क्रान्तिधरा साहित्य अकादमी द्वारा भव्य एवं ऐतिहासिक मेरठ लिट्रेरी फेस्टिवल-2018 आयोजित

(एस.एस.डोगरा)

साहित्य, कला व संस्कृति को समर्पित संस्थान ‘क्रान्तिधरा साहित्य अकादमी’ – मेरठ द्धारा और आई.आई. एम्.टी. यूनिवर्सिटी के सहयोग से एक बार फिर आई आई एम् टी यूनिवर्सिटी परिसर में तीन दिवसीय (10-12 दिसम्बर,2018) आयोजन में समस्त भारत से करीब 500 से ज्यादा और नेपाल से 90 साहित्यकार , भूटान , बांग्लादेश , रूस , ईथोपिया व् नार्वे से साहित्यकार – पत्रकार , शिक्षाविद, फिल्मकार और सामाजिक कार्यकर्ता शरीक हुए।

पहले दिन उद्घाटन सत्र का शुभारम्भ सरस्वती वंदना के साथ हुआ जिसमें मुख्य अतिथि कुलाधिपति योगेश मोहनजी गुप्ता और मुख्य वक्ता- वरिष्ठ नेपाली साहित्यकार एवं समाजसेवी श्री बसंत चौधरी उपस्थित थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता हरिद्वार के डॉ योगेन्द्रनाथ शर्मा ‘अरुण’ ने की। इनके साथ ही रूस से आईं मीनू शर्मा, भूटान से छत्रपति फुएल, नेपाल से सनत रेग्मी, डॉ मिनाक्षी कहकशां, डॉ ईश्वरचंद गंभीर ने अपने उद्बोधन से कार्यक्रम को सुशोभित करा। श्री बसंत चौधरी ने पुस्तक प्रदर्शनी का भी उद्घाटन करा जिसमें भारत, नेपाल, भूटान समेत समस्त दक्षिण एशियाई देशों के साहित्यकारों की रचनाएं प्रदर्शित थी। प्रथम सत्र में वरिष्ठ नेपाली साहित्यकार श्री बसंत चौधरी की हिंदी में पुस्तक ‘चाहतों के साये में’ का विमोचन किया गया, जिसके पश्चात डॉ श्वेता दीप्ती ने इसी पुस्तक की समीक्षा प्रस्तुत की। श्री बसंत चौधरी ने अपनी पुस्तक से ग़ज़ल प्रस्तुत कर सभागार में उपस्थित श्रोताओं की खूब तालियाँ बटौरी ।

द्वितीय सत्र में 1857 की क्रांति में क्रांतिधरा मेरठ की भूमिका पर परिचर्चा आयोजित की गई जिसमें डॉ अमित पाठक, कर्नल अमरदीप त्यागी, डॉ के के शर्मा, डॉ बीना शर्मा, डॉ सुबोध गर्ग ने क्रांति के विभिन पहलुओं पर मेरठ के सन्दर्भ में प्रकाश डाला। जबकि तृतीय सत्र में मुशायरा का आयोजन हुआ जिसमें डॉ ईश्वरचंद गंभीर, डॉ दिलदार देहलवी, मुनीश तनहा, अनिमेष शर्मा, डॉ सरोजिनी तनहा, शमा गुप्ता, हरिहर शर्मा, कंचन झा, डॉ.श्वेता दीप्ती, बिष्नु भंडारी, रमन धीमरे, शिखा कौशिक, सूर्यकरण सोनी, मुदित बंसल, राजेंद्र समेत देश-विदेश से आये शायरों ने प्रस्तुती दी।

अपने उद्बोधन में मुख्य आयोजक डॉ विजय पंडित ने कहा कि यह आयोजन “वसुधैव कुटुंबकम” की भावना के तहत मेरठ दोआब क्षेत्र की गंगा-जमुनी तहज़ीब को विश्व पटल पर लाने का प्रयास है। “मेरठ लिटरेरी फेस्टिवल” के माध्यम से मेरठ को एक साहित्यिक नगरी के रूप में स्थापित व विकसित करना हमारा ध्येय है। संस्था द्वारा तीसरा साहित्यिक महोत्सव आयोजित किया गया । इससे पहले 24-26 नवम्बर 2017 को आई आई एम टी विश्विद्यालय में ही फेस्टिवल का प्रथम संस्करण आयोजित किया गया था और दूसरा आयोजन 11-13 अगस्त 2018 को बीरगंज, नेपाल में नेपाल-भारत साहित्य महोत्सव आयोजित किया गया था।

