राष्ट्रीय प्रसारण दिवस के उपलक्ष्य में “बदलते युग में प्रसारण की भूमिका ” विषय पर आरजेएस पीबीएच व आरजेएस पाॅजिटिव मीडिया के संयुक्त तत्वावधान में 396 वां कार्यक्रम कबीर दिनोदय, देवास ,मध्य प्रदेश के संपादक दयाराम मालवीय की नानी स्व० श्रीमती जमनाबाई मालवीय की स्मृति में आयोजित किया गया।
आरजेएस पीबीएच के संस्थापक व राष्ट्रीय संयोजक उदय कुमार मन्ना ने “बहुजन हिताय बहुजन सुखाय” आकाशवाणी के ध्येय वाक्य से कार्यक्रम की शुरुआत की। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय प्रसारण दिवस, जो हर साल 23 जुलाई को मनाया जाता है, भारत में संगठित रेडियो प्रसारण की शुरुआत की स्मृति में मनाया जाता है। आगामी आजादी पर्व पर 15 दिवसीय सकारात्मक चिंतन करेगा आरजेएस पीबीएच परिवार ।
कार्यक्रम के सह-आयोजक दयाराम मालवीय ने आकाशवाणी द्वारा ग्रामीण इलाकों में समाचार और किसानों के कार्यक्रमों से जागरूक बनाने के प्रयासों की सराहना की। अपनी नानी स्व० श्रीमती जमनाबाई को याद करते हुए भावुक हुए और कहा कि उनके दिए संस्कार ने उन्हें सार्थक जीवन जीने की दिशा दी। आरजेएस के सकारात्मक मंच से जोड़ने के लिए उन्होंने कबीर गायक दयाराम सारोलिया का आभार व्यक्त किया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डा.हरि सिंह पाल, वरिष्ठ प्रसारण कर्मी ने कहा कि आकाशवाणी 23 भाषाएँ, 182 बोलियाँ से भारत की विविधता को एकता के सूत्र में पिरोती है और आकाशवाणी की पहुंच दुर्गम इलाकों तक है। इससे शिक्षा, जागरूकता के साथ जनता का मनोरंजन भी होता है।
मुख्य वक्ता प्रसार भारती के सलाहकार डा. आर के त्यागी ने कहा कि रेडियो सेट की जगह बदलते युग में रेडियो प्रसारण अब मोबाइल में ऐप के माध्यम से लोगों के हाथों मौजूद है और राज्यों के सभी स्टेशनों के प्रसारण उनकी ही भाषा में दुनिया के कोने-कोने में सुने जा सकते हैं। कार्यक्रम में रेडियो संग्रहकर्ता और श्रोता संघ के लोगों ने भी अपने विचार साझा किए।
कार्यक्रम में सूरीनाम सहित केरल, दिल्ली नागपुर ओडिशा, बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान और हरियाणा से जुड़े लोगों ने भी अपने विचार व्यक्त किए।आरजेएस पीबीएच के 397वें कार्यक्रम की सह-आयोजक टीफा25 सशक्त आरजेसियन स्वीटी पॉल ने करगिल विजय दिवस की पूर्व संध्या पर अपने ज्येष्ठ भ्राता डा. प्रदीप सक्सेना,लंदन यूके की स्मृति में 25 जुलाई को सायं 5 बजे के कार्यक्रम में सभी को आमंत्रित किया।
कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन करते हुए सह-आयोजक दयाराम मालवीय लोकगीत और भजन गायक ने लोकगीत सुनाए और आरजेएस पीबीएच के सकारात्मक प्रयासों की सराहना की।