अखिल भारतीय स्वतंत्र पत्रकार एवं लेखक संघ एवं नेशनल मीडिया नेटवर्क के राष्ट्रीय अध्यक्ष दयानंद वत्स ने अभिनेत्री रानी मुखर्जी के पिता, हिंदी और बंगाली फिल्मों के मशहूर निर्माता, निर्देशक और स्क्रीन राईटर तथख मुंबई में फिल्ममालय स्टुडियो के संस्थापक श्री राम मुखर्जी के आकस्मिक निधन को हिंदी और बंगाली सिनेमा की अपूरणीय क्षति बताते हुए स्वर्गीय श्री राम मुखर्जी को उनके लाखों प्रशंसकों की ओर से अपने श्रद्धा सुमन अर्पित किए।
श्री वत्स ने कहा कि 1964 में राम मुखर्जी ने अपने निर्देशन में दिलीपकुमार और.वैजंतीमाला को लेकर ‘लीडर’ फिल्म बनाई थी जो एक पॉलिटिकल ड्रामा थी। लीडर फिल्म का संगीत नौशाद साहब और गीत शकील बदायूंनी ने लिखे थे। मोहम्मद रफी की आवाज में गाया गीत “अपनी आजादी को हम हरगिज भुला सकते नहीं, सर कटा सकते हैं लेकिन सर.झुका सकते नहीं”आज भी लोगों की जुबान पर चढा है।
इसी फिल्म का एक अन्य गीत “मुझे दुनिया वालो शराबी ना समझो” ओर “एक शहंशाह ने बनवाके हसीं ताजमहल सारी दुनिया को मुहब्बत की निशानी दी है”आज भी अमर हैं। “तेरे हुसन की क्या तारीफ करुं कुछ कहते हुए जी डरता है” और आशा भोंसले का गाया गीत “दैय्या रे दैय्या चढ गयो पापी बिच्छुआ” गीत आज भी उतना ही लोकप्रिय है जितना 1964में था। जॉय, देब मुखर्जी एवं तनुजा को लेकर राम मुखर्जी ने एक बार मुस्कुरा दो बनाई। अपनी सुपुत्री रानी मुखर्जी को लेकर उन्होंने राजा की आएगी बारात फिल्म बनाई। राम मुखर्जी को गीत और संगीत की अच्छी परख थी। श्री वत्स ने कहा कि राम मुखर्जी बहुआयामी प्रतिभा के धनी फिल्मकार थे। उनके निधन से फिल्मोद्योग ने अपना एक अनमोल रत्न खो दिया है।