पहले से ही फंसे कर्ज, लगातार कम हो रहे मुनाफे और तकनीक अपनाने में पिछड़ते सरकारी बैंको को शायद अभी तक की सबसे बड़ी चुनौती मिलने वाली है। यह चुनौती इन्हें विदेशी या निजी बैंकों से नहीं बल्कि पेमेंट बैंकों से मिलेगी। उसमें एक नाम है, पेटीएम।
पेटीएम के माध्यम से अब देश भर में छोटे व्यापारियों के लिए औपचारिक ऋण चैनलों का उपयोग करना आसान हो जाएगा। व्यापारी की सहमति के बाद, योग्य व्यापारियों को ऋण की पेशकश करने के लिए, पेटीएम के भागीदार भुगतान स्वीकृति के इतिहास का प्रयोग करेंगे।
, पेटीएम के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट किरण वासिरेड्डी ने कहा, ‘वित्तीय समावेशन हमारा मुख्य एजेंडा है। अभी तक, कम ब्याज दरों पर असुरक्षित ऋण की उपलब्धता छोटे व्यापारियों के लिए एक चुनौती थी, जिससे वे चिट फंड जैसे उच्च लागत वाले तरीकों के माध्यम से उधार लेने के लिए मजबूर हो जाते थे। लगातार पेटीएम के माध्यम से भुगतान स्वीकार करके, व्यापारीयों को शून्य लागत पर डिजिटल पदचिंह मिलेगा, जिससे उन्हें कम ब्याज पर ऋण मिलेगा। हमें सच में विश्वास है कि इस तरह के आसान और कम लागत की फंडिंग के माध्यम से, हम व्यापारीयों को उनके व्यापार को नई ऊंचाइयों तक ले जाने के लिए बहुत जरूरी समर्थन देंगे। इसके अलावा, क्रेडिट की उपलब्ध्ता, व्यापारियों को अधिक डिजिटल लेनदेन की ओर स्थानांतरित करने के लिए और कम से कम नकदी वाले पारिस्थितिकी तंत्र के लिए प्रोत्साहित करेगी’