मेरठ लिट्रेरी फेस्टिवल के दूसरे दिन साहित्यिक एवं सामाजिक परिचर्चाएं, कवि सम्मलेन, विमोचन कार्यक्रम एवं किस्सागोई तीन सत्रों में आयोजित हुए। प्रथम सत्र में ‘साहित्य में अनुवाद की भूमिका’ पर परिचर्चा के साथ हुआ, जिसमें श्री ऐ के गांधी एवं शीलवर्धन जी ने अपने विचार रखे। गांधी जी ने कहा कि एक अनुवादक को शब्दों का नहीं बल्कि भावों का अनुवाद करना होता है और उसके लिए उसे लेखक को जीना पड़ता है। शीलवर्धन जी ने भी अनुवाद की अहमियत बतलाते हुए कहा कि अनुवाद से छोटे से छोटे गाँव का साहित्यकार भी विश्व में पढ़ा जाता है, अतः अनुवाद साहित्य के विकास के मूल स्तम्भों में है। कार्यक्रम के दूसरे सत्र में मुख्य अतिथि डॉ कुंवर बेचैन शरीक हुए। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए उन्होंने अपनी ग़ज़लों से देश-विदेश से आए अतिथियों को मन्त्र-मुग्ध कर दिया। अपनी प्रसिद्ध रचना ‘नदी बोली समुन्दर से’ की प्रस्तुती दी. साथ ही डॉ. बेचैन ने आयोजन को सराहते हुए कहा कि ऐसे आयोजनों के माध्यम से ही समाज में संस्कार जीवित रह पाते हैं। डॉ लक्ष्मीशंकर वाजपेयी ने साहित्य और समाज पर अपने विचार रखे. प्रो ऐ के मित्तल जी ने भी तकनीकी शिक्षा में साहित्य को जोड़ने पर जोर दिया और कहा कि साहित्य को सभी शिक्षा पद्दतियों का हिस्सा होना चाहिए।

विमोचन कार्यक्रम में नेपाल की प्रमुख हिंदी पत्रिका ‘हिमालिनी’ के 21 वर्ष पूरे होने पर नेपाली संस्कृति पर विशेषांक का विमोचन किया गया। जबकि कोलकाता, पश्चिम बंगाल से प्रकाशित ‘साहित्य त्रिवेणी’ तथा ‘भारत-नेपाल मैत्री विशेषांक का भी विमोचन किया गया। नेपाली पत्रिका “कल्पतरु” का भी विमोचन किया गया। लखनऊ से ‘प्रणाम पर्यटन’ पत्रिका का भी विमोचन साहित्य, जिसमें पर्यटन व सांस्कृतिक विकास में साहित्य की भूमिका पर चर्चा हुई। दिल्ली से आईं वंदना यादव के उपन्यास ‘कितने मोर्चे’ का भी विमोचन किया गया, जिसकी समीक्षा नीलिमा शर्मा ने प्रस्तुत की। डॉ लक्ष्मीशंकर वाजपेयी ने भी उपन्यास पर अपने विचार प्रस्तुत किए।

स्योर शॉट प्रोडक्शंस के बैनर तले बनी डॉक्युमेंटरी फिल्म ‘विजय: शिखर की ओर’ का पोस्टर लांच करा गया, जिसका निर्माण एवं निर्देशन श्री एस एस डोगरा एवं संवाद मेरठ के ही श्री मुदित बंसल ने लिखे हैं। चक्रधर, झारखण्ड से आए रंगकर्मी श्री दिनकर शर्मा जी ने प्रेमचंद की कहानी ‘बड़े भाई साहब’ का प्रभावशाली मंचन किया। कहानी के सजीव चित्रण को सभी ने खूब सराहा। सांयकाल सत्र में पर्यावरण में साहित्य की भूमिका पर परिचर्चा आयोजित की गई जिसमें उत्तराखंड से आए श्री समीर रतूड़ी एवं ग़ाज़ियाबाद के संजय कश्यप ने अपने विचार रखे। इसी सत्र में कवि सम्मलेन का आयोजन भी किया गया जिसमें देश-विदेश से आये विभिन्न कवियों ने अलग-अलग भाषाओँ में रचनाएं प्रस्तुत की।

