कवि हम तुम के तत्वावधान में पहला राष्ट्रीय काव्य समागम का आयोजन ‘हरिजन सेवक संघ’ गाँधी आश्रम, किंग्जवे कैम्प, दिल्ली में किया गया। इस अवसर पर विक्रमशिला हिन्दी विद्यापीठ, उज्जैन के कुलाधिपति संत श्री सुमनभाई ‘मानस भूषण’ मुख्य अतिथि थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता जाने-माने ग़ज़लकार, गीतकार, अभिनेता और निर्देशक डाॅ. अशोक मधुप द्वारा की गई। इस मौके पर पी.जी.डी.ए.वी. काॅलेज के डाॅ. हरीश अरोड़ा और गीतकार श्री अरुण सागर विशिष्ट अतिथि थे। इस काव्य समागम का मंच संचालन डाॅ. चन्द्र सैन ने किया। काव्य समागम में देशभर के जाने-माने कवि और कवयित्रियों ने काव्य-पाठ किया। काव्य समागम का उद्घाटन सुमनभाई ‘मानस भूषण’, डाॅ. अशोक मघुप, डाॅ. हरीश अरोड़ा, डाॅ. चन्द्र सैन, श्री अरुण सागर, डाॅ. अरविन्द त्यागी, बादल चैधरी और सुश्री बबली वशिष्ठ ने दीप प्रज्जवल्लित कर किया।
राष्ट्रीय काव्य समागम के अवसर पर समाज, साहित्य, संस्कृति, कला एवं शिक्षा कें क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए डाॅ.सुमनभाई, डाॅ, अशोक मधुप, डाॅ. हरीश अरोड़ा, श्री अरुण सागर, नारायणी साहित्य अकादमी के अध्यक्ष डाॅ. चन्द्रमणी ब्रहमदत्त और सचिव डाॅ. पुष्पा सिंह ‘विसेन’, पं अशोक सेमवाल, पीयूष शुक्ला, डाॅ. रामफल चहल, प्रीति अज्ञात, सुरेन बिश्नोई, निधि पांडेय, शिल्पी खन्ना, अरुणेश कुमार शर्मा, आलोक बेजान, आलोक शर्मा ‘ध्रुव’, अनुप शर्मा, देवेन्द्र ‘देव’, माधवी रेनू पांचाल और देव नागर को कवि हम तुम के संस्थापकोे और संयोजकों में सर्वश्री डाॅ. अरविन्द त्यागी, श्री बादल चौधरी, राजेन्द्र रावत और डाॅ. बबली वशिष्ठ ने संस्था के ‘राष्ट्रीय सम्मान’ के प्रतीक-चिह्न, प्रमाण-पत्र व शाॅल भंेट करके सम्मान्नित किया। काव्य समागम का प्रारम्भ कवयित्री सीमा गुप्ता द्वारा प्रस्तुत की गई सरस्वती वंदना से हुआ। डाॅ. चन्द्र सैन ने अपने काव्य-पाठ प्रारम्भ में सभी को नववर्ष की बधाई और शुभकामनाएं देते हुए पढ़ा-‘इस नए साल में ऐसा ही जश्न हो जाए/ पुराना शिकवा गिला कहीं दफन हो जाए।’ साथ ही उन्होंने अपनी एक ग़ज़ल के मिसरे में प्रेम के महत्त्व को रेखांकित करते हुए पढ़ा-‘प्यार को महफूज़ रखा, यार को महफूज़ रखा/ लाख भटके थे मगर, हमने ईमां महफूज़ रखा।’ इस अवसर पर सुजीत शौकीन, किशोर श्रीवास्तव, शशि श्रीवास्तव, आशीष श्रीवास्तव, इंद्रजीत सुकुमार, दुर्गेश अवस्थी, विक्रम गौड़ ‘रसिक’, सुखवर्ष कंवर, नेहा नहाटा, गीता गंगोत्री, मनोज कामदेव, नरेश मलिक, संदीप शज़र, कमला सिंह‘ज़ीनत’, शुभदा बाजपेई, तरुणा मिश्रा आदि अनेक कवियों ने अपने काव्य-पाठ में समाज और राजनीति में व्याप्त विसंगतियों पर प्रहार करते हुए देश के नव-निर्माण में सहयोग देने के लिए आह्वान किया।
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