चन्द्रकांत शर्मा
‘चंडीगढ़ दी सोहनी कुड़ी’ तथा ‘चक जवाना’ एवं ‘यारा ओ दिलदारा’ जैसी फिल्मों से एक खास मुकाम बनाने वाली जोनिता डोडा आज पंजाबी एवं साऊथ इंडियन फिल्मों में अपना विशेष मुकाम बना चुकी हैं। जिन्हें कभी चंडीगढ़ छोडऩे के नाम से ही बुखार हो जाता था, उन्होंने अपना ख्वाब पूरा करने के लिए मुंबई तक का सफर तय किया। उनकी अगली पंजाबी फिल्म ‘पत्ता पत्ता सिंघा दा वैरी’, जोकि 17 अप्रैल को रिलीज होने जा रही है का इंतजार दर्शकों को ही नहीं बल्कि स्वयं उन्हें भी है। साउंड बूम एंटरटेनमैंट एवं फतेह स्पोर्टस क्लब द्वारा निर्मित इस फिल्म का निर्देशन नरेश गर्ग ने किया है। हाल ही में जोनिता से कई मुद्दों पर खुलकर बातचीत हुई। प्रस्तुत है बातचीत के प्रमुख अंश :
अपनी नई फिल्म के बारे में कुछ बताएं?
‘पत्ता पत्ता सिंघा दा वैरी’ के बारे में मैं यही कह सकती हूं कि यह एक फैमिली ड्रामा एवं एक्शन फिल्म है, जिसमें वह एक गांव की लडक़ी बनी हैं और खूब पढ़-लिख कर टीचर बनना चाहती है, जिससे कि वह अपने गांव के हर बच्चे को शिक्षित कर सके। उसी के जीवन से जुड़ी परिस्थितियां फिल्म को इस तरह से आगे बढ़ाती हैं कि यह दर्शकों को बांधे रखेगी। इस फिल्म में पंजाबी के सुप्रसिद्ध गायक एवं गीतकार राज काकड़ा हीरो हैं, जिनकी यह दूसरी फिल्म है। फिल्म का संगीत बहुत खूबसूरत है तथा गीत सिचुएशन से जुड़े हुए हैं। इसमें नीतू पंधेर, शिवेन्द्र महल एवं शकूर राणा इत्यादि ने काम किया है तथा संगीत बीट मनिस्टर ने दिया है।
नई फिल्म साइन करने से पहले क्या देखती हैं?
मेरे लिए फिल्म की कहानी जानना बहुत जरूरी होता है, क्योंकि यदि कहानी में दम है, तभी उसमें काम करने का फायदा है। उसके अलावा एक अच्छा निर्देशक ही आपके भीतर से बेस्ट निकाल सकता है।
क्या हमेशा से अभिनेत्री बनने का ही सोचा था?
नहीं ऐसा नहीं है, मुझे लगता है कि मेरी तकदीर में ही भगवान ने अभिनेत्री बनना लिखा था, तभी तो रास्ते अपने आप बनते चले गए। देखा जाए तो अब तक की अभिनय यात्रा मेरे लिए सुखद ही रही और सबका प्यार मुझे कुछ अच्छा करने को प्रेरित करता गया।
साउथ इंडियन मूवी में भाषा और इमोशन की कभी मुश्किल नहीं आई?
नहीं ऐसा नहीं है, किसी भी चीज में मुश्किल तब आती है, जब हम उसे पूरी तरह से समझ नहीं पाते और काम करने का मजा भी तभी है, जब आप उसे किसी चुनौती की तरह लेते हैं। असिस्टेंट डायरेक्टर आपको पूरा सीन समझा देता है, जिससे कि डायलॉग बोलते हुए इमोशन अपने आप ही आ जाते हैं। यही चीज आपको दर्शकों से जोड़ देती है। यही कारण है कि साउथ इंडियन मूवी करते हुए उन्हें कोई विशेष समस्या नहीं आई।
किस तरह के रोल करने पसंद हैं?
एक एक्टर हर तरह के रोल करना चाहता है, क्योंकि किसी एक तरह के रोल करना ही आपको टाइप्ड बना देता है। हर तरह का रोल करते हुए आप बहुत कुछ सीखते हैं, फिर भी रोमांटिक एवं कॉमेडी रोल मेरे दिल के ज्यादा करीब हैं, क्योंकि इनसे दर्शक भी स्वयं को ज्यादा जोड़ पाते हैं।
बिजी शेड्यूल में भी समाज सेवा के लिए वक्त कैसे निकाल पाती हैं?
कुछ चीजें ऐसी होती हैं, जो आपके दिल से जुड़ी होती हैं। मेरे पेरेंटस मुझे और मेरे भाई को हमेशा यही कहते हैं कि हमेशा दूसरों की मदद करो, ताकि यह दुनिया हमेशा खूबसूरत बनी रहे। प्यार और सेवा से ही तो दूसरों का दर्द दूर किया जा सकता है। यह जरूरी नहीं कि समाज सेवा आप पैसे से ही कर सकते हैं, बल्कि अपना वक्त दे कर भी आप सामने वाले की मदद कर सकते हैं। मैं कन्या भ्रूण हत्या, सीनियर सिटीजंस से जुड़े मामले एवं एड्स कंपेन से सक्रिय रूप से जुड़ी हूं।
खाली वक्त में क्या करती हैं?
जब भी खाली वक्त मिले तो स्वीमिंग और ड्राईव करना पसंद करती हूं क्योंकि दोनों ही चीजें आपको स्ट्रैस फ्री रखती हैं। इसके अलावा परिवार के साथ वक्त गुजारना तथा अपने पेटस सेलिया और सुल्तान के साथ खेलना मुझे बेहद पसंद है।
आपका सक्सैस मंत्र क्या है?
जीवन में उतार-चढ़ाव तो आते ही रहते हैं, इसलिए अपने लक्ष्य की तरफ कदम बढ़ाते ही रहना चाहिए। प्रतिस्पर्धा कितनी ही क्यों न हो कड़ी मेहनत करना कभी न छोड़ो।
इस फिल्म के बाद क्या कर रही हैं?
एक मलयालम फिल्म के अलावा मैं एक ओर पंजाबी फिल्म करने जा रही हूं।