किरदारों से खेलते है बोमन ईरानी

प्रेमबाबू शर्मा


खोसला का घोषला से बालीवुड से दस्तक देने वाले बोमन ईरानी ने 3 इंडियट, मुन्नाभाई एमबीबीएस, लगे रहो मुन्ना जैसी अनेक फिल्मों में कम समय में अलग-अलग तरह की भूमिकाएं कर हिन्दी फिल्म जगत में अपनी महत्ता साबित की है। उनकी आने वाली फिल्म का नाम ‘जॉली एलएलबी’ है जिसमें वे एक चर्चित वकील के किरदार में हैं। 

जॉली एलएलबी में काम करने की वजह क्या रही?
सुभाष कपूर की ‘फंस गए रे ओबामा’ मैंने पहले नहीं देखी थी। हम दोनों ‘जॉली’ शुरू करने से पहले तीन बार मिले। मुझे कहानी अच्छी लगी और उनकी सोच अच्छी लगी। फिर मैंने ‘फंस गए रे ओबामा’ देखी। उसके बाद मैंने सुभाष के साथ कई मुलाकातें की। मैं हमेशा अपने निर्देशकों के साथ कंफर्टेबल होने की हद तक मुलाकातें करता हूं। सामान्यतया लोग नए लोगों से पूछताछ करते हैं कि क्या, क्यों और कैसे? लेकिन मेरा मानना है कि हर फिल्म नई होती है और हर निर्देशक नया ही होता है। ‘फंस गए रे ओबामा’ एक अलग फिल्म थी और ‘जॉली एलएलबी’ बिलकुल अलग। इसी वजह से मैंने इसमें काम किया है। 

फिल्म में अपनी भूमिका के बारे में कुछ बताएं?
मैं इस फिल्म में दिल्ली में रहने वाला एक वकील बना हूं जो हिन्दुस्तान का सबसे महंगा वकील है। मैंने कभी कोई केस नहीं हारा और हार मुझे बर्दाश्त भी नहीं है। जिस स्तर पर मैं वकालत करता हूं वहां जीतने के लिए मैं कोई भी हथकंडा अपना सकता हूं। कानून को बाएं हाथ क्या, एक अंगुली से घुमाना मुझे आता है। फिर एक दिन मेरा सामना मेरठ के एक कमजोर और सामान्य वकील अरशद वारसी से होता है। यहीं से कहानी में ट्विस्ट शुरू होता है।

निजी जिंदगी में कभी वकीलों का सामना हुआ है?
भगवान की दया से ऐसा कभी नहीं हुआ है और शुभ-शुभ कहिए जनाव। मैं या कोई और, कभी भी वकीलों के पास नहीं जाना चाहेगा। अगर कुछ ऐसा होता है तो मैं हमेशा मामला कोर्ट के बाहर सुलझाने की कोशिश करूंगा और लोगों को भी यही सलाह दूंगा। 


देश की न्यायिक प्रक्रिया से कितना इत्तेफाक रखते हैं?
लंबी और थका देने वाली न्यायिक प्रक्रिया ही हमारे यहां देखने में आती है। दिल्ली गैंगरेप की घटना फास्ट ट्रैक कोर्ट में इस वजह से गई क्योंकि वहां जनता का दबाव बहुत अधिक था। मैं फास्ट ट्रैक अदालतों का पक्षधर हूं। हत्या, बलात्कार और राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे मसले इन्हीं अदालतों में सुलझाने चाहिए, जबकि निजी झगडे अदालत के बाहर सुलझाने की कोशिश करना चाहिए। 

वकील की भूमिका के लिए कुछ वकीलों से मिलना-जुलना हुआ?
फिल्म की शूटिंग की प्रक्रिया में बहुत सारे वकीलों से मिला। लेकिन मुझे किरदार के लिए टिप्स मिला अपने बेटे के सुसर से। वो एक जाने-माने वकील हैं। उनके साथ मैं अदालत में भी गया, उनके बात करने का तरीका काफी अलग है। हम फिल्मों में जो कोर्ट रूम देखते आए हैं दरअसल कोर्टरूम वैसा होता नहीं।

अरशद ने आपको ‘मुन्ना भाई’ में भी परेशान किया और इस फिल्म में भी क्या उसी स्तर की फजीहत करेंगे आपकी?
अरशद इस फिल्म में मुझे परेशान तो करेंगे, लेकिन वैसे नहीं जैसे उन्होंने ‘मुन्नाभाई’ में किया था। कहानी, किरदार और बैकड्रॉप के मामले में यह फिल्म पूरी तरह अलग है। हां, इस फिल्म में अरशद मुझे तब परेशान करते हैं जब मेरी सत्ता को चुनौती मिलती है। मुझे लगता है कि मेरठ का एक सड़क छाप वकील मुझे हरा कैसे सकता है? अरशद के साथ निजी जिंदगी में भी मैं ऐसा ही करता रहता हूं तो मुझे वो क्या परेशान करेगा। हम दोनों कभी भी गाली-गलौज कर सकते हैं। हमारे लिए स्क्रीन शेयर करना मजे में काम करने जैसा है।