—चन्द्रकांत शर्मा—
जुनून के आगे किसी का बस नहीं चलता। ये जुनून ही है, जो शिखर छूने में इंसान की मदद करता है। सिनेमाई दुनिया में भी कई जुनूनी कलाकार हैं, जिन्होंने अडिग आत्मविश्वास और अदम्य इच्छाशक्ति के जरिए बुलंदियां हासिल कीं। क्या कुणाल शर्मा भी उसी दिशा में आगे बढ़ रहे हैं! कुणाल की आक्रामक कार्यशैली तो यही संकेत दे रही है कि यह हैंडसम हंक सुनहरे परदे पर अपनी अदाकारी से खेलना चाहता है, जिसकी शुरूआत हो चुकी है। सॉफ्टवेयर इंजीनियर की जॉब छोड़कर ग्लैमर वर्ल्ड में दबदबा दिखाने की ज़िद ही कुणाल को मुंबई खींच लाई और आज यह जुझारू अभिनेता फिल्म ‘लीजेंड ऑफ माइकल मिश्रा’ में बिहारी रॉकस्टार के रूप में दर्शकों के सामने है।
दर्शकों के लिए कुणाल नया चेहरा नहीं है। 2015 में प्रदर्शित फिल्म ‘रहस्य’ में कुणाल ने रियाज़ नूरानी नाम का मुस्लिम कैरेक्टर प्ले किया था। इस फिल्म में कुणाल का प्रभावशाली अभिनय देखकर केके मैनन और आशीष विद्यार्थी तक चौंक गए थे। उन्हें विश्वास नहीं हो पा रहा था कि उन जैसे दिग्गज़ अभिनेताओं के बीच यह नया लड़का कितनी जबरदस्त परफोरमेंस दिखा गया। ऐसे दिग्गज़ अभिनेताओं के बीच अभिनय करना क्या मुश्किल नहीं लगा! इस सवाल पर कुणाल कहते हैं कि अच्छे अभिनेता बहते पानी की तरह होते हैं जो नए अभिनेताओं की कश्ती को अपने साथ बहाकर ले जाते हैं। फिल्म के कैरेक्टर में कुणाल का हार्डवर्क साफ नज़र आता है। इस चरित्र में उतरने के लिए कुणाल को मुंबई के मालवाणी में कई रातें गुजारनी पड़ीं ताकि मुस्लिम कल्चर को समझ सकें।
कहते हैं कि अभिनय कलाकारों की रगों में दौड़ता है और कलाकार उसमें इतना डूब जाते हैं कि उन्हें अपने जिस्म में होने वाला दर्द भी महसूस नहीं होता। ये बात हम इसलिए कह रहे हैं कि फिल्म ‘द लीजेंड ऑफ माइकल मिश्रा’ की शूटिंग के दौरान भी कुणाल शर्मा को भीषण दर्द से गुजरना पड़ा था। दरअसल, जिस दिन कुणाल को पहला शॉट देना था, उससे दो दिन पहले ही ऊंचाई से गिरने के कारण वो चोटिल हो गए। चूंकि उनका कैरेक्टर रॉकस्टार का था, इसलिए दर्द पर काबू पाना बेहद जरूरी था। काम करने का पैशन था इसलिए डॉक्टर के पास जाने की हिम्मत नहीं हुई कि कहीं बैडरेस्ट का फरमान न आ जाए। दर्द को सहते हुए चींटी की चाल चलते हुए पहुंच गए सेट पर। वहां पहुंचते ही अरशद वारसी मज़ाकिया अंदाज़ में बोल उठे कि पांव भारी करके आए हो।
अरशद को क्या मालूम था कि कुणाल के पांव भारी नहीं हैं, बल्कि उनके पांवों की छह हड्डियां टूट चुकी हैं। कुणाल को इस बात का पता चल चुका था, पर उन्होंने डॉक्टर से आग्रह किया कि उनका ड्रीम रोल उनके सामने है इसलिए पैरों पर प्लास्टर न चढ़ाएं। डॉक्टर ने पेन किलर दे दी। कुणाल शर्मा इस बात को समझ चुके थे कि अगर निर्देशक को उनकी हालत के बारे में पता चला, तो फिल्म से आउट समझो। इससे कुणाल का दिल भी टूट जाता, क्योंकि नया कलाकार अगर घायल हो जाए, तो शूटिंग नहीं रोकी जाती, बल्कि उसे बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता है, लेकिन कुणाल को फिल्म से आउट नहीं होना था इसलिए वो दर्द को पी गए और खूब डांस किया। निर्देशक उनकी परफोरमेंस से खुश थे, पर उन्हे क्या मालूम कि ये जीत कुणाल शर्मा को कितना असहनीय दर्द दबाकर हासिल हुई है। कुणाल कहते हैं कि असली जीत तो मैं तब समझूंगा, जब दर्शकों से मुझे तारीफ मिलेगी। क्या यह कुणाल की जुनूनियत नहीं है, जिसे दर्शक ‘द लीजेंड ऑफ माइकल मिश्रा’ में भी देख चुके हैं।