भारतीय क्रिकेट टीम को युवराज जैसे मजबूत व अनुभवी खब्बू हरफनमौला खिलाडी की जरुरत है.


एस.एस.डोगरा 

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बिल्कुल इस बात की संभावना है कि मैं दोबारा भारत के लिए न खेल सकूं। लेकिन इस बात की भी संभावना है कि टीम में वापसी कर सकता हूं। जहां तक मेरा विश्वास है कि मैं टीम में लौट सकता हूं मैं इसके लिए लगातार कोशिश कर रहा हूं।

विजडन पत्रिका को दिए इंटरव्यू में सिक्सर किंग युवराज ने उक्त वक्तव्य देकर न केवल भारतीय क्रिकेट बोर्ड को बल्कि क्रिकेट प्रेमियों को हैरत में डाल दिया है. और सबसे बड़ी बात है कि इस विषय को लेकर किसी भी बड़े क्रिकेट खिलाडी ने कोई सहानुभूति नहीं दिखाई जबकि अभी युवराज मात्र ३२ साल के ही हैं. उन्होंने भारत वर्ष के लिए 40 टेस्ट में ३३.९३ की औसत से १९०० रन तथा २९२ एकदिवसीय मैचों में ३६.३७ की बेहतरीन औसत से ११ शतकों व् ५१ अर्धशतकों की मदद से कुल ८३२९ रन के अलावा 111 विकेटें भी चटकाएँ हैं. टी-२० में भी ३४ मैचों में ३३.३८ की औसत तथा ७ अर्धशतकों की बदौलत ८६८ रन तथा २३ महत्तवपूर्ण विकेट भी लिए हैं.

याद रहे वर्ष २०११ के विश्व कप मैंन ऑफ़ द सीरिज रहे युवराज ने वर्ल्ड कप का ख़िताब जिताने में अहम् भूमिका अदा की थी. इससे पहले सन २००७ में टी-२० के पहले वर्ल्ड के मैच में जेम्स स्टुअर्ट के एक ओवर में छ छक्के जड़कर तथा उस टूर्नामेंट में भी उम्दा बल्लेबाजी के दम पर ही भारत को ख़िताब जिताने में सहायता की थी.

युवराज ने एकदिवसीय में सन २००० में तथा टेस्ट में २००३ में भारतीय टीम के लिए पर्दापर्ण किया, लेकिन एक दशक में उनके द्वारा स्थापित अच्छे रिकार्ड खुद ही उनकी काबिलियत साबित करने में सक्षम हैं. वैसे युवराज के टेस्ट में और भी अच्छे बल्लेबाजी के रिकार्ड होते परन्तु वीरेंदर सहवाग, गौतम गंभीर, राहुल द्रविड़, सचिन तेंदुलकर, सौरभ गांगुली, वीवीएस लक्ष्मण से दिग्गज बल्लेबाजों के रहते उन्हें टेस्ट में अधिक टेस्ट में खेलना नसीब ही नहीं हुआ. लेकिन केंसर जैसी गंभीर बीमारी से जीतने के बाद उन्हें पुन: टीम में जगह बनाए रखना भारतीय टीम के लिए ही हितकारी होगा. आगामी आस्ट्रेलिया दौरे में टेस्ट के अलावा त्रिकोणीय श्रंखला खेलनी है और उसके बाद विश्व कप 2०१५ के लिए उन जैसे अनुभवी खिलाडी से टीम इंडिया को मजबूती मिलेगी.

युवराज ने विजडन पत्रिका को इंटरव्यू में कहा कि लोगों की राय लगातार बदलती रहती है। अगर आप अच्छा करते हैं तो सभी आप की तारीफ करते हैं, लेकिन खराब प्रदर्शन शुरू होते ही लोग अलग बात करने लगते हैं। खिलाड़ियों पर बोलकर सुर्खियों में आने का ये आजकल कई लोगों का धंधा बन गया है। मैं इस पर हंसता हूं और ज्यादा सोचे बिना खेल पर ध्यान देता हूं। उन्होंने आगे कहा कि सेलेक्शन के बारे में मैं कुछ नहीं कहना चाहता। मेरे पास जितने घरेलू मैच है मैं उनमें अच्छा प्रदर्शन की कोशिश कर सकता हूं।

वैसे उनसे कई वरिष्ठ खिलाडियों को सबक अवश्य लेनी चाहिए जो अब अपनी बेकार परफॉरमेंस के बाबजूद टीम में चुने जाने की उम्मीद बनाए बैठे हैं.

2011 वर्ल्ड कप के बाद 19 वन-डे मैचों में युवराज का औसत 19 (18.37)से भी कम का रहा है। युवराज का फर्स्ट क्लास क्रिकेट या फिर आईपीएल में भी अपनी प्रतिभा के मुताबिक रन नहीं बटोरे हैं। जबकि सुरैश रैना के बेहतरीन खेल के चलते भी शायद चयनकर्ताओं ने भी युवी को गंभीर विकल्प के तौर पर गंभीरता से लेना छोड़ दिया। लेकिन क्रिकेट पंडितों का मानना है कि युवराज में क्रिकेट बचा हुआ है और भारतीय क्रिकेट बोर्ड उन्हें आस्ट्रेलिया के लिए तथा आगामी वर्ल्ड कप में अवश्य मौका देगा जो भारतीय क्रिकेट के लिए भी लाभकारी साबित हो सकता है. वैसे भी भारतीय क्रिकेट टीम में मध्यम-क्रम में मजबूत व अनुभवी खब्बू हरफनमौला खिलाडी की जरुरत है जो क्रिकेट के तीनों फॉर्मेट में फिट भी हो और हिट भी हो. अब सबसे अहम् सवाल ये है कि भारतीय क्रिकेट बोर्ड उनमे कितना विश्वास दिखाता है और उन्हें आगामी क्रिकेट दौरे में चुनने की पहल दिखाते हैं. और यदि वे चुने जाते हैं अपने क्रिकेट के जौहर दिखाने में सफल होते हैं तो वे अपनी विलक्षण प्रतिभा से टीम इंडिया का तो भला करेंगे ही बल्कि अपने आलोचकों का मुहँ बंद करने में भी कामयाब हो सकेंगे.