अनुष्का शर्मा गजब की एक्टर है और हर बार वे कुछ नया और अच्छा काम करने का प्रयास करती है। अब उनकी सलमान खान स्टारर फिल्म ‘सुल्तान’ रीलिज की तैयारी में है,फिल्म में अनुष्का पहलवानी करती नजर आएंगी। हाल में उनसे प्रेमबाबू शर्मा की बातचीत हुई पेश है, पेश हैं कुछ मुख्य अंश-
पहली बार सलमान के साथ काम करके कैसा फील कर रही हैं?
मैं उनके साथ काम करके बहुत एक्साइटेड हूं। वे मेगा स्टार हैं और उनके साथ काम करने का अनुभव काफी यादगार रहा। उनके साथ अभिनय मिलने के अवसर को मैं कभी भुला नहीं सकती। साथ ही अभिनय के दौरान उनसे कई चीजें सीखने को भी मिलीं। इसके अलावा मैं खुद को बहुत लकी मानती हूं कि मैं इंडस्ट्री में तीनों खान के साथ काम चुकी हूं, जो मेरे लिए यादगार रहेगा। हकीकत में वे जैसे है, वैसे ही वे सभी के साथ बिहेव करते हैं। यानी ऐसा बिल्कुल नहीं है कि वे आपके साथ कोई और बात करें और किसी अन्य के साथ दूसरे लहजे में पेश आएं। इसलिए उनमें यह खास क्वालिटी मुझे बहुत अच्छी लगी।
इसके लिए मुझे दिल्ली के रहने वाले जगदीश काली जी ने ट्रेंड किया और पहलवानी के कई दांव-पेंच सिखाए। इसके लिए मुझे बहुत हार्ड कोर वर्क करना पड़ा, तब जाकर मैं अपने रोल के साथ न्याय कर सकी। इसके लिए मैंने अपनी बॉडी को भी बिल्टअप किया और इसके लिए मुझे कई तरह के वेज प्रोटीन भी लेने पड़े, ताकि एक पहलवान के तौर पर मैं खुद को साबित कर सकूं। वेज इसलिए, क्योंकि मैं अभी दो साल पहले ही वेजीटेरियन बनी हूं। इसके अलावा मैंने अपनी पूरी ट्रेनिंग एक लड़के के साथ की, जो एक एक्ट्रेस व महिला होने के लिहाज से मेरे लिए काफी अनुभवी रहा।
क्या आपको लगता है कि इससे पहलवानी के प्रति लोगों का नजरिया बदलेगा?
जी बिल्कुल, जब लोग देश का सुपर स्टार को पहवानी करते देखेंगे तो जाहिर सी बात है कि कई मायनों में पहवानी के प्रति लोगों का नजरिया जरूर बदलेगा। आज के दौर में महिलाओं के लिए जो बदलाव आया है, वह फिल्म में भी देखने को मिलेगा। आज देश में कई महिला पहलवान हैं, जिन्हें शायद हम जानते भी नहीं। लेकिन इसके बाद महिलाओं के लिए भी पहलवानी में अवसर देखने की उम्मीद की जा सकती है। दरअसल, रेस्लिंग को लेकर मर्दों की तुलना में महिलाओं को थोड़ी कम तवज्जों ही दी जाती है, लेकिन आज जमाना बदल गया है और महिलाएं भी हर तरह के स्पोट्र्स में खुद को साबित कर रही हैं।
वाकई में एक तरह के रोल करना मेरे लिए बहुत मुश्किल सा होता है। मैं हमेशा ही कोशिश करती हूं कि अभिनय में कुछ अलग करने का मौका मिले, जिसकी वजह से अलग-अलग किरदारों को ही मैं तवज्जो देती हूं। वैसे भी मेरी हॉबी हमेशा कुछ नया करने और सीखने की रही है, अलग किरदार करने में भी मुझे हर बार कुछ नया सीखने व समझने का मौका मिलता है।
फिल्म में आखिर आप पहलवान कैसे बनती हैं?
फिल्म में मेरा ड्रीम ओलंपिक मेडल जीतने का होता है। वह बहुत ही फोकस लड़की होती है, जिसे सिर्फ अपनी मंजिल ही दिखाई देती है और वह उसके लिए हर तरफ के संभव प्रयास भी करती है। बस, इसी वजह से उसके मन में पहलवानी का जुनून सवार रहता है, क्योंकि उसे अपना सपना पूरा करना होता है।
आए दिन सोशल मीडिया पर उठ रहे विवादों पर क्या कहना चाहेंगी?
सोशल मीडिया पर विवादों को उठाने वाले लोग बहुत ही बेकार किस्म के होते हैं, उनमें हकीकत में कोई हिम्मत नहीं होती। वे सिर्फ वहां पर अपनी भड़ास ही निकालते रहते हैं और उनके लिखे मैसेजों में नजर आता है कि वे बगैर किसी मतलब के सामने वाले पर फालतू के ही टिप्पणी कर रहे हैं। पहले तो मैं उस ओर थोड़ा ध्यान भी देती भी देती थी, लेकिन आज मैं उसके बारे में कुछ नहीं सोचती। क्योंकि उनके पास कोई सच नहीं होता, वे सिर्फ खुद को ही हाईलाइट करने में लगे रहते हैं।
एक्टर और प्रोड्यूसर के बीच अंतर को आप कैसे देखती हैं?
दोनों का ही अपना उत्तरदायित्व होता है। एक एक्टर के तौर पर अपनी अलग जिम्मेदारी होती है, लेकिन एक प्रोड्यूसर के लिए हर तरह के उत्तरदायित्व बढ़ जाते हैं, क्योंकि उसे हर चीज में खुद को साबित करना होता है। साथ ही अगर आपकी फिल्म में अगर कोई रुपये लगाता है तो उसका मुनाफा भी बनाए रखना भी बड़ी जिम्मेदारी है। इसके अलावा मैंने अपने भाई से सीखा है कि प्रोडक्शन हकीकत में पीपुल मैनेजमेंट होता है तो मैंने यह जिम्मा उसी को दे दिया है और मैं क्रिएटिव कामों की ओर ध्यान देती हूं। इस तरह से दोनों में ही क्रिएटिव होता है, लेकिन दोनों की जिम्मेदारियों और उत्तरदायित्व में जमीन-आसमान का अंतर है।
आगे के प्रोजेक्ट्स के बारे में बताएंगी?
फिलहाल मैं अपने प्रोडक्शन की फिल्म श्फिलौरीश् पर ध्यान दे रही हूं और इसके लिए महबूब स्टूडियो में सेट भी तैयार किया जा रहा है। साथ ही एक फिल्म इम्तियाज के साथ है। इसके अलावा भी कई अन्य प्रोजेक्ट्स हैं, जिन्हें समय आने पर बताना उचित रहेगा।