दिनांक 09.09.2014 को यमुना पुस्ता में बैठक का आयोजन किया गया जिसमें दिल्ली के विभिन्न एन.जी.ओ. के पदाधिकारियों ने भाग लिया। बैठक के आयोजन का विषय था – दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड, दिल्ली सरकार द्वारा रैन बसेरा को टेन्डर के माध्यम से चलाने के खिलाफ आवाज उठाना था। बैठक में एक प्रस्ताव रखा गया कि बोर्ड के निदेशक कमल मलहोत्रा जी और सी.ई.ओ. अमरनाथ जी के द्वारा जो टेन्डर की प्रतिक्रिया लागू कि गई है, वे गलत है क्योंकि एनजीओ चलाने वाले जो भी लोग है वे समाजसेवा में अपना विश्वास रखते है और बीएसडब्ल्यू, एम.एस.डब्ल्यू, एम फील एवं पीएचडी करके एनजीओ में काम कर रहे है। जो काम सरकारी पदाधिकारी नहीं करते वे काम संगठन के लोग बहुत ही ईमानदारी और लगन के साथ करते है।
दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड द्वारा जो निर्णय किया गया है वे न्यायसंगत नहीं है क्योंकि 7.5 लाख एवं 2 लाख 50 हजार रूपये का भुगतान करके एन.जी.ओ. रैन बसेरा लेकर संचालन करती है उससे तो यह साफ साबित होता है एक सामाजिक कार्यकर्ता के उपर बोर्ड के पदाधिकारी अपना दबाव बनाना चाहते है इससे तो अच्छा होगा कि ठेकेदारी प्रथा को समाप्त कर दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड स्वय रैन बसेरा का संचालन करें । तो अच्छा होगा लेकिन बंधुआ मजदूर के तहत रूपये देकर रैन बसेरा लेकर चलाना ये तो दुकानदारी है। सभी एनजीओ ने सीईओ, क्न्ैप्ठ सभाग्रह किया है कि जो टेन्डर बिना खुली हुई थी या एक से अधिक परियोजनामें टेन्डर डाली गयी थी उन्हें तत्काल प्रभाव से निरस्त किया जाए। हम सभी एनजीओ संपादकीय मीडिया और इलैक्ट्रोनिक्स मीडिया से निवेदन करते है कि समाजिक कार्यकर्ता की आवाज को प्राथमिकता दे क्योंकि बोर्ड के पदाधिकारी द्वारा जो टेन्डर प्रतिक्रिया लागू की गई है उससे साफ साबित होता है कि ये लोग दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड द्वारा बेघरों का घर रैन बसेरा को ठेकेदारों के हाथों गिरबी रखना चाहते है। और इसको रोकने के लिए एनजीओ के पदाधिकारी हर तरह की मुसिबत को सामना करने के लिए तैयार है और दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड द्वारा 12.09.2014 को हेबिटेड सेन्टर में जो जेक मिटिंग रखा गया है उसमें निदेशक और सीईओ के खिलाफ एनजीओ पूरी तैयारी केसाथ मुकाबला करेगी ताकि टेन्डर प्रतिक्रिया तत्काल प्रभाव से समाप्त करायी जाए।