प्रेमबाबू शर्मा
संस्था नागरिक परिषद् दिल्ली के तत्वाधान में बाराखंबा रोड स्थित आर्य आनाथालय में एक विचार गोष्ठी का आयोजन हुआ। विषय था ‘वर्तमान में भूमि अधिकरण कानून से बढता असंतोष व उस कानून में सामुचित परिवर्तन की रूपरेखा’। परिचर्चा में पूर्व केन्द्रिय मंत्री सोमनाथ शास्त्री, पूर्व उपराज्यपाल केदारनाथ साहनी, अध्यक्ष भारतीय किसान परिषद् कृष्णवीर चैधरी, पूर्व प्रशासनिक अधिकारी भूरेलाल, गांधीवादी नेता बाबूलाल शर्मा, कृषि विशेषज्ञ देवेन्द्र शर्मा, समाजसेवी पदमचंद गुप्ता सहित अनेक गणमान्य लोगों ने अपने विचार व्यक्त किये।
अपने विचार व्यक्त करते हुए पूर्व केन्द्रिय मंत्री सोमनाथ शास्त्री ने कहा कि भूमि अधिकरण नीतीयों से किसानों कें साथ हो रहे घोर अन्याय के लिए किसी एक दल जिम्मेदार नही ठहराया जा सकता, बल्कि सभी राजनैतिक दल इसके लिए जिम्मेदार है। उन्होंने कुछ आंकडो का हवाला देते हुए बताया कि सरकार और बिल्डर की सांठ गांठ के चलते किस प्रकार से किसानों पर शोषण हो रहा है आने वाले समय में इसका असर केवल किसानों पर ही नही होगा, अपितु इससे भूमिहीन मजदूर भी प्रभावित होगें। उन्होंने इसके लिए 50 वर्षो तक के भूमि मूल्यों को ध्यान में रखते हुए एक साशक्त नीती बनाने का सुझाव रखा। कृषि विशेषज्ञ देवेन्द्र शर्मा ने भूमि अधिकरण से होने वाले नुकसान का सीधा असर भारत की खाद्य नीती पर पडने की जानकारी दी। वरिष्ठ अधिवक्ता व नागरिक परिषद् के अध्यक्ष वीरेन्द्र प्रताप सिंह ने किसानों और निवेशकों के हित पर विचार व्यक्त करते हुए कहा कि किसानों को उचित मुआवजे और भूमि अधिकरण के लिए एक साशक्त नीती बनाना जरूरी है और उन्होंने निवेशकों को होने वाले नुकसान को ध्यान में रखते हुए कहा कि अब समय की मांग है कि बिल्डरों और किसानों दोनों को मिलकर एक ऐसा समझौता कर लेना चाहिए, जिससे दोनों ही पक्षों का भला हो। सभी वक्ताओं ने वीरेन्द्र प्रताप चैधरी को किसानों को उनको हक दिलाने के लिए धन्यवाद दिया।