राम-जानकी संस्थान आरजेएस, नई दिल्ली और तपसिल जाति आदिवासी प्रकटन्न सैनिक कृषि बिकाश शिल्पा केंद्र,गुंटेगेरी,धनियाकली, हुगली पश्चिम बंगाल द्वारा छ: वर्ष पूर्व प्रारंभ सकारात्मक भारत आंदोलन के अंतर्गत इस कोरोना काल में राष्ट्रीय वेबिनार, फेसबुक लाईव और ऑनलाइन बैठकें जारी हैं।
राष्ट्रीय संयोजक उदय मन्ना ने बताया कि ऑनलाइन बैठक में आरजेएस फैमिली से जुड़े लोग अपने सकारात्मक कार्यों और प्रयासों को साझा कर रहे हैं। आरजेएस राष्ट्रीय सम्मान श्रृंखला के अंतर्गत 22 जुलाई को साहित्यकार महादेवी वर्मा पर डा. पुष्कर बाला ने अपने विचार साझा किए। उन्होंने पद्म भूषण और विभूषण से सम्मानित महादेवी वर्मा के नाम अपने माता-पिता स्व० श्री देव वंश सहाय- स्व० श्रीमती सिंगारी देवी की स्मृति में आरजेएस का राष्ट्रीय सम्मान घोषित किया है। आरजेएस द्वारा देश के महापुरुषों और पूर्वजों का सम्मान किया जा रहा है। आरजेएस राष्ट्रीय संयोजक उदय कुमार मन्ना ने बताया कि इससे परिवार और राष्ट्र दोनों के बीच सेतु बनाकर भारत निर्माण किया जा रहा है। जमशेदपुर की एक महिला कालेज में प्राचार्या डा.पुष्कर बाला ने कहा कि साहित्य में महादेवी वर्मा का आविर्भाव उस समय हुआ जब खड़ीबोली का आकार परिष्कृत हो रहा था। उन्होंने हिन्दी कविता को बृजभाषा की कोमलता दी, छंदों के नये दौर को गीतों का भंडार दिया और भारतीय दर्शन को वेदना की हार्दिक स्वीकृति दी। इस प्रकार उन्होंने भाषा साहित्य और दर्शन तीनों क्षेत्रों में ऐसा महत्त्वपूर्ण काम किया जिसने आनेवाली एक पूरी पीढ़ी को प्रभावित किया।आगे उन्होंने कहा कि महादेवी वर्मा की रचनाएं आम लोगों की जिंदगी से सीधी जुड़ी हुई थी। स्मृति की रेखाएं, अतीत के चलचित्र ,पथ के साथी ,मेरा परिवार, यामा ,दीपशिखा और रश्मि उनकी प्रमुख रचनाएं हैं।उन्होंने स्वतंत्रता के पहले का भारत और बाद के भारत को नजदीक से देखा था । उन्होंने मन की पीड़ा को इतने समय और श्रृंगार से सजाया की दीपशिखा में वह जन जन की पीड़ा के रूप में स्थापित हुई और उसने केवल पाठकों को ही नहीं समीक्षकों को भी गहराई तक प्रभावित किया। राम-जानकी संस्थान (आरजेएस) के राष्ट्रीय संयोजक उदय मन्ना ने कहा कि 20जुलाई 2021 से रोजाना आरजेएस राष्ट्रीय सम्मान श्रृंखला के अंतर्गत महापुरुषों की चर्चा की जा रही है।