भारत के संविधान पर एक टीवी धारावाहिक : समय की मांग !

हमारे देश में अनेकों धर्म मज़हब हैं, अनेकों जातियां हैं, अनेकों भाषाएँ हैं और भौगोलिक दृष्टि से भी देखें तो देश में अनेकों प्रकार की सामाजिक विभिन्नताएं पाई जाती हैं ! और इन सबसे ऊपर देश में धर्म का प्रचार प्रसार भी कुछ जरुरत से ज़्यादा ही होता है, शिक्षा का स्थान उतना ऊँचा नहीं है जितना धर्म का है! इन्हीं धार्मिक भावनाओं को देखते हुए अनेकों विषयों पर और अनेकों देवी देवताओं पर टीवी धारावाहिक भी बनाए गए हैं, जैसे कि रामायण , महाभारत , ॐ नमो शिवाय , जय हनुमान , देवों के देव – महादेव, जय श्री गणेश, देव लोक, श्री कृष्णा, सिया के राम, लव कुश , विष्णु पुराण, शिव शक्ति और जय संतोषी माँ वगैरह २ ! केवल इतना ही नहीं , ऐसे सीरियल केवल हिंदी में ही नहीं, बल्कि अनेकों प्रांतीय भाषाओं में भी बनाये गए हैं ! यह बात और है कि ऐसे धार्मिक विषयों पर या फिर अलग २ देवी देवताओं के जीवन पर सीरियल बनाने से पहले धारावाहिक निर्माताओं ने इन देवी देवताओं के इतिहास के पक्ष से सच्चाई जानने की कोशिश की है या नहीं, लेकिन यह बात सही है कि ऐसे बहुत से सीरियल बने हैं ! मैं कभी कभी सोचता हूँ कि किसी भी धार्मिक ग्रन्थ से पहले और सबसे ऊँचा स्थान तो देश के संविधान का होना चाहिए, क्योंकि पूरा देश तो आख़िरकार संविधान से ही चलता है, हज़ारों केंद्रीय और प्रांतीय संस्थाएं भी संविधान में  लिखे गए विभिन्न प्रावधानों के अंतर्गत ही तो चलती हैं ! तो फिर किसी भी बड़े धारावाहिक निर्माता ने या फिर किसी प्रांतीय सरकार या केंद्रीय सरकार ने इस तरफ़ ध्यान क्यों नहीं दिया कि देश के संविधान पर भी एक अच्छा / बढ़िया टीवी सीरियल बनाया जाये और देश के नागरिकों को संविधान का सही २ ज्ञान प्रदान किया जाना चाहिए ? 

संविधान पर टीवी सीरियल बनाना शिक्षा की दृष्टि से भी बहुत आवश्यक है और इस सीरियल के माध्यम से हम अपनी नौजवान पीढ़ी को देश के संविधान का केवल इतिहास ही नहीं, बल्कि इसमें वर्णित अनेकों संस्थाओं के बारे में भी सटीक शिक्षा प्रदान कर सकते हैं ! वैसे भी देश के सभी नागरिकों को अपने संविधान की जानकारी तो होनी ही चाहिए, उनको पता होना चाहिए कि आज़ादी से पहले देश के क़ायदे कानून की स्थिति कैसी थी, देश के नागरिकों के आपसी सम्बन्ध कैसे हुआ करते थे और आज़ादी के बाद एक लिखती संविधान बनाने की जरुरत क्यों पड़ी, यह संविधान किसने लिखा, इसके कितने अनुच्छेद हैं, कितनी धाराएं हैं, किस २ संस्था का देश के बढ़िया संचालन के लिए होना अति आवश्यक हैं, और हमारे देश में प्रचलित / अपनाई गई लोकतान्त्रिक प्रणाली ही क्यों अपनाई गई और इसका संचालन / प्रचालन कैसे होता है ! आइए , पहले हम थोड़ा विस्तार से जानने की कोशिश करते हैं कि मोटे २ तौर से हमारे संविधान में किन २ संस्थाओं के बारे में क्या २ वर्णन लिखा हुआ है, ताकि यह संस्थाएं सफलता पूर्वक चलते हुए देश के करोड़ों नागरिकों की भावनाओं का सम्मान करते हुए सफ़लता से कार्यंवाहन करती रहें !  

