” देश का विकास करना है , खुद को स्वस्थ रखना है और अपनी संस्कृति को जिन्दा रखना है तो गौ माता की सेवा करो। जिसके पास गाय नहीं है वह गरीब है। ” उक्त बातें नारायणी साहित्य अकादमी , नई दिल्ली द्वारा 11 जून, द्वारका, दिल्ली में आयोजित भारत मॉरिशस की साझा सांस्कृतिक विरासत पर परिचर्चा में बतौर मुख्य अतिथि मारीशस गणराज्य के उच्चायुक्त महामहिम जगदीश्वर गोबर्धन ने कही। उन्होंने कहा कि भारत और मारीशस का खून एक ही है , इसलिए एक दुसरे के प्रति खिंचाव स्वाभाविक है. इस कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ कवि नरेश नाज और संयोजन -संचालन भोजपुरी के प्रख्यात साहित्य्कार और टेलीविजन पर्सनालिटी मनोज भावुक ने किया।
इस अवसर पर मॉरिशस से आये मेहमानों डाक्टर हेमराज सुन्दर,अरविन्द बिसेसर, रीतेश मोहाबिर,अभी ऊदोय और अशिता रघू को संस्था की ओर से स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।
परिचर्चा के साथ हीं एक काव्य संध्या का भी आयोजन था जिसमें मॉरिशस और भारत दोनों देश के कवियों ने अपनी प्रतिनिधि रचनाएं पढ़ीं। मॉरिशस की अशिता रघू ने प्रेम पर कविता पढ़ी तो ग़ाज़ियाबाद के मोहन द्विवेदी ने ” ललुआ इंटर पास हो गया ” और जयशंकर प्रसाद द्विवेदी ने ” गइल भईसिया पानी में ” से हास्य व्यग्य का माहौल तैयार किया। सुजीत शौकीन , आशीष श्रीवास्तव , पुष्पा सिंह विसेन , महेंद्र प्रसाद सिंह , लक्ष्मी भट्ट , अशोक लव , बबली वशिष्ठ , नरेश मलिक , अंजली , सुनील हापुडिया , मो० इलियास , अमृत पाल सिंह , मोहन कुु शास्त्री , राजेश मांझी , टी पी श्रीवास्तव, सुषमा भंडारी और रमेश बंगलिया समेत दर्जनों कवियों ने अपनी कविताओं से विभोर कर दिया। अध्यक्षता कर रहे कवि नरेज नाज ने तो अपनी सुर लहरी पर सबको झूमा दिया और अंत में संचालक मनोज भावुक ने काव्य पाठ को मॉरीशस और भारत के संबंधों पर केंद्रित किया और फरमाया “हम तो मेहनत को ही हथियार बना लेते हैं / अपना हँसता हुआ संसार बना लेते हैं /मारीशस , फिजी , गुयाना कही भी देखो तुम / हम जहाँ जाते हैं सरकार बना लेते हैं .”
इस ऐतिहासिक कवि सम्मेलन की सफलता का श्रेय संस्था के अध्यक्ष डा० चंद्रमणि ब्रम्हदत्त को जाता है. इस अवसर विशिष्ट अतिथि के रूप में अशोक श्रीवास्तव, मुकेश कुमार सिंह , निर्मल सिंह , अशोक चौबे , मुकेश सिन्हा , राकेश पांडेय , बालेन्दु दधीचि, डा० बी के सिंह और कुसुम शर्मा, आदि उपस्थित थे।