कानून और नागरिक अनुशासन पर चर्चा और आजादी की अमृत गाथा में श्रद्धांजलि

राष्ट्रीय संविधान दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित आरजेएस राष्ट्रीय वेबीनार में देश भर से जुड़े लोगों को जागरूक किया गया।आरजेएस फैमिली की ओर से‌ पाॅजिटिव स्पीकर्स द्वारागुरु तेग बहादुर जी, महात्मा ज्योतिबा फुले ,डा. बाबा साहेब आंबेडकर,डॉ वर्गीज कुरियन, डॉ हरिवंश राय बच्चन, गणेश वासुदेव मावलंकर ,जगदीश चंद्र बोस, लक्ष्मीबाई केलकर, सचीन्द्र नाथ बख्शी और राजा राममोहन राय आदि को श्रद्धांजलि दी गई।

राम-जानकी संस्थान,आरजेएस, नई दिल्ली के राष्ट्रीय संयोजक उदय मन्ना और तपसिल जाति आदिवासी प्रकटन्न सैनिक कृषि बिकाश शिल्पा केंद्र, पश्चिम बंगाल के सचिव सोमेन कोले ने कहा कि आजादी की अमृत गाथा से सकारात्मक पत्रकारिता और महापुरुषों की जीवनियां लोगों तक पहुंच रही हैं। दिल्ली स्थित मुनि इंटरनेशनल स्कूल के संस्थापक डा.अशोक कुमार ठाकुर के सहयोग से 26 नवंबर संविधान दिवस के उपलक्ष्य में आयोजितआरजेएस- टीजेएपीएस आजादी की अमृत गाथा के 29वें अंक में प्रशासनिक एजेंसियां और नागरिक अनुशासन विषय को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि डीसीपी द्वारका, दिल्ली श्री शंकर चौधरी ने कहा कि कानून के वर्चस्व से न्याय होता है ,तो वह दिखना भी चाहिए ताकि पुलिस और जनता के बीच की दूरियां खत्म हो।उनका कहना था कि “मेरा हर कदम कमजोर वर्गों की आवाज बनकर न्याय दिलाना है।

संविधान की प्रस्तावना का जिक्र करते हुए आईपीएस अधिकारी श्री चौधरी ने बताया कि लोगों को मेरे बारे में भ्रम हो सकता है, लेकिन मैं कानून और संविधान का पक्षधर हूं। उन्होंने कहा  कि जनवरी 2022 से वर्चस्व अभियान के अंतर्गत द्वारका के 11 जिलों में पुलिस जनता से संपर्क कर कानून और नागरिक अनुशासन को लेकर जागरूक करेगी ।इसके लिए एक हेल्पलाइन भी जारी होगी ।उन्होंने संविधान के आत्मा की रक्षा और समाज के मूल्यों की सुरक्षा करना अपना दायित्व माना है। वेबिनार में जुड़े लोगों ने उनके संबोधन को कई बार करतल ध्वनि से समर्थन किया, कहा सकारात्मक सोच का ये सकारात्मक परिणाम है।  श्री चौधरी ने  उनके सवालों का संतोषजनक समाधान किया। मुख्य वक्ता सुप्रीम कोर्ट और दिल्ली हाई कोर्ट के सीनियर एडवोकेट संग्राम पटनायक ने कहा कि भारत का संविधान सर्वोत्तम संविधान संविधान है।वास्तविक जीवन में संविधान की गरिमा और बढ़ेगी अगर नोबल प्रोफेशन के लोग नोबल कॉज के लिए भी कार्य करें। यथासंभव जरूरतमंदों को कानूनी सहायता प्रदान करना कानून विशेषज्ञों की सामाजिक जिम्मेदारी भी है। इसके लिए कानून की उत्कृष्ट जानकारी सभी नागरिकों को देने की दिशा में सरकार को प्रयास करना चाहिए।