महिलाओं को साबित्री बाई फूले का ऋणी होना चाहिए । क्योंकि इन्होंने 19वीं सदी में स्त्री शिक्षा का विरोध करनेवालों को स्कूल खोलकर सकारात्मक ज़बाब दिया था। 3 जनवरी को 1831 में महाराष्ट्र के सतारा जिले में स्थित नायगांव में जन्मी साबित्रीबाई को पहली भारतीय शिक्षिका होने का गौरव प्राप्त है। राम-जानकी संस्थान के राष्ट्रीय संयोजक उदय कुमार मन्ना ने बताया कि सावित्रीबाई फुले और इनके गुरु और पति महात्मा फुले के सकारात्मक कार्यों पर शनिवार 2और रविवार 3को आभासी बैठक में इनपर दो-दिवसीय चर्चा हो रही है।
सकारात्मक भारत महा-आंदोलन के अंतर्गत जागरूकता की कई गतिविधियां चल रही हैं दिल्ली के गांव कुशक नं 1निवासी चौधरी इंद्रराज सिंह सैनी और श्रीमती कश्मीरो देवी ने अपने माता-पिता स्व० हीरालाल सैनी और स्व०श्रीमती भरतो देवी की स्मृति में महात्मा ज्योतिबा फुले और साबित्रीबाई फुले के नाम आरजेएस नेशनल स्टार फैमिली अवार्ड 2021 किया।आरजेएस की आभासी बैठक में घोषणा की गई कि आगामी 9और 10 जनवरी 2021 को टीजेएपीएस केबीएसके , हुगली पश्चिम बंगाल के साथ आयोजित वर्चुअल वेबिनार में ग्यारह राज्यों के आरजेएस सूचना केंद्र की महिलाओं को आमंत्रित किया गया है। इसमें प्रबोधकों के लिए प्रशिक्षण देंगे सुपरिचित वक्ता, चिन्तक व लेखक पार्थ सारथि थपलियाल। सानिध्य श्री रामजग सिंह और दीप माथुर का होगा।तकनीकी सहयोग डेली डायरी न्यूज़ का रहेगा।आरजेएस की फेसबुक लाईव में 2और तीन जनवरी को सावित्रीबाई से संबंधित बातों को शेयर किया जा रहा है। आरजेएस फैमिली के लोगों ने अपनी विडियो में बताया कि सावित्रीबाई ने छुआ-छूत, सतीप्रथा, बाल और विधवा विवाह निषेध के खिलाफ पति के साथ काम किया । ज्योतिबा राव फुले से वो खुद पढ़ीं और लड़कियों के लिए 18 स्कूल खोले, इस तरह वह नारी शिक्षा की अग्रणी बनीं। सावित्रीबाई फुले एक कवियत्री भी थीं. उन्हें मराठी की आदि कवियत्री के रूप में भी जाना जाता था.स्त्री शिक्षा फैलाकर पत्थर मारनेवालों को सकारात्मक ज़बाब दिया पहली भारतीय शिक्षिका साबित्रीबाई फूले ने।