जैसे की पहले भी दूरदर्शन / सरकार ने पहल करते हुए कुछ पुस्तकों के आधार पर कुछ टीवी धारावाहिक ( जैसे – भारत एक खोज और चंद्रकांता इत्यादि ) बनाये हैं, देश के संविधान पर भी एक विस्तृत धारावाहिक बनाने में दूरदर्शन को हिम्मत दिखलानी चाहिए, यह फिर बड़े २ धारावाहिक निर्माताओं को इतने बड़े राष्ट्रीय महत्तव वाले विषय पर एक टीवी सीरियल बनाना चाहिए ! क्योंकि इस सीरियल में तो मूल रूप से संविधान की ही व्याख्या करनी है, यह इस धारावाहिक में संविधान के अंतर्गत अनेकों विषयों को नागरिकों को ज्ञान ही देना ही इसका मुख्य उद्देश्य होना चाहिए, तो इस काम के लिए यह भी आवश्यक है इसके लिए कोई साधारण किस्म के लेखकों से काम नहीं चलने वाला ! अत: इसके लिए मान्यतः प्राप्त कॉलजों में राजनीति शास्त्र / विज्ञान पढ़ाने वाले कम से कम पांच / छः प्रोफेसर साहिबान / उच्च न्यायालय / उच्चतम न्यायालय के जज / सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकीलों की सेवा ली जाये तो ज़्यादा बेहतर होगा, क्योंकि राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर / न्यायाधीश तो खुद इस विषय बढ़िया तरीके से परांगत होते हैं ! एक २ प्रोफेसर / न्यायाधीश / वकील को 5 / 6 विषय दे देने चाहिए ताकि वह उन्ही विषयों पर पूरे अच्छे ढंग से और विस्तृत तरीके से अध्ययन करके उन पर विस्तार से चर्चा कर सकें और देश की जनता को उनके बारे में शुद्ध रूप से स्पष्ट और सटीक जानकारी / व्याख्या प्रदान कर सकें ! यह धारावाहिक के माध्यम से जिन २ विषयों पर विस्तार से जानकारी मुहैया करवाई जानी आवश्यक होगी, उसकी एक सूची नीचे दी गई है :-    

इस धारावाहिक में निम्नलिखित विषय अवश्य होने चाहिए : 

1.संविधान की प्रस्तावना2.कार्यपालिका 
3.विधायिका और  4.न्यायपालिका 
5.राष्ट्रपति 6.लोक सभा
7.राज्य सभा 8.प्रधान मंत्री और प्रधानमंत्री सचिवालय
9.केंद्रीय मंत्रीमंडल10.लोक सभा स्पीकर 
11.उपराष्ट्रपति / राज्य सभा के सभापति12.मीडिया व संचार माध्यम 
13.सर्वोच्च न्यायालय / उच्चतम न्यायलय14.उच्च न्यायालय 
15.जिला न्यायालय 16.राज्य विधान सभा 
17.मुख्यमंत्री और मुख्यमंत्री सचिवालय 18.मुख्यमंत्री का मंत्रीमंडल   
19.सरकार के अलग-अलग अंगों के बीच शक्तियों के बंटवारे और उनके बीच नियंत्रण की व्यवस्था20.सांसदों और विधायकों को वापस बुलाने का प्रावधान
21.विधान परिषद 22.राज्यपाल 
23.उप राज्यपाल24.गांवों का पंचायती राज 
25.नगर निगम और निगम पार्षद26.भारतीय रिज़र्व बैंक 
27.भारत का चुनाव आयोग  28.भारतीय संचित निधि  
29.भारत के नियन्त्रक एवं महालेखापरीक्षक30.नागरिकों के मौलिक अधिकार
31.राज्य नीति के निर्देशक सिद्धांत (DPSP)32.सांसदों की क्षेत्र विकास निधि 
33.विधायकों की क्षेत्र विकास निधि  34.निगम पार्षद की क्षेत्र विकास निधि 
35.राष्ट्रिय ध्वज की कहानी, बीच में अशोक चक्र क्यों बनाया ? 36.भूमि राजस्व प्रबंधन और भूमि रिकॉर्ड रखरखावर्ड रखरखाव 
    

