राम-जानकी संस्थान पाॅजिटिव ब्राॅडकास्टिंग हाउस (आरजेएस पीबीएच) का 227वां कार्यक्रम संस्थापक उदय कुमार मन्ना के संयोजन में विश्व पर्यावरण दिवस के उपलक्ष्य में अवर लैंड अवर फ्यूचर यानि धरती बचाने को लेकर हुआ । संयुक्त राष्ट्र संघ के यूएनडीपी संस्था की थीम “भूमि-पुनर्स्थापन,मरूस्थलीकरण और सूखालचीलापन”
(लैंड रेस्टोरेशन डिजर्स्टिफिकेशन ड्राउट रिसाइलेंस के तहत अवर लैंड अवर फ्यूचर) पर ऑस्ट्रेलिया की आरजेएस पीबीएच एडमिन डा.श्वेता गोयल- लेक्चरर व मोटीवेशनल स्पीकर द्वारा 2 जून को वेबीनार को-ऑर्गेनाइज किया गया ।
उन्होंने छन्दोपनिषद के श्लोक-सुविचार से कार्यक्रम का आरंभ किया और कहा कि हम सब ब्रह्म हैं। पर्यावरण को बचाना है।इसके लिए आरजेसियंस के साथ महीने भर का “प्रकृति के साथ प्राकृतिक जीवन” अभियान चलाया जाएगा और 25 जून से वन महोत्सव 7 जुलाई तक आरजेसियंस वृक्षारोपण करेंगे।हमें भविष्य में और वर्तमान में आक्सीजन सिलेंडर लेकर न निकलना पड़े, उसके लिये पेड़ लगाने होंगे और जंगल बचाना पड़ेगा । निर्मला देवी सिलवर ओक पब्लिक स्कूल की प्रिंसिपल ने अपने विचार रखे। स्कूल के काफी बच्चे वेबिनार में जुड़कर जागरूक हुए और वृक्षारोपण का संकल्प लिया।
उत्तराखंड हिमालय से जुड़े पद्म भूषण और पद्मश्री से सम्मानित पर्यावरणविद् डॉक्टर अनिल प्रकाश जोशी ने कहा कि प्रकृति का विज्ञान कहता है कि पहले पानी और फिर पेड़ आए ।किसी भी कीमत पर हमें पानी को बचाना है ।पानी के रिस्टोरेशन से पूरा एक सिस्टम खुद ब खुद विकसित हो जाता है ।जीडीपी गरीबों के पल्ले नहीं पड़ता, लेकिन हवा, मिट्टी, पानी और जंगल से नाता सभी का है।
डॉ एम शाह हुसैन वरिष्ठ वैज्ञानिक और अरावली तथा नीला हौज बायोडायवर्सिटी पार्क के प्रभारी ने कहा की 22 साल पहले दिल्ली विकास प्राधिकरण और दिल्ली विश्वविद्यालय ने दो दशक पहले अरावली पर्वत श्रृंखला में दिल्ली के अंदर पानी और जंगल बचाकर जैव विविधता पार्क का विकास किया क्योंकि पानी और जंगल जीवन के दोनों माध्यम हैं।हमें अपने बायोस्फियर को बचाने की जरूरत है । इसका एक मात्र उपाय केवल पेड़ लगाना है ।
प्रकृति भक्त फाउंडेशन के संस्थापक राजेश शर्मा ने कहा कि प्रकृति के साथ जुड़कर रहे शरीर में सारी ऊर्जा प्रकृति से ही मिलती है विकास के साथ-साथ पर्यावरण को भी बढ़ाना है।
ऑक्सीजन मैन राजेश कुमार सुमन और ट्रीमैन सुजीत कुमार ने कहा कि शादी ब्याह ,जन्मदिन में पेड़ उपहार में देते हैं और पेड़ लगवाते हैं । जब बच्चा पेड़ लगायेगा तो वह बचायेगा भी क्योंकि पेड़ से बच्चे का लगाव होगा। प्रोफेसर और पूर्व प्रमुख राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान(डिसास्टर रिस्पांस फोर्स)गृह मंत्रालय,भारत सरकार प्रो. चंदन घोष ने तालाबों की चर्चा की तथा तालाबों की खुदाई के लिए जेसीबी मशीन के प्रयोग पर एतराज जताया । प्रकृति ने हमें प्राकृतिक साधन दिया है उसी का प्रयोग करके हम तालाब को पुनर्जीवित कर सकते हैं । उन्होंने खस घास के प्रयोग पर बल दिया । मेंम्बरेन के प्रयोग पर बल दिया । उन्होने कहा कि प्रकृति से प्रकृति का इलाज होना चाहिए । पुरानी पद्धति के साथ नई तकनीक का प्रयोग करके जल बचाने की जरूरत है। नेचर बेस्ड योजना में कंक्रीट का प्रयोग नहीं होगा । कार्यक्रम में सुरजीत सिंह दीदेवार,सुदीप साहू,इशहाक खान,सोनू मिश्रा,मयंकराज, राजेश सेजवाल, आकांक्षा ,हर्षिता, ऑस्ट्रेलिया से आर्यन जैन ,हर्ष चौधरी,देवेन्दर, कुसुम शर्मा, निखिल,लवनीश,मानवी, और इशमा आदि अलग-अलग राज्यों से जुड़े। कार्यक्रम के अंत में संयोजक आरजेएस पीबीएच उदय मन्ना जी ने टेक्नीकल टीम का और प्रतिभागियों का धन्यवाद व आभार प्रकट किया ।