नई दिल्ली। राष्ट्रीय डोपिंग रोधी एजेंसी, युवा एवं खेल मंत्रालय भारत सरकार एवं फिजिकल एजुकेशन फाउंडेशन ऑफ़ इंडिया के संयुक्त तत्वाधान में दिल्ली के नई दिल्ली नगर पालिका परिषद् के कन्वेंशन सेंटर में एक दिवसीय एंटी डोपिंग प्रशिक्षक कार्यशाला का आयोजन किया गया।
कार्यशाला का उदघाटन मुख्य अतिथि युवा एवं खेल मंत्रालय के अंतर्गत नेशनल एंटी डोपिंग एजेंसी (नाडा) के महानिदेशक श्री नवीन अग्रवाल (आई.पी.एस) ने किया। इस कार्यशाला में विशिस्ट अतिथि अर्जुन अवार्डी यशपाल सोलंकी थे। फिजिकल एजुकेशन फाउंडेशन ऑफ़ इंडिया के सचिव डॉ.पीयूष जैन ने आये अतिथियों की पुष्प गुच्छ देकर स्वागत किया। इस अवसर पर अपने सम्बोधन में नाडा के महानिदेशक श्री नवीन अग्रवाल ने कार्यशाला में हिस्सा लेने आये शारीरिक शिक्षकों, खेल शिक्षकों, फ़िज़ियोथेरेपिस्ट, खिलाड़ियों से नाडा की गाइड लाइन के हिसाब से आगे खेल तैयारियों को करने की अपील करते हुए कहा कि हमारे खिलाडी और प्रशिक्षक जाने अनजाने में कुछ भोज्य पदार्थ या दवाइयों का सेवन करते रहते हैं जिनका दूरगामी परिणाम बड़ा ही भयावह होता है जब लिवर, किडनी, हड्डियों से सम्बंधित समस्याओं से व्यक्ति ग्रसित हो जाता है जिसके बाद वह ना समाज और ना देश के लिए कुछ करने लायक रहता है। उन्होंने कहा कि डोपिंग का सेवन करने से खिलाड़ियों के प्रदर्शन पर भी बहुत असर पड़ता है। उन्होंने उपस्थित सभी प्रतिभागियों को शपथ दिलाई कि वह कभी प्रतिबंधित दवाइयों का सेवन जीवन में नहीं करेंगे। एंटी डोपिंग कोर्स के बारे में विस्तार से बताया। इससे संबंधित प्रतिबंधित पदार्थ और दवाओं के दुष्प्रभाव शामिल हैं।
मुख्य वक्ता नाडा के प्रोजेक्ट ऑफिसर डॉ. अंकुश गुप्ता ने कहा कि डोपिंग का मतलब है कि खिलाड़ियों द्वारा उन पदार्थों का सेवन करना जो उनकी शारीरिक क्षमता बढ़ाने में मदद करें। इससे वह अपनी क्षमता से ज्यादा अच्छा प्रदर्शन करते हैं। डोपिंग के अंतर्गत 5 प्रकार के ड्रग्स को प्रतिबंधित किया गया है। इनमें सबसे सामान्य स्टिमुलैंट्स और हॉर्मोन्स हैं। इनका सेवन करने से व्यक्ति के शरीर में कई साइड इफेक्ट के भी खतरे होते हैं। इसलिए इन्हें खेल शासी निकायों द्वारा प्रतिबंधित किया गया है। वर्ल्ड एंटी डोपिंग एजेंसी के मुताबिक इन पदार्थों को तब ही प्रतिबंधित किया जाता है जब ये तीन मुख्य मानदंडों में से दो में शामिल हों। मानदंड हैं एक ड्रग्स अगर खिलाड़ी का प्रदर्शन बढ़ाता हो। दूसरा इससे खिलाड़ी का स्वास्थ्य बिगड़ने का खतरा हो। तीसरा खेल की गरिमा का उल्लंघन करता हो। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ सालों से विभिन्न भारत में खेल निकाय खेलों में एंटी डोपिंग को जांचे जाने को लेकर जोर दे रहे हैं। कारण साफ है कि खेलों में पारदर्शिता बनी रहे। इस कार्यशाला में पूरे देश से 150 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। इस कार्यशाला में विभिन्न खेल संघों के पदाधिकारियों ने भी शिरकत करके कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई।