ग़रीब देश में हुई यह ऐसी क्रांति है, जिसने न केवल देश की छवि बदली बल्कि देश के विकास से विकसित हो रही अर्थव्यवस्था की यह क्रांति प्रत्यक्षदर्शी रही है। यह मौन क्रांति रही, पर इसके मर्म में केवल बातचीत करना ही शामिल है। यह है देश की दूरसंचार क्रांति!
आज़ जिस आसानी से हम अपने मोबाइल फोन के माध्यम से कई ऐसे कार्य कर लेते हैं, जिसके लिए कुछ साल पहले काफी मशक्कत करना पड़ती थी। दूरसंचार क्रांति की बदौलत ही भारत की गिनती आज़ विश्व के कुछ ऐसे देशों में होती है जहाँ आर्थिक समृद्धि में दूरसंचार क्रांति का बड़ा योगदान रहा है।
आज़ हम दूरसंचार के मामले में काफी आगे निकल चुके हैं। थ्री-जी और फोर-जी टेक्नोलाजी पर सवार भारत तेज गति से आगे बढ़ता जा रहा है। इस क्रांति के कारण न केवल अन्य क्षेत्रों में फर्क पड़ रहा है, बल्कि ग्रामीण भारत भी टेक्नोलाजी से लबरेज होता जा रहा है। आज़ भारत के कई किसान हाईटेक हो रहे हैं। फसलों के बारे में वे इंटरनेट से जानकारी ले रहे हैं। एसएमएस से रेलवे रिजर्वेशन की जानकारी मिल रही है। भारत इस क्रांति को अगले चरण पर ले जाने की तैयारी कर रहा है।
नज़र डालते हैं इस दूरसंचार क्रांति पर, जिसके कारण आज़ कोई भी जानकारी पाना चंद सेकंड का खेल हो गया है! 1880 में दो टेलीफोन कंपनियों ‘द ओरिएंटल टेलीफोन कंपनी लिमिटेड’ और ‘एंग्लो इंडियन टेलीफोन कंपनी लिमिटेड’ ने भारत में टेलीफोन एक्सचेंज की स्थापना करने के लिए भारत सरकार से संपर्क किया। इस अनुमति को इस आधार पर अस्वीकृत कर दिया गया कि टेलीफोन की स्थापना करना सरकार का एकाधिकार था और सरकार खुद यह काम शुरू करेगी।
1881 में सरकार ने अपने पहले के फैसले के ख़िलाफ जाकर इंग्लैंड की ‘द ओरिएंटल टेलीफोन कंपनी लिमिटेड’ को कोलकाता, मुंबई, चेन्नई और अहमदाबाद में टेलीफोन एक्सचेंज खोलने के लिए लाइसेंस दिया। इससे 1881 में देश में पहली औपचारिक टेलीफोन सेवा की स्थापना हुई।
28 जनवरी 1882 , भारत के टेलीफोन इतिहास में ‘रेड लेटर डे’ है। इस दिन भारत के तत्कालीन गवर्नर जनरल काउंसिल के सदस्य मेजर ई. बैरिंग ने कोलकाता, चेन्नई और मुंबई में टेलीफोन एक्सचेंज खोलने की घोषणा की। कोलकाता के एक्सचेंज का नाम ‘केंद्रीय एक्सचेंज’ था जो 7, काउंसिल हाउस स्ट्रीट इमारत की तीसरी मंजिल पर खोला गया था। केंद्रीय टेलीफोन एक्सचेंज के 93 ग्राहक थे। मुम्बई में भी 1882 में ऐसे ही टेलीफोन एक्सचेंज का उद्घाटन किया गया।
द्वा. प. डेस्क