पिछले 35 बरसों से भी अधिक के अपने पत्रकारिता सफर में मैंने पत्रकारिता और पत्र पत्रिकाओं में आये बदलाव को बहुत करीब से देखा है. अपनी 13 बरस की उम्र में ही पत्रकारिता शुरू करने के कारण भी मेरा यह सौभाग्य रहा कि मुझे देश के लगभग सभी प्रमुख और प्रतिष्ठित संपादकों के साथ काम करने का मौका मिला. आज मीडिया पहले से कहीं अधिक शक्तिशाली और तीव्रगति वाला हो गया है .हालांकि अब वह पहले जितना ईमानदार नहीं रहा. पहले पत्रकारिता एक मिशन हुआ करती थी लेकिन आज यह पूरी तरह एक व्यवसाय बन गयी है.
श्री प्रदीप सरदाना ने अपने संबोधन में यह भी कहा कि पहले संचार के आधुनिक साधन न होने के कारण समाचार पत्रों में कुछ समाचार घटना होने के तो तीन दिन बाद प्रकाशित होते थे.लेकिन आधुनिक संचार साधनों के कारण घटना घटने के कुछ देर बाद ही खबर आग की तरह फैल जाती है.इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ने तो पत्रकारिता की तस्वीर ही बदल दी. इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के बढ़ते प्रभाव के बाद लगा था कि अब समाचार पत्रों के अस्तित्व के लिए खतरा हो जायेगा लेकिन प्रिंट मीडिया ने अपनी हालत को अच्छे से संभालते हुए अपनी प्रसार संख्या में जबरदस्त वृद्दि कर ली है.यह बात अलग है कि अब बहुत से संपादक पहले जितने शक्तिशाली नहीं रहे. संपादकों पर प्रबंधकों और मालिकों का दबदबा अब काफी बढ़ गया है. साथ ही चैनल और समाचार पत्र दोनों ही कहीं न कहीं सरकारी विज्ञापन और अपने अन्य निजी स्वार्थ के चलते अपने पेशे के साथ पूरी ईमानदारी नहीं रख पाते.फिर भी बदले हालत में भी वे अपना काम मेहनत और अच्छे से कर रहे हैं. दूसरी ओर साइबर मीडिया और सोशल नेटवर्किंग साइट्स के माध्यम से अब हर व्यक्ति अपने विचार और अपने यहां की किसी भी छोटी या बड़ी घटना को सभी के साथ तुरंत साझा करने में समर्थ हो गया है. श्री सरदाना ने अपने वक्तव्य के अंत में एक पुराना शेर पढ़ते हुए कहा कि ‘धरा बेच देंगे ,गगन बेच देंगे,अमन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,कलम के सिपाही अगर सो गए ,वतन के सिपाही वतन बेच देंगे’.इसलिए लोकतंत्र को बचाना है तो मीडिया को पूरी तरह जागते हुए हर हालात में अपना फर्ज ईमानदारी से निभाते रहना होगा‘‘.
जबकि श्री विजय त्रिवेदी ने कहा कि पत्रकारों को अपनी स्वतंत्र भूमिका निभाने के लिए यह बहाना नहीं बनाना चाहिए कि उन पर मालिक या संपादक का दबाव है उन्हें हर हालत में अपना काम पूरी ईमानदारी से करना चाहिए.साथ ही किसी भी रिपोर्टर को अपनी खबर में सिर्फ घटना की जानकारी देनी चाहिए अपने सुझाव नहीं‘‘. उधर श्री अरविन्द कुमार सिंह का कहना था कि आज के युग में कुछ ही संपादक हैं जो अपना अस्तित्व बनाए रखने में कामयाब रहे हैं वर्ना अब हालात पहले जैसे नहीं.लेकिन मीडिया फिर भी अपना काम बखूबी करके लोकतंत्र का प्रहरी बना हुआ है‘‘.
कार्यक्रम के अंत में श्री राहुल देव ने अपना मत रखते हुए कहा कि मुझे इस बात का दुःख है कि कुछ पत्रकारों के मन में निराशा है.लेकिन मीडिया में पूंजी हर वक्त रही है और बाजार के पक्ष को नजरंदाज नहीं किया जा सकता. निसंदेह आज मीडिया काफी शक्तिशाली होकर उभर रहा है यदि मीडिया शक्तिशाली न होता तो निर्भया के हत्यारों को क्या सजा मिल पाती या कोयला,बोफोर्स जैसे बहुत से घोटाले क्या सामने आ पाते ! ये सब मीडिया के सशक्त होने के कारण ही हो सका‘‘. कार्यक्रम का खूबसूरत संचालन राजस्थान मीडिया एक्शन फोरम की महामंत्री शकुन्तला सरूपरिया ने किया और संस्था के अध्यक्ष अनिल सक्सेना ने सभी का स्वागत करने के साथ मीडिया के कुछ प्रमुख लोगों को सम्मानित भी किया.