लक्ष्य के प्रति गंभीरता – सफलता का मूल मंत्र

आर.के.त्रिवेदी
सम्पादक, द्वारका न्यूज
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सीधी नजर से देखने से हमें सम्पूर्ण दुनिया दो भागों में बंटी हुई दिखाई देती है, एक तरफ वह लोग हैं जो रहते हैं बंगलों में, घूमते हैं मर्सिडीज जैसी महंगी कारों में, खाने के लिए बेहतरीन होटलों की सुविधाओं का लुप्त उठाते हैं जो कि जिन्दगी का वास्तविक आनन्द ले रहे होते हैं, वहीं हम सिक्के के दूसरे पहलू पर बात करें तो हमें बड़ी तादाद में वह वर्ग दिखाई देता है जो किसी सड़क के किनारे ठिठुरन भरी रात काटने के लिए मजबूर है।

आपको याद दिलायें कि अधिकांश लोग प्रायः आगामी वर्ष की पूर्व संध्या पर रात्रि को पार्टी मनाते हैं, शराब पीकर जाते हुए वर्ष को अलविदा और आगामी वर्ष का स्वागत करते हैं। वहीं इसके विपरीत वे लोग जो अपने लक्ष्य के प्रति गंभीर होते हैं वह आगामी वर्ष के सपने तैयार करने में व्यस्त हो जाते हैं। वह बारह महीने, 48 सप्ताह, 365 दिनों लक्ष्य निर्धारित करने में तल्लीनता से लक्ष्य के प्रति गंभीरता व समय के बेहतर उपयोग की तैयारी के साथ नव वर्ष का स्वागत करते हैं। अब यहां सच्चाई यह सामने आती है कि क्या उस व्यक्ति का भविष्य उज्जवल होगा जिसने स्वयं को पार्टी, शराब के साथ स्वयं को हवा में छोड़ दिया या उस व्यक्ति का भविष्य उज्जवल होगा जो प्रत्येक क्षण के सदुपयोग के प्रति गंभीर है। उदाहरण के लिए एक लकड़ी का टुकड़ा नदी में बहता हुआ दिशाहीन जा रहा है जिसने अपना निश्चित गन्तव्य तक निर्धारित नहीं किया है, क्या उसे किनारा आसानी से मिल सकेगा? शायद नहीं। या उस नाव को जो एक किनारे से एक लक्ष्य निर्धारण के साथ दूसरे किनारे की ओर गंभीरता के साथ प्रतिक्षण आगे बढ़ रही है।

उपरोक्त उदाहरण से हम इस निष्कर्ष पर पहुंच जाते हैं कि निश्चय ही नाव अपने गन्तव्य के प्रति गंभीर है तो नाव को ही किनारा जल्दी व आसानी से मिलेगा।