पितृ पक्ष और विश्वकर्मा जयंती पर आरजेएस पीबीएच का कार्यक्रम आयोजित हुआ

राम जानकी संस्थान पॉजिटिव ब्रॉडकास्टिंग हाउस (आरजेएस पीबीएच) द्वारा उदय कुमार मन्ना के संयोजन में “आत्मा का घर और जीवन का सृजन* विषय पर 17 सितंबर को राष्ट्रीय कार्यक्रम आयोजित हुआ। उन्होंने बताया कि आरजेसियंस ने भगवान विश्वकर्मा की जयंती और पितृपक्ष में पितरों को श्रद्धापूर्वक श्रद्धांजलि दी। आरजेएस पीबीएच की पूरी टेक्निकल टीम को उन्होंने धन्यवाद दिया कि वो इस‌ कार्यक्रम को यूट्यूब और फेसबुक पर लाइव ब्राॅडकास्ट किए। वर्ल्ड फूड इंडिया 2024 , भारत मंडपम् ,नई दिल्ली को पाॅजिटिव मीडिया का समर्थन और प्रभात नमकीन की फैक्ट्री का 21 सितंबर को दौरा होगा. कार्यक्रम का शुभारंभ आरजेएस पीबीएच ऑब्जर्वर बड़ोदा के अभ्यासी प्रफुल्ल डी शेठ ने किया।प्रफुल्ल शेठ ने मां आनंदमयी के संदेश “अपने को जानो अपने को पहचानो” को बताया। 

गीता के सातवें और सोलहवें अध्याय में श्रीकृष्ण – अर्जुन संवाद का मर्म बताया “नासतो विद्यते भावो नाभावो विद्यते सतः उभयोरपि दृष्टोऽन्तस्त्वनयोस्तत्वदर्शिभिः।” उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति डा एस राधाकृष्णन और गांधीजी के दर्शन को याद किया।कार्यक्रम के मुख्य वक्ता और आरजेएस पीबीएच के पूर्व प्रभारी साधक ओमप्रकाश झुनझुनवाला ने निराकार ब्रह्म,ब्रह्मांड की शक्ति और पवित्र शब्द ऊं के साथ सकारात्मक और नकारात्मक विचार के लाभ-हानि गिनाए। वेबिनार के विषय “आत्मा का घर और नवसृजन” के गुढ़ रहस्य को प्रतिपादित किया। उन्होंने अध्यात्म के अर्थ और इसकी उत्पत्ति की विवेचना की। उन्होंने कहा कि शिल्पकार के रूप में विश्वकर्मा जी की जयंती मनाई जाती है। पुराणों के अनुसार ब्रह्माजी की इच्छा से विश्वकर्मा जी ने दुनिया का सृजन‌ किया।हम भी इस दुनिया में विभिन्न क्षेत्रों में सृजनात्मक और रचनात्मक कार्य के निमित्त आएं हैं।

मुख्य अतिथि के रूप में ब्रह्मा कुमारी संस्था के राष्ट्रीय प्रवक्ता व मीडिया प्रभारी राजयोगी बी के सुशांत ने कहा की पितृ जन और पूर्वजों के प्रति हमारी मन की सच्ची स्नेह, श्रद्धा व सन्मान ही उनके प्रति हमारी सच्ची श्राद्ध व तर्पण है। उन्होंने कहा कि पितृ लोक के साथ साथ, जीवित लोगों के प्रति भी हमारे दिल में आदर सम्मान भाव रहना चाहिए, जिससे हम परमात्म प्यार और कृपा के पात्र बनेंगे। अपनी जीवित माता पिता का आदर वा सम्मान करने के साथ, हमे अपनी बचों और अन्य आत्माओं को भी सच्चा स्नेह व सुख देना चाहिए। ऐसी साकारात्मक ऊर्जा विकसित करने के लिए, आध्यात्मिक ज्ञान व राजयोग ध्यान द्वारा हमें सर्व शक्तिमान परमात्मा से जुड़ना होगा।

कार्यक्रम की अध्यक्षता और संचालन करते हुए श्री देवस्थान सेवा समिति के महामंत्री और संध्या वीर अर्जुन के समाचार संपादक विजय शर्मा ने कहा कि सोलह दिनों तक हम‌ पितरों को याद करते हैं। तस्वीर का दूसरा रूख स्पष्ट करते हुए उन्होंने कहा कि हमारे लिए लावारिस शव के दाह-संस्कार के बाद उनकी अस्थियों को पवित्र गंगा में प्रवाहित करना एक सकारात्मक सोच है। हमारे लिए वो हमारे पितर स्वरूप हैं। उन्होंने कहा कि 27 सितंबर 2024 को सुबह नौ बजे अस्थि कलश विसर्जन यात्रा दिल्ली स्थित शहीदी पार्क आईटीओ से सतीघाट कनखल हरिद्वार के लिए रवाना होगी और अस्थि विसर्जन वहां 28 सितंबर को किया जाएगा ताकि लावारिश लोगों को भी मोक्ष मिल सके। 

कार्यक्रम में सुरजीत सिंह दीदेवार,डा.पुष्कर बाला, राजेन्द्र सिंह कुशवाहा, सत्येंद्र -सुमन त्यागी, स्वीटी पॉल,इसहाक खान, मयंकराज, वैभव भारद्वाज, संतोष झा, दिनेश कुशवाहा, डी वी आदित्य आदि ने अपने भी अपने विचार व्यक्त किए।