कैलेंडर गर्ल ‘ के माध्यम से सच्चाई दिखाने की कोशिश की हैः मधुर भंडारकर

प्रेमबाबू शर्मा 

इन दिनों मधुर भंडारकर की फिल्म कैलेंडर गर्ल ‘ सुर्खियो में है। चांदनी बार, पेज 3, कारपोरेट, ट्रेफिक सिग्लन, फैशन से लेकर हीरोइन तक उन्होंने दर्शकों को सच दिखाया। अब बारी है कैलेंडर गर्ल्स की।

कैलेंडर गर्ल का आइडिया कैसे आया? इस पर मधुर काफी मजेदार जवाब देते हैं उनका कहते हैं, ये अनायास हुआ। मेरा ऑफिस की साफ-सफाई के दौरान बॉय कुछ कैलेंडर मेरे पास लाया और पूछा कि सर इनका क्या करें? पिछले कई बरसों से विजय माल्या मुझे ये कैलेंडर भेजते थे। यह कैलेंडर सुंदर होते हैं तो लोग अमूमन इन्हें संभाल कर रख लेते हैं। मैंने बॉय से कहा कि इन्हें कहीं रख दो। फिर दो-तीन दिन बाद अचानक मेरी नजर इन पर पड़ी और मैंने इन्हें पलट कर देखा। ये तीन या चार साल के कैलेंडर थे। मुझे लगा कि हर साल कैलेंडर में नई लड़कियां आती हैं। कैलेंडर शूट करते वक्त बड़ी खुश होती हैं। 365 दिन वह इस कैलेंडर में मौजूद रहती हैं। फिर नया कैलेंडर आ जाता है। तब ये लड़कियां कहां जाती हैं? यही सवाल इस फिल्म की शुरुआत बना क्योंकि 99 फीसदी लड़कियां फिर हमें कहीं नजर नहीं आतीं।

आपकी फिल्में जिन मुद्दों पर बनती हैं, अक्सर उन्हें एक्सपोज करती हैं। क्या जो लड़कियां मॉडल बनना चाहती हैं, कैलेंडर गर्ल्स देखने के बाद उन्हें झटका लगेगा? इस पर मधुर कहते हैं, मैं कभी किसी विषय का सिर्फ एक पक्ष नहीं दिखाता। मैं उसकी अच्छाइयां भी दिखाता हूं। हर फील्ड में अच्छे और खराब दोनों लोग होते हैं। आप पॉलिटिक्स को ही लीजिए! कैलेंडर गर्ल्स में भी ऐसा ही दिखेगा। मुझे नहीं लगता कि यह फिल्म देखने के बाद लड़कियां सोचेंगी कि हमें यह करिअर नहीं अपनाना चाहिए।