एस. एस. डोगरा
कविता की सुहानी शाम “राष्ट्रीय कवि श्री सुरेश यादव के नाम” कवि सम्मेललन सेंट्रल पार्क, सरगोधा अपार्टमेंट, सैक्टर-7 में आयोजित हुआ। इसका आयोजन सरगोधा विहार प्रबंधन समिति द्वारका द्वारा किया गया। सम्मेललन श्री मुकेश सिन्हा की अध्यक्षता तथा श्री विजय पंडित (पूर्व चेयरमैन नजफ़गढ़) मुख्य अतिथि ने दीप प्रज़्जव्वल से शुरू किया।
सम्मेललन की शुरुआत स्वागत वन्दना के उपरान्त जाने माने कवि श्री संजय जैन ने मातृ दिवस पर विशेष रूप से समर्पित अपनी निम्न पंक्तियों से की।
“कोई जब ठेस लगती है तो माँ तू ही याद आती है
जब तड़पता हूँ अकेले में तो माँ तू ही याद आती है”
करुणामय प्रस्तुति के बाद श्री आर. के. त्रिवेदी ने
“अंधकार है वहाँ, जहां सूरज नहीं है,
मुर्दा है वो देश जहां साहित्य नहीं है”
“आप वीर हैं साहित्य के पर्वत पर चढ़ो”
करुणामय माहौल से ओतप्रोत
माँ सर्दी की धूप में, माँ गर्मी की छाव,
माँ की आँखों में बसा है ममता का गाँव
तथा प्रेम रस पर समर्पित
उसके सिवा न अब मुझे कुछ भी दिखाई दे
आँखों की पुतलियों में समाई है ज़िंदगी
जबकि राष्ट्र कवि श्री सुरेश यादव जी ने
“उठती है माँ मुंह अँधेरे में तो सुबह होती है
थकती है माँ हर रोज तब शाम ढलती है
माँ कभी नहीं मरती है। “
मंच संचालिका व जानी मानी हास्य कवियत्री सुश्री प्रतीमा खंडेलवाल ने अपनी करुणामयी कविता
“आँख मेरी भी है तेरी जैसी ही नाम
चलो बाँट ले आज थोड़ा सा गम
एक माँ की बेटी ही उजाड़ी है तूने
देखकर तेरी माँ को भी आए शर्म”
इसी कड़ी में युवा व जोशीले कवि श्री रमेश गंगेले ‘अनंत’ ने श्रीमति संध्या चौरसिया व श्री ज्ञान प्रकाश पाठक ने “बताओ छात्रों को पढ़ा लिखाकर क्या बना दूँ” और सम्मेललन के अंत में वरिष्ठ कवि सत्यदेव हरियाणवी ने
“असली सिर वही है जो गरीब और गरीबी की सोचे”
“एक नेता यह सोचते-सोचते हो गए बीमार
कि न कब जाएगी ये निकम्मी सरकार”