द्वारका श्री रामलीला: पंचवटी प्रवेश से लेकर रावण-जटायु युद्ध तक, हजारों भक्तों ने लिया दिव्य अनुभव

नई दिल्ली – द्वारका सेक्टर 10 के डीडीए ग्राउंड में द्वारका श्री रामलीला सोसायटी द्वारा आयोजित भव्य रामलीला के छठी रात के मंचन ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। मुख्य संरक्षक श्री राजेश गहलोत के नेतृत्व में यह आयोजन भक्तों को भगवान श्री राम के जीवन और आदर्शों से जोड़ रहा है। 8 अक्टूबर 2024, मंगलवार की शाम, रामलीला के कई महत्वपूर्ण प्रसंगों का मंचन किया गया, जिसमें राम, लक्ष्मण और सीता का पंचवटी में प्रवेश, शूर्पणखा का प्रसंग, खर-दूषण का वध, रावण-मारीच संवाद, सीता हरण, रावण-जटायु युद्ध और अंत में राम-जटायु संवाद का भावुक दृश्य दर्शाया गया। हजारों श्रद्धालु इस दिव्य अनुभव में शामिल होकर रामायण के इन अनुपम क्षणों को साक्षात महसूस कर रहे थे।

शाम का मंचन पंचवटी में राम, लक्ष्मण और सीता के प्रवेश से शुरू हुआ, जहां उनका तपस्वी जीवन दर्शाया गया। इसके बाद शूर्पणखा के राम और लक्ष्मण के साथ हुए प्रसंग का मंचन हुआ, जिसमें उसके घमंड और छल का अंत होते दिखाया गया। लक्ष्मण द्वारा शूर्पणखा की नाक और कान काटे जाने का दृश्य धर्म की विजय और अधर्म के पतन का प्रतीक बनकर सामने आया, जिससे दर्शक अभिभूत हो गए।

इसके बाद राम और खर-दूषण के बीच हुए युद्ध का दृश्य मंचित किया गया, जिसमें भगवान राम ने अपने अद्वितीय पराक्रम से दोनों असुरों का वध किया। इस प्रसंग ने भगवान राम के धर्म और सत्य के प्रति अडिग रहने की प्रतिबद्धता को दर्शाया। इस अद्भुत मंचन ने दर्शकों के हृदय में गहरा प्रभाव छोड़ा।

सबसे रोमांचक क्षण तब आया, जब रावण और मारीच के बीच सीता हरण की योजना का संवाद हुआ। यह दृश्य रावण के अहंकार और लालच के परिणामों को उजागर करते हुए उसकी भावी पराजय की नींव रखता है।

इसके बाद, सीता हरण का मार्मिक दृश्य मंचित हुआ। जैसे ही रावण सीता को हरण कर लेता है, जटायु का प्रवेश होता है। जटायु और रावण के बीच का युद्ध अत्यंत भावुक और हृदयस्पर्शी था। जटायु की धर्म रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति ने दर्शकों के मन को छू लिया। अंत में, राम और जटायु के बीच का संवाद अत्यंत करुणामय था, जहां राम ने जटायु को मोक्ष प्रदान किया। इस दृश्य ने राम की करुणा और भक्ति के प्रति सम्मान को दर्शाया।

हजारों की संख्या में भक्त इस रामलीला के अद्भुत मंचन से जुड़े, जिसने उन्हें न केवल भौतिक आनंद बल्कि आध्यात्मिक प्रेरणा भी दी। पूरा आयोजन “जय श्री राम” के नारों से गूंज उठा, और भक्तगण भगवान राम के जीवन की शिक्षाओं से प्रेरणा लेने लगे।

इस अवसर पर मुख्य संरक्षक श्री राजेश गहलोत ने उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए भारत की सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर की महत्ता पर बल दिया। उन्होंने कहा, “भारत भावनाओं का देश है, और हमारी संस्कृति की शक्ति हमारी भक्ति और मूल्यों में निहित है।” उनका यह संदेश रामायण के मूल्यों को आत्मसात करने की प्रेरणा देता है।

श्री राजेश गहलोत ने कहा, “भगवान राम का जीवन मानवता के लिए आदर्श है। उन्होंने सत्य, त्याग और धर्म के मार्ग पर चलने की शिक्षा दी। हमें भी उनके आदर्शों को अपने जीवन में अपनाकर समाज में प्रेम, भाईचारे और शांति का संदेश फैलाना चाहिए। कठिन परिस्थितियों में भी धर्म और सत्य के मार्ग पर अडिग रहना हमें श्री राम के जीवन से सीखना चाहिए।”

सम्पूर्ण रामलीला का मंचन अत्याधुनिक प्रकाश और ध्वनि प्रभावों के साथ प्रस्तुत किया गया, जिससे यह भक्तों के लिए एक अद्वितीय आध्यात्मिक अनुभव बन गया। यह आयोजन न केवल धर्म का संदेश देता है बल्कि समाज में नैतिकता और सद्भावना की जड़ों को भी सुदृढ़ करता है।

द्वारका श्री रामलीला का यह आयोजन आगे भी जारी रहेगा, जिसमें और भी महत्वपूर्ण प्रसंगों का मंचन होगा। आने वाले दिनों में राम-हनुमान मिलन, रावण के खिलाफ युद्ध की तैयारी जैसे दृश्य मंचित किए जाएंगे। श्री राजेश गहलोत ने सभी श्रद्धालुओं से आग्रह किया कि वे आगामी कार्यक्रमों में भी बढ़-चढ़ कर हिस्सा लें और भगवान राम के आदर्शों को अपने जीवन में आत्मसात करें।

आने वाले दिनों में रामलीला के मंचन में नाटकीयता और भव्यता का अनूठा संगम देखने को मिलेगा, जिससे राम भक्तों को एक अनोखा आध्यात्मिक अनुभव प्राप्त होगा।