प्रेमबाबू शर्मा
फोर्टिस हाॅस्पिटल, नोएडा ने विष्व तंबाकूरोधी दिवस के मौके पर तंबाकू के सेवन से हुए कैंसर को मात देने वाले दो मरीजों को मीडिया के सम्मुख पेश किया। इस काॅन्फ्रेंस का नेतृत्व डाॅ. गगन सैनी, वरिष्ठ सलाहकार, रेडिएशन आॅन्कोलाॅजी विभाग, कैंसर थेरेपी सेंटर, फोर्टिस हाॅस्पिटल, नोएडा ने किया।
45 साल के शैलेंद्र मणि काफी अधिक मात्रा में गुटखा (तंबाकू) चबाते थे, वह मंुह में छाले के साथ डाॅ. सैनी के पास आए थे। उन्हें भी सर्जरी के बाद रेडिएशन थेरेपी और इमेज गाइडेड रेडियोथेरेपी से गुजरना पड़ा। मरीज पिछले दो वर्षों से भी अधिक समय से बीमारी से बाहर आ चुके हैं।
डाॅ. गगन सैनी, वरिष्ठ सलाहकार, रेडिएषन आॅन्कोलाॅजी विभाग, कैंसर थेरेपी सेंटर, फोर्टिस हाॅस्पिटल, नोएडा ने कहा, तंबाकू से कैंसर होता है। आम तौर पर हमारे देष में तंबाकू का उपयोग या तो बीड़ी या गुटखा के रूप में होता है। हमारे देश की 15 वर्ष से अधिक उम्र की एक-तिहाई आबादी तंबाकू का इस्तेमाल करती है और इस बात में कोई आश्चर्य नहीं है कि तंबाकू की वजह से हमारे देष में हर साल दस लाख से अधिक मौतें होती हैं। मेरे दोनों मरीजों में गंभीर रूप से तंबाकू का इस्तेमाल करने की वजह से ये लक्षण पाए गए। हालांकि ये दोनों मामले सिर और गले के कैंसर थे लेकिन तंबाकू (धूम्रपान और धूम्ररहित) की वजह से फेफड़े का, खाने की नली का और पेट का भी कैंसर होता है। सिर और गले के कैंसर के उपचार के पीछे सिद्धांत रेडिएषन थेरेपी या सर्जरी (चुनिंदा मामलों में कीमो के साथ) के साथ लोको-रीजनल कैंसर का समाधान करने का है। विभिन्न अध्ययनों से यह बात साफ हुई है कि इन बीमारियों के उचित उपचार से बेहतर परिणाम सामने आते हैं।’’
भारत में तंबाकू का उपभोग आधे पुरुषों और करीब एक चैथाई महिलाओं में कैंसर का कारण बनता है। इसके अलावा यह कार्डियोवैस्क्यूलर बीमारियों और गंभीर ष्वसन संबंधी बीमारियों और सेहत को होने वाले अन्य प्रकार के नुकसानों का भी एक कारक है। अत्यधिक गुटखे के इस्तेमाल से भूख मरने, नींद में गड़बड़ी, एकाग्रता में कमी और अन्य समस्याओं की वजह बनता है।
भारत में गरीबों की सेहत में सुधार के एक प्रयास के अंतर्गत तंबाकू के प्रयोग को नियंत्रित करने के प्रभावी प्रयोग किए जाने चाहिए। ऐसा कर पाने में असफल रहने के परिणामस्वरूप बीमारियों-संक्रामक एवं गैर-संक्रामक का बोझ बढ़ सकता है। विष्व स्वास्थ्य संगठन का अनुमान है कि वर्ष 2020 तक भारत में तंबाकू की वजह से होने वाली मौतों की संख्या 15 लाख के आंकड़े को भी पार कर सकती है।