प्राचीन कालका जी मंदिर के मूल पुजारियों की संस्था ट्रस्ट आॅफ मालकान के महासचिव राकेश भारद्वाज ने मंदिर में फैली अव्यवस्थाओं पर रोष जताया है। उन्होंने एक संवाददाता सम्मेलन में अपने विचार प्रकट करते हुए कहा कि दिल्ली सरकार व दिल्ली नगर निगम और पुलिस प्रशासन की मिलीभगत से मंदिर परिसर में अवैध दुकानें रोजाना बनती जा रही है। इस अतिक्रमण के चलते यहां असमाजिक तत्वों का जमावड़ा हमेशा लगा रहता है। कई धर्मशाला और सरायों पर कुछ भूमाफियाओं ने कब्जे कर लिए है। यहां तक की एक धर्मशाला पर दिल्ली पुलिस ने भी अवैध कब्जा कर रखा है। उन्होंने कहा कि जब भी इस विषय में सम्बंध्ति विभागों को लिखा जाता है तो एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला शुरू हो जाता है और समस्या ज्यों की त्यों बनी रहती है। उन्होंने भविष्य की योजना के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि पुजारी चाहते हैं कि मंदिर की व्यवस्था सुचारू रूप से चले जिसके लिए एक व्यापक योजना पुजारियों के ट्रस्ट द्वारा बनाई गई है। जिसमें अवैध कब्जों से मंदिर की जमीन को मुक्त कराना, मंदिर परिसर के आसपास सौंदर्यकरण करना, मंदिर की खाली पड़ी भूमि पर धर्मशाला आदि का निर्माण करना शामिल है। उन्होंने कहा कि जल्द ही वे उपराज्यपाल से मिलकर इस आशय का ज्ञापन उन्हें सौंपेंगे।
ट्रस्ट के चेयरमैन पंडित ब्रजमोहन भारद्वाज ने कहा कि आदिकाल से इस मंदिर में पूजा अर्चना हम कराते रहे हैं लेकिन यहां देखते ही देखते अवैध कब्जों ने और यहां बढ़ रहे भिखारियों ने मंदिर की सौंदर्यता को धूमिल किया है। सूर्यकूट पर्वत के नाम से प्रसिद्ध इस प्राचीन काल का मंदिर की मान्यता दिन-प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है किन्तु इसके साथ-साथ असामाजिक तत्व और अनेक फर्जी संस्थाएं मंदिर पर कब्जे को लेकर नई-नई योजनाएं प्रशासन के साथ मिल कर बना रही है। जिसका हम पुरजोर विरोध सड़क से संसद तक करने के लिए तैयार है। इस मौके पर ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष मुख्तयार सिंह ने कहा कि यह मंदिर आर.पी. एक्ट के दायरे में आता है जहां बगैर मंदिर प्रशासन की एनओसी के लिए किसी भी प्रकार का बिजली, पानी, तदर्थ लाइसेंस, तहबाजारी लाइसेंस जारी नहीं किया जा सकता जबकि प्रशासन ने भ्रष्टाचार के चलते यहां यह सारे दस्तावेज अवैध कब्जा करने वालों के जारी कर दिए जिसकी उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए और दोषी अधिकारियों को सख्त से सख्त सजा मिलनी चाहिए।
इस अवसर पर ट्रस्ट के उपाध्यक्ष वेदप्रकाश भारद्वाज, संयुक्त सचिव पंडित नरेन्द्र भारद्वाज, एडवोकेट राजीव भारद्वाज आदि ने भी अपने विचार प्रकट किए।