सनी देओल लकी हैं अनिल शर्मा के लिए


प्रेमबाबू शर्मा 

फिल्म की कहानी और इसके किरदारों के बारे में बताएं?
सनी देओल “शरणजीतसिंह सनी” उर्फ “मिस्टर सिंह” का कैरेक्टर प्ले कर रहे हैं। “मिस्टर सिंह” डीएम है, जो सिस्टम में रहकर सिस्टम को बदलना चाहता है, प्रकाश राज करप्ट विधायक की भूमिका में हैं। फिल्म की कहानी करप्शन और भारत के मौजूदा राजनीतिक माहौल पर आधारित है। फिल्म में एक मैसेज भी है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ कैसे लड़ा जाए। संसार में करप्शन खत्म होगा या नहीं, ये ऐसा सवाल है, जैसे शराब और सेक्स खत्म होगा या नहीं।

डीएम और नौकरशाही पर लगातार फिल्में बनती रही हैं। सनी पिछली फिल्मों की तरह इस फिल्म में भी “लार्जर देन लाइफ” इमेज में तो नहीं हैं?
इस विषय को दिखाने का एक तरीका है दिबाकर बनर्जी की “शंघाई” की तरह, जिसमें डीएम अपने सीनियर और नेताओं के आगे नतमस्तक है या फिर जैसे “गदर” में एक आम इंसान सैकड़ों की भीड़ को अकेले धूल चटा देता है। मैं मानता हूं कि सिस्टम के आगे हर किसी के हाथ बंधे हुए हैं। खासकर नौकरशाह कानून का पालन तब तक नहीं कर सकते, जब तक उनके सीनियर न चाहें, लेकिन इस फिल्म की रिसर्च के दौरान मैं ऐसे कई डीएम से मिला, जिन्होंने बहादुरी की कमाल की मिसाल कायम की है। बाहुबली नेताओं और माफिया के इलाके में रहकर उन्होंने कानून की रक्षा की है। दूसरी चीज कि मैं हमेशा मजबूत और साहसी शख्सियत में यकीन रखता हूं। मेरा मानना है कि भारत के लोग बहुत मजबूत हैं। इसलिए मेरी फिल्मों के हीरो “लार्जर देन लाइफ” होते है, लेकिन आप ध्यान दें तो मेरी फिल्मों के विलेन भी कम खतरनाक नहीं होते। इसलिए सनी अब तक जिस तरह से पर्दे पर दिखते आए हैं, उसमें बहुत बड़ा बदलाव नहीं होगा।

आपने कहा, आप कमजोर इंसान में यकीन नहीं रखते। भारत में मजबूत लोग हैं, फिर यहां इतना करप्शन क्यों होगा है?
क्योंकि हर आदमी ताकतवर है। यहां स्थिति यह है कि सबके हिस्से में किसी न किसी किस्म की अथॉरिटी है। आज आप किसी को एक थप्पड़ रसीद कर देखो, वह अगले ही पल जंतर मंतर या आजाद मैदान में धरना देता दिखाई देगा। दिक्कत सिस्टम में है। इसमें इतने सारे लूपहोल हैं कि हर किसी को करप्शन करने का मौका मिल जाता है। नतीजतन, हर कोई एक-दूसरे का हिस्सा छीन रहा है। जिन्हें इसे रोकने की जिम्मेदारी मिली हुई है, वह अपने सीनियर के आदेश के चलते हाथ पर हाथ धरे बैठा है। जिस दिन सिस्टम सुधरा, भारत में उसी दिन से खुशहाली आ जाएगी। दूसरी बात कि करप्शन करना ईमानदार रहने से ज्यादा मुश्किल और टेढ़ा काम है। कमजोर दिल का इंसान तो यह कर ही नहीं सकता, फिर आप कैसे कह सकते हैं कि यहां के लोगों का व्यक्तित्व कमजोर है।

सनी इससे पहले भी सिस्टम के खिलाफ खड़े होने वाले शख्स की भूमिका निभाते रहे हैं। इसमें क्या अलग है?
वे एक ऐसे डीएम बने हैं, जो बहुत मजाकिया है। शेरो-शायरी करता है। बिना गंभीर रहे बड़े से बड़ा काम चुटकियों में निपटा देता है। उसे देखकर कोई अंदाज नहीं लगा सकता कि उसकी हंसी के पीछे कितने राज हैं। एक ही समय पर उसके दिमाग में कितनी योजनाएं चल रही हैं। वह सिस्टम को बदलने के लिए मध्यमार्ग अपनाता है। जहां नेताओं और अफसरों के सामने झुकने की जरूरत होती है, वहां झुकता है, बाद में उनकी ईंट से ईंट बजा देता है। वह क्रांतिकारी बनकर अपनी और परिवार की जिंदगी जोखिम में नहीं डालता है।

प्रकाश राज को लेने की क्या वजह रही?
वे बहुत उम्दा कलाकार हैं। उनकी सबसे बड़ी खासियत है कि वे किरदार को ग्लोरिफाई यानी अलंकृत कर देते हैं। इन दिनों काफी मशूहर भी हैं। मैं उन्हें आज का अमरीश पुरी मानता हूं। उन्हें ध्यान में रखकर विलेन का कैरेक्टर लिखा है।

सनी देओल आपके लिए लकी हैं?
जी हां! देओल परिवार से मेरा बहुत पुराना नाता है। धरमजी के संपर्क में “द बर्निंग ट्रेन” से आया। मैं तब १९ साल का था और फिल्म में सहायक निर्देशक था। उन्होंने मुझे इतना प्यार दिया कि मैंने तभी सोच लिया कि आगे चलकर इनके साथ ही फिल्में बनाऊंगा। वही हुआ। उनके साथ “तहलका” तक सफर चला, फिर सनी आ गए। उनके साथ “गदर” कमाल की ब्लॉकबस्टर साबित हुई। लोगों ने “द हीरो” और “अपने” को भी खूब सराहा। उनके साथ मेरी ट्यूनिंग भी कमाल की है। इसलिए तब से उनके साथ लगातार फिल्में कर रहा हूं। वैसे मैं इंडस्ट्री के हर कलाकार के साथ काम करना पसंद करता हूं।