जब एक दरवाज़ा बंद होता है तो हज़ार दरवाज़े खुलते हैं

हम सब जानते हैं कि कोरोना महामारी के चलते सभी विद्यालय शिक्षार्थियों की सुरक्षा हेतु बंद किए गए हैं। क्या हुआ जो विद्यालय का एक द्वार बंद हुआ ,हमने ऑनलाइन शिक्षण के माध्यम से घर को ही शिक्षालय में परिवर्तित कर दिया।  जी.डी. गोयंका द्वारका द्वारा विद्यार्थियों के सीखने संबंधी सभी अवरोधों को दूर करते हुए 24 मार्च से ऑनलाइन शिक्षण का आरंभ किया गया। ज़ूम, माइक्रोसॉफ्ट , विद्यालय के यूट्यूब चैनल आदि के द्वारा इसका आरंभ किया गया।

ऑनलाइन कक्षाओं के  लिए विद्यालय की ओर से  विद्यार्थियों और अभिभावकों को यथावत ट्रेनिंग दी गई , साइबर सिक्योरिटी की जानकारी उपलब्ध करवाई गई ।मैं संपूर्ण शिक्षकों की ओर से अपनी प्रधानाचार्या जी द्वारा आनलाइन कक्षाओं के आयोजन हेतु उठाए गए कदम  की प्रशंसा करती हूं। साथ ही  सभी अभिभावकों के प्रोत्साहन और उत्साहवर्धन के लिए धन्यवाद करती हूँ , जिन्होंने ऑनलाइन कक्षाओं में  स्वयं भी भाग लिया और यह सुनिश्चित किया कि छात्र दिए गए काम को समय से पूरा करें। ऑनलाइन कक्षाओं का आयोजन केवल किताबी शिक्षा देने के लिए नहीं किया गया बल्कि शिक्षण को रुचिकर बनाने के लिए किया गया।   व्यावहारिक दृष्टिकोण के मध्य नज़र रखते हुए  घर के हर कोने को एक प्रयोगशाला में बदल दिया गया। छात्रों के  घरों के रसोईघर, अध्ययन कक्ष, अतिथि कक्ष  और गार्डन सभी  गणित , विज्ञान , समाजशास्त्र और भाषा की प्रयोगशालाओं में बदल गए । वैसे भी  जहाँ चाह होती है, वहाँ राह होती है। मम्मी की रसोई में बच्चों को  विज्ञान सीखने के उपकरण दिखाई देने लगे। रसोई की व्यंजन सामग्री को मापते हुए आज वे गणित का अभ्यास करते हैं, विभिन्न सामग्रियों के बीच होने वाली रासायनिक प्रक्रिया का पता लगाते हैं। यहां तक ​​कि विभिन्न उपकरणों जैसे कि पंखे, दीवार घड़ी, दर्पण आदि में छिपे हुए भौतिकी के रहस्यों को जानने में लगे हैं।  इतिहास, भूगोल और समाजशास्त्र अब पुराने दोस्तों की तरह प्रतीत होते हैं जब छात्र इस महामारी के प्रसार के जवाबों की तलाश में दुनिया भर में अतीत के हर एक विस्तार का पता लगाते हैं।

इस महामारी से जो एक सकारात्मक बात सामने आई है वह यह है कि छात्र अब प्रकृति का सम्मान करते हैं और जानते हैं कि इस बड़े ब्रह्मांड में सबसे छोटी इकाई भी एक उद्देश्य के बिना नहीं है। ऑनलाइन शिक्षण और विषय  संबंधित गतिविधियों के माध्यम से छात्रों के लिए ‘स्वयं करके सीखने’ का मंच तैयार हुआ। विद्यार्थियों के सीखने को मूल्यांकित करने के लिए आनलाइन मूल्यांकन परीक्षाओं का आयोजन भी किया गया। यही नहीं  उनके और उनके अभिभावकों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य का भी पूरा ध्यान रखा गया ।जिसके लिए संगीत ,नृत्य, ऑन लाइन रंगमंच,योग ,पी.टी, एरोबिक्स,   मनोरंजक कक्षाओं तथा विशेषज्ञों  के साथ प्रेरक कार्यशालाओं का आयोजन किया गया ताकि घंटों ऑनलाइन बैठ कर छात्रों का स्वास्थ्य बिगड़ ना जाए क्योंकि हमारा उद्देश्य केवल किताबी ज्ञान नहीं बल्कि शिक्षार्थियों का सर्वांगीण विकास है।

सरिता शर्मा
डी.गोयंका पब्लिक स्कूल, द्वारका