मां की दृष्टि पुरूषों में पैदा करने के संकल्प के साथ आरजेएस का बेटी दिवस वेबीनार संपन्न

अंतरराष्ट्रीय बेटी दिवस 26 सितंबर को आरजेएस का राष्ट्रीय सेमिनार आयोजित किया गया। आरजेएस -टीजेए पीएस केबीएसके के श्रृंखलाबद्ध 75 कार्यक्रमों की कड़ी में अमृत गाथा का‌ 9-10 अंक ” दो घरों की शान: सपनों को दे रही उड़ान” विषय पर आयोजित किया गया।वेबिनार की सह-आयोजक आरजेएस सकारात्मक भारत सूचना केंद्र जमशेदपुर की प्रभारी शिक्षाविद डॉ पुष्कर बाला ने आमंत्रित अतिथियों का स्वागत और धन्यवाद ज्ञापन किया। उन्होंने अगले 12 अक्टूबर को दुर्गापूजा और विजयादशमी के अवसर पर अमृत गाथा 13 राष्ट्रीय वेबिनार आयोजित करने की घोषणा की।

वेबीनार का आयोजन सकारात्मक भारत आंदोलन की सूत्रधार टीम राम जानकी संस्थान ,भारत के संयोजक उदय मन्ना और तपसिल जाति आदिवासी प्रकटन्न सैनिक कृषि विकास शिल्पा केंद्र, पश्चिम बंगाल के सचिव सोमेन कोले की अगुवाई में किया गया।वेबिनार में शहीद भगत सिंह, स्वतंत्रता सेनानी प्रफुल्ल चंद्र सेन, समाज सुधारक राजा राममोहन राय और एकात्म मानववाद के प्रणेता दीनदयाल उपाध्याय को श्रद्धांजलि दी गई। आरजेएस-टीजेएपीएस केबीएसके अमृत गाथा-10 की पाॅजिटिव स्पीकर्स बनीं -प्रेमप्रभा, कुसुम लता,रीना और मधुबेनमुख्य वक्ता प्रख्यात कवयित्रीडॉ अनामिका ने कहा कि मां की दृष्टि पुरुष में पैदा करने का संकल्प लें । पौरुष का मतलब क्रूरता नहीं है ।लज्जा ममता सहिष्णुता और सद्गुण कोषों को भी बराबर बराबर बेटे और बेटियों में बांटने की जरूरत है। उन्होंने दो कविताएं सुनाई और कहा कि कविता लिखने से ताकत मिलती है ।अपनी भावनाओं को कविता में व्यक्त करते रहें ।अपनी कविता “बेजगह” सुनाते हुए उन्होंने कहा अपनी जगह से गिरकर कहीं के नहीं रहते- केश, औरतें और नाखून । उन्होंने इशारा किया कि  जैसे ओक का पेड़  विपरीत परिस्थितियों में पैदा होते हैं वह मजबूत होते हैं ,इसलिए संघर्ष से सफलता मिलती है।

वेबिनार की मुख्य अतिथि दिल्ली सरकार के महिला एवं बाल विकास की निदेशक और सचिव समाज कल्याण डॉ रश्मि सिंह ने महापुरूषों से प्रेरणा लेने की आवश्यकता बताई । खासकर  राजा राममोहन राय को श्रद्धांजलि देते हुए उन्होंने कहा कि उनके प्रयासों से आज बेटियों का मनोबल ऊंचा है ।आरजेएस फैमिली को अनगिनत अवसरों को पहचानने की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि महिलाएं आज कानूनन भी अपने सपनों को पूरा करने के लिए मजबूत हैं। उन्होंने अपने आसपास जुड़ी महिलाओं के सुख दुख में भागीदारी करने का आह्वान किया। जरूरत पड़ने पर महिलाओं और बच्चों की समस्याओं के समाधान की सुविधा हेतु सरकार ने हेल्पलाइन शुरू की है।प्रीता हरित आईआरएस  महिलाएं चाहे संपन्न वर्गों की हो या कमजोर वर्गों की अधिकांश का घर और बाहर लोगों की नकारात्मक सोच से उत्पीड़न होता है घर में बेटे और बेटी में भेदभाव किया जाता है इसका परिणाम होता है बेटे उच्छृंखल और निरंकुश हो जाते हैं इसलिए आज भी बेटी दिवस मना कर इस भेदभाव के खिलाफ जागरूकता फैलाना एक सार्थक प्रयास है।विशिष्ट अतिथि कुसुम लुनिया ने कहा कि हम भारत की बेटियां हैं और हमारा दृष्टिकोण सकारात्मक होगा तो सफलता भी हमारे कदम चूमेगी ।उन्होंने अपनी पुस्तक “ऊंची उड़ान” की चर्चा की जो बेटियों पर आधारित है .उन्होंने  कविता की पंक्ति भी सुनाई ” सृष्टि में तुम सूर्य की पहली किरण हो”अंत में प्रश्नोत्तरी में डा नरेंद्र टटेसर,नीरा अरोड़ा, ज्योति आदि के सवालों और शंकाओं का डा.रश्मि सिंह और डा अनामिका ने समुचित हल बताया।संयोजक उदय कुमार मन्ना ने बताया कि वेबिनार के बाद आरजेएस फैमिली में सकारात्मक प्रतिक्रिया आ रही है। अगले वेबिनार में  लोग परिवार ‌के साथ जुड़ कर लाभ उठाएंगे।