ज्योति के सहयोग से आयोजित किया गया ।  इसमें दीदेवार जीवन ज्योति के संस्थापक सुरजीत सिंह दीदेवर जी को जीवन का उद्देश्य-स्वयं का स्वामी पर अपने विचार साझा करने के लिए आमंत्रित किया गया। कार्यक्रम के आरंभ में उदय कुमार मन्ना ने प्रतिभागियों का स्वागत किया और आरजेएस पीबीएच के दैनिक और साप्ताहिक संवादों और वेबिनार तथा वीडियो के माध्यम से जमीनी हकीकत में सकारात्मकता के दर्शन को रेखांकित किया।

 इस अवसर पर आरजेएस पीबीएच में तीन नए शामिल पैनलिस्टों अली साजिद हुसैन, दुर्गा दास आजाद और प्रफुल्ल पाण्डेय को आध्यात्मिक गुरु सुरजीत सिंह दीदेवार और आरजेएच पीबीएच प्रवक्ता अशोक कुमार मलिक द्वारा सम्मानित किया गया।

  इस अवसर पर बोलते हुए, श्री मलिक ने बताया कि समाज की समग्र प्रगति के लिए आरजेएच पीबीएच के प्रयास क्यों आवश्यक हैं ?

 दीदेवार जीवन ज्योति के 12 वें वार्षिक संगोष्ठी में अपने घंटे भर के भाषण में श्री सुरजीत सिंह दीदेवार ने अपने जीवन की जिम्मेदारी लेने वाले व्यक्ति की प्रधानता पर जोर दिया।  उन्होंने स्पष्ट किया कि मनुष्य जीवन की सर्वोच्च अभिव्यक्ति है और यह अत्यंत महत्वपूर्ण है कि व्यक्ति अपने भीतर की दिव्यता को पहचाने।  उन्होंने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को अपने भाग्य का पूरा प्रभार स्वयं ही लेना चाहिए।  उन्हें जीव‌न का स्वयं चालक बनना चाहिए। उन्होंने आगे सलाह दी कि व्यक्ति को वर्तमान क्षण में रहना चाहिए और अलग तरीके से सीखना चाहिए ।लेकिन अपने अंतर्निहित ज्ञान पर भरोसा करते हुए सीखना चाहिए।

उन्होंने सितंबर के महीने में एक रविवार को अगले कार्यक्रम की मेजबानी करने की घोषणा की।

 समाज के विभिन्न क्षेत्रों के 50 से अधिक व्यक्तियों वाले दर्शकों ने उनकी आध्यात्मिक अंतर्दृष्टि की सराहना की। कार्यक्रम का समापन पर आरजेएस ऑब्जर्वर दीपचंद माथुर ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

 यह कार्यक्रम  श्री दीदेवार के जन्मदिन के साथ मेल खाता था और 70 वें जन्मदिन का जश्न आरजेएशिएन्स के साथ मनाया गया, जहां सभी प्रतिभागियों ने श्री दीदेवार को शुभकामनाएं दीं। आगामी रविवार 27 अगस्त को आरजेएस पीबीएच कार्यक्रम में रक्षाबंधन मनाया जाएगा।

 इस कार्यक्रम का आरजेएस के यूट्यूब पर लाइव प्रसारण भी किया गया। आरजेएस पीबीएच की पुस्तक सुरजीत सिंह दीदेवार, पार्थ सारथि थपलियाल और एस एस डोगरा को प्रदान की गई।