इन विषयों पर विस्तार से चर्चा तो होनी ही चाहिए, साथ ही साथ इन विषयों पर चर्चा करने वाले अगर राजनीती शास्त्र के प्रोफेसर / जज / वकील इत्यादि संविधान की दृष्टि से कुछ और विषय पर भी नागरिकों को ज्ञान देना / व्याख्या करना आवश्यक समझें, तो वह विषय भी इस सूचि में जोड़ देने चाहिए ! याद रहे कि यह धारावाहिक बनाने का असली मकसद केवल संविधान पर ज्ञान बाँटना ही नहीं है, बल्कि देश के नागरिकों के दिल में संविधान के प्रति पूर्ण श्रद्धा , विश्वास और पूरे देश और समाज के लिए इसकी उपयोगिता सिद्ध करना भी होना चाहिए , नागरिकों के साथ २ नेताओं को भी इसके सही संचालन / प्रचालन के लिए संवेदनशील बनाना भी होना चाहिए, क्योंकि यह संविधान ही है जिसके आधार पर पूरे देश ( जिसमें सभी प्रांतों के इलावा केंद्र शासित प्रदेश भी आते हैं ) का शासन / प्रशासन केवल चलते ही नहीं , बल्कि बढ़िया / सुचारु रूप से चलने चाहिए , ताकि देश की तमाम जनता जनार्दन को लगना भी चाहिए कि संविधान में वर्णन किये गए यह सभी कानून कायदों के प्रावधान देश के लिए कितने आवश्यक है ! बहुत से लोग संविधान को केवल एक पुस्तक ही समझकर उसको केवल स्कूल / कॉलेज की लाइब्रेरी में सजावट की एक वस्तु ही बनाकर रख देते हैं , दिल से / श्रद्धा से उसको वह मान सम्मान नहीं देते जो किसी भी देश के संविधान को दिया जाना चाहिए ! यही कारण है कि कभी 2 समाचार पत्रों में या फिर समाचार चैनलों में पढ़ने सुनने को मिलता है कि फलानी जगह कुछ आसामाजिक तत्वों ने संविधान के कुछ पन्ने फाड़ दिए , और पुलिस भी ऐसे तत्वों पर कोई बनती दण्डात्मिक कार्यावाही भी नहीं करती , जबकि अन्य विकसित देशों में ऐसा देखने पढ़ने को नहीं मिलता ! वहां संविधान का और उसमें वर्णन किये गए क़ानूनी धाराओं का पूर्णरूप से ध्यान रखा जाता है , जिसकी वजह से वहां असामाजिक तत्वों पर भी अंकुश बना रहता है ! वहाँ पर इसी वजह से प्रत्येक किस्म के अपराध बहुत कम होते हैं , जबकि हमारे देश में तो आर्थिक अपराध करने वालों के तो इतने हौंसले बुलंद हैं कि वह जब चाहें , बैंकों से हज़ारों करोड़ के कर्जे लेकर / घोटाले करके विदेश भाग जाते हैं और और ऐसी घटनाओं की वजह से ही बैंकों की आर्थिक स्थिति वर्ष दर वर्ष बिगड़ती ही रहती है, जिसका खामियाज़ा उन बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थाओं के हज़ारों कर्मचारियों को अपनी नौकरियाँ गंवाकर भुगतना पड़ता है ! आए दिन महिलाओं / लड़कियों पर होने वाले हज़ारों अपराधों का भी यही कारण है, यहां तो गुंडे बदमाश छोटी २ बच्चियों को भी नहीं बख्शते ! 

देश के सभी नागरिकों और सभी नेताओं को यह बात समझनी भी बड़ी आवश्यक है हमारा संविधान एक बहुत बड़ी हकीकत है और देश का सबसे बड़ा और पवित्र ग्रन्थ यही है, जिसके आधार पर पूरा देश चलता है और यह कैसे चलता है – इसकी चर्चा देशों विदेशों में अक्सर सूचना संचार के माध्यम से होती भी रहती है, इसके बिलकुल विपरीत जो देवी देवताओं पर अनेकों धारावाहिक बनाये गए हैं , उन देवी देवताओं को इतिहासिक दृष्टि से सच्चाई / प्रामणिकता सिद्ध भी नहीं कर सकते ! बहुत से ऐसे हमारे देवगण केवल पौराणिक कथा कहानियों पर आधारित ही है , काल्पनिक या फिर यह अच्छी साहित्यिक रचनाएं तो हो सकती हैं, लेकिन कोई इतिहासकार उनकी हकीकत की पुष्टि नहीं करता ! महात्मा बुद्ध, महावीर, गुरु रविदास, गुरु नानक देव, संत कबीर जी, गुरु तेग बहादुर जी और गुरु गोबिंद सिंह जी वगैरह के इतिहास और उनके जीवन की अनेकों प्रमुख घटनाओं की प्रमाणिकता तो हमें इतिहास में मिल ही जाती हैं, लेकिन इसी तरह राम , ब्रह्मा , विष्णु महेश , काली माता , दुर्गा माता और सरस्वती माता इत्यादि को ऐतिहासिक दृष्टि से सत्यता सिद्ध नहीं की जा सकती ! यह अच्छी साहित्यिक / काल्पनिक रचनाएं तो हो सकती हैं , यह सभी सत्य नहीं हैं ! यह देवगण हम मानवों की तरह ही हाड़ मास और खून के जिन्दा जागते, चलते फिरते भी रहे हैं, इस बात की प्रमाणिकता कोई इतिहासकार नहीं करता ! लेकिन, संविधान तो सत्य है, यथार्थ है, हमें इस बात की सत्यता और उपयोगिता पर हरगिज़ संदेह नहीं होना चाहिए !

इसलिए संविधान का दर्जा किसी भी देवी देवताओं से बहुत ऊपर / ऊँचा होना चाहिए और इसको एक बड़ा पवित्र ग्रन्थ मानते हुए इसको सबको अच्छी तरह पढ़ाया, समझाया जाना और हमारे लिए समझना राष्ट्रहित की दृष्टि से भी बेहद आवश्यक बन जाता है ! जय भीम ! जय भारत !! जय विज्ञान !!! जय संविधान !!!!

आरडी भारद्वाज “नूरपुरी “