राम जानकी संस्थान पॉजिटिव ब्रॉडकास्टिंग हाउस (आरजेएस पीबीएच) और आरजेएस पॉजिटिव मीडिया के संस्थापक उदय कुमार मन्ना के संयोजन और संचालन में “अमृत काल का सकारात्मक उदय-302वां संस्करण” 26 दिसंबर 2024 को आयोजित किया गया।
इसमें भारत में प्रवासी पक्षियों के सामने आने वाली गंभीर चुनौतियों पर प्रकाश डाला है। कार्यक्रम के सह-आयोजक पारिस्थितिकी विशेषज्ञ और वरिष्ठ वैज्ञानिक एम. शाह हुसैन , इंचार्ज अरावली व नीला हौज बायोडायवर्सिटी पार्क(सीईएमडीई-डीयू) ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में कहा कि हमारे प्राकृतिक- वास प्रवासी पक्षियों को जीवन देते हैं। इसके लिए जंगल,झाड़ी और पत्तियां जरूरी हैं। उन्होंने बताया कि अरावली व नीला हौज बायोडायवर्सिटी पार्क को प्राकृतिक पर्यावास के रूप में विकसित किया गया है।
यहां प्राकृतिक तरीके से विकसित तालाब में प्रवासी पक्षी आते-जाते हैं। उन्होंने बर्ड मैन ऑफ इंडिया डा. सलीम अली की स्मृति को नमन् किया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि सेवानिवृत्त वैज्ञानिक -स्कूल ऑफ लाईफ साइंसेज, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, दिल्ली के डॉ. सूर्य प्रकाश ने बताया कि कैसे दिन की लंबाई और तापमान में परिवर्तन जैसे पर्यावरणीय संकेत हार्मोनल परिवर्तन को गति प्रदान करते हैं जो पक्षियों को उनकी लंबी यात्रा के लिए तैयार करते हैं। उन्होंने लंबी दूरी की यात्रा के लिए आवश्यक महत्वपूर्ण वजन बढ़ाने सहित शारीरिक परिवर्तनों के लिए बाहरी परिस्थितियों के जवाब में तंत्रिका संबंधी संकेतों का उदाहरण देते हुए, कम सफेद गले (सिल्विया कम्युनिस) का उदाहरण दिया।
दोनों वैज्ञानिकों ने आरजेसियंस के साथ संवाद कर प्रवासी पक्षियों के बारे में जागरूक किया। उन्होंने जलीय, उभयचर और ऊंचाई वाले प्रवास सहित विभिन्न प्रकार के प्रवासों पर विस्तार से चर्चा की, प्रत्येक को विभिन्न प्रजातियों की विशिष्ट आवश्यकताओं के अनुकूल बनाया गया है। प्रतिकूल पर्यावरणीय परिस्थितियों के कारण होने वाले तनाव को प्रवासन के लिए एक महत्वपूर्ण ट्रिगर के रूप में पहचाना गया। चर्चा में दिल्ली क्षेत्र के ऐतिहासिक और पारिस्थितिक महत्व पर भी प्रकाश डाला गया, जिसमें यमुना नदी और अरावली रेंज को दो प्रमुख पारिस्थितिक जीवन रेखा के रूप में दर्शाया गया।
इस चर्चा में बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी (बीएनएचएस) के योगदान और ईबर्ड मंच के विकास पर प्रकाश डालते हुए अनुसंधान पद्धतियों पर भी प्रकाश डाला गया। यह नागरिक विज्ञान पहल व्यक्तियों को पक्षी दर्शन पर डेटा का योगदान करने की अनुमति देती है, जिससे पक्षी प्रवासन के अध्ययन के तरीके में क्रांतिकारी परिवर्तन होता है। विशेषज्ञों ने जोर देकर कहा कि पक्षियों के प्रवास पैटर्न आनुवंशिक और पर्यावरणीय दोनों कारकों से प्रभावित होते हैं, जिसमें मार्गों और गंतव्यों के बारे में जानकारी उनके डीएनए में कोडित होती है। पक्षी प्रवास के दौरान नेविगेट करने के लिए सूर्य, चंद्रमा, तारों और पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र जैसे प्राकृतिक संकेतों पर भरोसा करते हैं। बातचीत में भारत के विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्रों, जैसे कि बिहार, बंगाल और पूर्वी उत्तर प्रदेश के महत्व को रेखांकित किया गया, जो प्रचुर मात्रा में जल संसाधनों के कारण प्रवासी पक्षियों के लिए महत्वपूर्ण क्षेत्र हैं।
कार्यक्रम में आरजेएस पीबीएच के 76वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर 15 जनवरी, 2025 को दिल्ली में होने वाली डायस्पोरा बैठक सहित वैश्विक आउटरीच के लिए संगठन की योजनाओं पर प्रकाश डाला गया।
इसमें आरजेएस पीबीएच परिवार के आरएस कुशवाहा, सुदीप साहू, ओमप्रकाश, बिन्दा मन्ना,ब्रजकिशोर, आशीष रंजन, सोनू मिश्रा, मयंक,इशू, आकांक्षा, रेणु कोहली, कृष्ण मुरारी शर्मा आदि ने भी विशेषज्ञों से संवाद किया।