सुखविंदर कौर
एक भारतीय नागरिक
पिछले दिनों एक आर टी आई कार्यकर्ता एवं आप नेता के अपनी कार में किसी मानसिक रोगी की जला कर स्वयं को मृत साबित करके प्रेमिका संग बंगलुरु में पाए जाने की खबर मिली थी।सोशल मीडिया में अखबार की कटिंग डाल कर कमेंट बॉक्स में विभिन्न पार्टियों के फेसबुक भक्तों का कमेंट युद्ध जारी था। बचाव पक्ष के प्रतिनिधि ब्यान दे रहे थे की बीजेपी और कांग्रेस में भी तो लोग भृष्ट हैं। पढ़ कर मन बहुत क्षुब्ध हुआ ।मेरे आदर्श रहे अन्ना जी के आन्दोलन की परिणति अवसरवादी लोग इस प्रकार करेंगे ये कभी सोचा नहीं था।सबसे ज्यादा दुःख उन लोगो को देख कर हुआ जो वास्तव में सिस्टम सुधार की नियत से आखिर तक जुड़े रहे और कुछ मुठ्ठी भर लोगों के खुराफाती नेतृत्व के शिकार हो गये।
इसमें कोई शक नहीं की हर पार्टी में भृष्ट लोग होने की संभावना है। लेकिन दुःख इस बात का है क़ि अगर ऐसे ही लोगो की नई पार्टी बनानी थी तो नई पार्टी बनाने की जरूरत क्या थी?पुरानी ही काफी थी।चुनाव निशाँ झाड़ू क्या जनता को धोखा देने के लिए रखा है।अन्ना जी के आन्दोलन का लगा पौधा यथा रूप रहने दिया जाता ।राजनीतिज्ञों पर लगाम कसने के लिए। उस पौधे पर राजनीतिक कलम चढ़ा कर एकत्र धन से ऐसे लोग MLA CM बन गये जिनके 20- 20 करोड़ में बिकने का दावा विरोधी पार्टिया नहीं बल्कि खुद केजरीवाल जी लोगो को फ़ोन कर कर के कर रहे थे। हमें उम्मीद थी की आप आरोप प्रत्यारोप न करके सिस्टम की सफाई करेंगे। पर “आप” तो उसी थेली के चट्टे बट्टे निकले।यदि केजरीवाल को अपने लोगो के चयन पर भरोसा होता तो तो उन्हें MLA के बिकने की सम्भावना को लोगो को गाना नहीं पड़ता बल्कि वो विश्वास के साथ शांत रहते। हमारे देश को कथित इमानदारों की भीड़ की आवश्यकता नहीं है बल्कि एक अच्छी नियत वाले ईमानदार नेता की आवश्यकता है जो चाहे किसी भी पार्टी से हो।
मैं किसी पार्टी प्रवाह में बिना बह अपने ह्रदय से यह महसूस करती हु कि देश का सौभाग्य है की देश को अरसे बाद एक अच्छी नीयत का नेता मिला है। हो सकता है मुझे इतनी राजनीतिक समझ भी ना हो पर भारत की एक नागरिक होने के नाते ये मरे मन के उद्दगार है और मुझे लगता है की इस कर्म योद्धा के दुश्मन भी पार्टी के बाहर ही नहीं अन्दर भी बिखरे है।ईश्वर से यही प्रार्थना है कि इन सभी झंझावातो से उबार कर यह शेर अपने कर्तव्य का पालन करने में सफल हो और यदि किसी भी धर्म समुदाय के लोगो को किसी प्रकार से राजनीतिक लाभ लेने के लिए आशंकित किया गया हो तो उन गलतफहमियों को भी दूर कर सके।
बाकि रिपोर्ट कार्ड सबका आता है हर पांच साल बाद जनता फैसला देती है।इसका ठेका जनता के पास ही रहने दे तो बेहतर होगा।। आपस में महा भारत करना छोड़ कर केवल राष्ट्र के विकास पर ध्यान दे तो ज्यादा अच्छा होगा ।जनता केवल पक्ष ही नहीं विपक्ष की हरकतें भी देख रही है।याद रहे की फ़ालतू की नौटंकी करने वालो को ना जनता ने कभी माफ़ किया है ना करेगी।
माननीय प्रधान मन्त्री जी के नेतृत्व में देश का भविष्य अति उज्जवल हो इसी शुभकामना के साथ ।