मेरठ लिट्रेरी फेस्टिवल के तीसरे व अंतिम दिन परिचर्चा, विमोचन कार्यक्रम, कवि सम्मलेन का आयोजन किया गया। इसके साथ देश-विदेश की साहित्यिक विभूतियों का सम्मान भी करा गया। प्रथम सत्र का शुभारम्भ ‘वर्तमान परिदृश्य में पत्रकारिता’ विषय पर चर्चा से हुआ, जिसमें सुरेन्द्र सिंह डोगरा ने अपने संबोधन में कहा कि आधुनिक इन्टरनेट के युग में प्रत्येक व्यक्ति पत्रकार अथवा मीडियाकर्मी बन गया है. लेकिन इसका सदुपयोग एवं दुरूपयोग उसके हाथ में ही है. उन्होंने अपने व्यक्त्व्य में कहा कि पत्रकार के समक्ष बाधाएं ज़रूर हैं लेकिन उन बाधाओं को रास्ते की रूकावट बनने देना या उनको कूद कर आगे बढ़ते चले जाना पत्रकार पर ही निर्भर करता है। उन्होंने कहा कि पत्रकारिता के मॉडल को इस तरीके से बनाना चाहिए कि आर्थिक प्रलोभन व दमन से पत्रकार न दबे। और सबसे बड़ी बात पत्रकारिता निभाते समय ईमानदारी, निष्पक्षता, स्पष्टता, सकारात्मकता झलकनी चाहिए. पत्रकारिता को आदर्श पेशा बताते हुए डोगरा जी ने दावा किया कि सच्ची पत्रकारिता करने वाले पत्रकार की समाज में विशेष इज्जत होती है एक ज्ञानी एवं ईमानदार पत्रकार किसी भी समाज एवं देश की धरोहर होते हैं जो बिना किसी प्रलोभन के पत्रकारिता धर्म निभाते हैं वे समाज के कल्याण एवं विकास में महत्वपूर्ण योगदान प्रदान कर सकते हैं.
विमोचन कार्यक्रम में डॉ जमुना कृष्णराज की पुस्तक ‘मन्नू एवं शिवशंकरी की कहानियों में चित्रित भंडारी सामजिक समस्यायों में साम्यताएं’. केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा में सहायक प्राध्यापक डॉ दिग्विजय शर्मा की छठी पुस्तक ‘पश्चिमी हिंदी और हरियाणवी की रूप-संरचना का व्यतिरेकी विश्लेषण’ का भी विमोचन हुआ; हिंदी और भाषा-विज्ञान डॉ दिग्विजय शर्मा के प्राध्यापन के मुख्य विषय रहे है। ब्रह्मानंद तिवारी ‘अवधूत’ द्वारा सम्पादित काव्य संग्रह ‘गीत गुंजन’ का भी विमोचन हुआ जिसमें 11 कवियों की रचनाएं हैं। डॉ राशि सिन्हा की अंग्रेजी पुस्तक ‘द चरपी बर्ड राइम’ का भी विमोचन हुआ।

द्वितीय सत्र में कवि सम्मलेन का आयोजन हुआ जिसमें इन्द्रप्रकाश अकेला, सुरेंद्र कुमार ‘हमसफर’, सनत रेग्मी, अमन तिवारी ,सूर्यकरण सोनी, मीनक्षी शंकर शर्मा समेत देश-विदेश से आए कवियों ने कविता-पाठ किया। सम्मान सत्र में मेरठ के वरिष्ठ कवि सत्यपाल सत्यम को ‘क्रांतिधरा साहित्य शिखर सम्मान’ से उनकी साहित्य साधना के लिए उन्हें सुशोभित किया गया। शिखर सम्मान मेरठ लिट्रेरी फेस्टिवल का सर्वोच्च सम्मान है जो कि हर वर्ष एक साहित्यकार को दिया जाता है। सम्मान ग्रहण करने के पश्चात सत्यपाल सत्यम ने कविता पाठ भी किया.

समापन सत्र में मुख्य आयोजक डॉ विजय पंडित ने कहा कि मेरठ लिट्रेरी फेस्टिवल हमारी गंगा-जमुनी तहज़ीब को न केवल सहेजने बल्कि उसके विस्तार के लिए भी एक प्रयास है जो निरंतर जारी रहेगा। तीन दिवसीय कार्यक्रम में मेरठ की साहित्यक विभूतियों के नाम से देश-विदेश से पधारे साहित्यकारों को सम्मान प्रदान किये गए और नवोदितों को अंतर्राष्ट्रीय मंच प्रदान किया गया। डॉ विजय पंडित ने आई.आई.एम.टी. विश्विद्यालय के कुलाधिपति योगेश मोहनजी गुप्ता का विशेष आभार प्रकट किया और कहा कि वह इस साहित्यिक महायज्ञ के वे अभिन्न अंग हैं। उन्ही के उल्लेखनीय योगदान की बदौलत ही भव्य एवं ऐतिहासिक मेरठ लिट्रेरी फेस्टिवल का सफल आयोजन संभव हो पाया.