“नन्ही दुनिया” की पुस्तक समीक्षा
(एस.एस.डोगरा Email:ssdogra@journalist.com)
“विनती मेरी है भगवान,
विद्या का मुझे दो वरदान !
पढ़ लिख कर कुछ ऐसा करें
गर्व करें मुझ पर हिन्दोस्तान !!”
“दादा-दादी नाना-नानी,
मुझसे प्यार हैं करते!
जब भी मिलूं, बाहे फैलाकर,
मुझे बाँहों में भरते !!”
विख्यात कवि एवं लेखक वीरेन्द्र कुमार मंसोतरा द्वारा रचित “नन्ही दुनिया” नामक पुस्तक में अंकित उक्त पक्तियां सहित कुल 32 लघु कविताएँ हैं. ये सभी कविताएँ देह्भक्ति, स्वछता, शिक्षक, पर्यावरण, भारतीय संस्कारों, प्रक्रति आदि विषयों पर बड़े आकर्षक ढंग से प्रस्तुत की हैं. गौरतलब है कि लेखक वीरेन्द्र कुमार मंसोतरा सीमा सुरक्षा बल से उप-कमान्डेंट पद से सेवानिवृत हैं, उनकी ये पुस्तक “नन्ही दुनिया” छोटे बच्चों विशेषकर प्राथमिक कक्षाओं के विद्यार्थियों में जाग्रति एवं विश्वास जगाने में सहायक साबित हो सकती है. रूचि पब्लिकेशन हाऊस द्वारा प्रकाशित “नन्ही दुनिया” पुस्तक का मूल्य मात्र 100 रूपये है. ये पुस्तक मार्किट में आसानी से उपलब्ध है.