द्वारका श्री रामलीला: चौथी रात्रि का भव्य मंचन – रामराज तिलक से वनवास तक की अनूठी यात्रा

नई दिल्ली के द्वारका सैक्टर 10 स्थित डीडीए ग्राउंड में आयोजित होने वाली द्वारका श्री रामलीला सोसायटी की 12वीं श्री रामलीला के चौथे दिन का मंचन, 6 अक्टूबर 2024 को रविवार के दिन, अद्वितीय और भव्य रहा। रामलीला के इस विशेष आयोजन के मुख्य संरक्षक श्री राजेश गहलोत और उनके सहयोगियों ने इस वर्ष भी देश की सबसे प्रसिद्ध रामलीला का आयोजन किया, जिसे लाखों लोग देखने के लिए उमड़े। आज मुख्य अतिथि श्री कपिल खन्ना जी अध्यक्ष विश्व हिन्दू परिषद दिल्ली प्रान्त एंव श्री दयानन्द जी विश्व हिन्दू परिषद दिल्ली प्रान्त के कार्यकारणी सदस्य पहुचे l

रामराज तिलक से वनवास तक की कथा का अद्भुत मंचन

चौथी रात्रि के कार्यक्रम में “रामराज तिलक” की घोषणा से लेकर श्री राम के वनवास तक की कथा का सजीव मंचन किया गया। मंचन की शुरुआत मंथरा और केकैयी के बीच हुए संवाद से हुई, जिसमें मंथरा ने केकैयी के मन में राम के तिलक की बजाय भरत के तिलक की इच्छा को जगाया। इसके बाद दशरथ और केकैयी के बीच हुआ भावुक संवाद दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर गया। दशरथ के आंसू, केकैयी की मांग, और राम के वनवास के दृश्यों ने सभी को भावुक कर दिया।

इसके पश्चात राम और कौशल्या के बीच का मार्मिक संवाद हुआ, जिसमें कौशल्या का हृदय विदीर्ण हो उठा। लक्ष्मण और उर्मिला का संवाद भी दर्शकों को रोमांचित कर गया, जहां उर्मिला ने अपने पतिव्रता धर्म का पालन करते हुए लक्ष्मण के वन जाने का समर्थन किया।

प्रजाजनों द्वारा राम को रोकने का दृश्य अत्यंत हृदयस्पर्शी था। वनवास के लिए निकले राम के प्रति अयोध्यावासियों की असीम श्रद्धा और प्रेम ने मंचन को और भी प्रभावशाली बना दिया। निशादराज के साथ राम का मिलन और फिर खेवट द्वारा राम, सीता और लक्ष्मण को गंगा पार कराने का दृश्य अत्यंत सुंदर ढंग से प्रस्तुत किया गया। इस दौरान सीता द्वारा गंगा जी की आरती का भावपूर्ण दृश्य भी मंच पर प्रस्तुत किया गया, जिसने पूरे वातावरण को श्रद्धा और भक्ति से ओतप्रोत कर दिया।

द्वारका श्री रामलीला की अनूठी व्यवस्था

इस विशाल आयोजन में लगभग 10,000 कुर्सियों की व्यवस्था की गई थी ताकि आने वाले सभी राम भक्त आराम से रामलीला का आनंद ले सकें। सुरक्षा की दृष्टि से, लगभग 70 सुरक्षा गार्ड और द्वारका जिले के डीसीपी अंकित कुमार सिंह के निर्देश पर 50-60 पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई थी। यह सुनिश्चित किया गया कि दर्शकों की सुरक्षा और सुगमता में कोई कमी न रहे।

मुख्य संरक्षक श्री राजेश गहलोत की महत्वपूर्ण भूमिका

द्वारका श्री रामलीला सोसायटी के मुख्य संरक्षक श्री राजेश गहलोत ने रामलीला के इस भव्य आयोजन को सफल बनाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने न केवल रात-दिन की कड़ी मेहनत से इस रामलीला को साकार किया है, बल्कि इसे पूरे देश में एक पहचान दिलाने का भी अद्वितीय कार्य किया है। उनके अथक प्रयासों से यह रामलीला आज केवल द्वारका में ही नहीं, बल्कि पूरे भारत में प्रसिद्ध हो गई है। श्री गहलोत का कहना है कि रामलीला केवल एक मंचन नहीं है, बल्कि यह समाज में धर्म, आदर्श, और सत्य का प्रचार-प्रसार करने का एक साधन है।

श्री राजेश गहलोत ने अपने उपदेश में कहा, “रामलीला केवल राम के जीवन की कहानी नहीं है, यह हमारे जीवन के प्रत्येक पहलू को संवारने और धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती है। हमें इस बात को समझना चाहिए कि भगवान राम के आदर्श, उनके त्याग, और उनके धैर्य से हमें अपने जीवन में सच्चे मार्ग का अनुसरण करने की शिक्षा मिलती है।”

उनके इन विचारों ने आयोजन में उपस्थित हज़ारों राम भक्तों को गहराई से प्रभावित किया। श्री गहलोत का यह भी मानना है कि रामलीला जैसी सांस्कृतिक धरोहरें हमें अपने धर्म और संस्कृति से जोड़ने का अवसर प्रदान करती हैं, और हमें इसे संजोकर रखना चाहिए।

रामलीला के प्रति जनमानस की श्रद्धा

इस आयोजन ने न केवल स्थानीय निवासियों बल्कि दूर-दराज़ से आए दर्शकों को भी रामायण की शिक्षाओं से अभिभूत किया। रामलीला के हर एक दृश्य ने सभी को मानवीय गुणों जैसे सत्य, न्याय, त्याग, और सहनशीलता की याद दिलाई, जो आज के समय में और भी अधिक प्रासंगिक हो गए हैं।

द्वारका श्री रामलीला सोसायटी की ओर से किए गए इस आयोजन ने समाज को धर्म और संस्कृति की गहरी जड़ों से जोड़ने का कार्य किया है। मुख्य संरक्षक श्री राजेश गहलोत और उनकी पूरी टीम की अथक मेहनत के कारण यह रामलीला भारत के हर कोने में एक मिसाल बन चुकी है।

आगामी दिनों में रामलीला के और भी भावुक एवं प्रेरणादायक प्रसंग मंचित किए जाएंगे, जिसमें भरत का राम से मिलन, रावण का उदय, और राम-रावण युद्ध जैसे महत्वपूर्ण दृश्य शामिल होंगे।