23 मार्च भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव के बलिदान दिवस की स्मृति में आयोजित आरजेएस पीबीएच वेबिनार में मोटिवेशनल स्पीकर सुरजीत सिंह दीदेवार ने दृढ़ता से कहा कि आत्म-अनुशासन सच्ची स्वतंत्रता की आधारशिला है, खासकर डिजिटल युग की जटिलताओं से जूझ रहे युवाओं के लिए एक सकारात्मक संदेश था। उन्होंने तर्क दिया कि आत्म-शासन, जैसा कि शहीद भगत सिंह के अनुशासित कार्यों में उदाहरण मिलता है, सच्ची स्वतंत्रता है।
राम जानकी संस्थान पॉजिटिव ब्रॉडकास्टिंग हाउस (आरजेएस पीबीएच) के संस्थापक व राष्ट्रीय संयोजक उदय कुमार मन्ना के संयोजन व संचालन में दीदेवार जीवन ज्योति के सहयोग से 23 मार्च 2025 को आयोजित 335वें कार्यक्रम में, भारत की स्वतंत्रता के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले शहीद भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को नागपुर की कवयित्री रति चौबे ने अपनी स्वलिखित कविता समर्पित की “रातभर खुली आंखों से ख्यालों में समाधि पे फूल चढ़ाती रही ,पर शहीद ना जागे, ना जागे, ना जागे। अंतरात्मा मेरी रो पड़ी, पर शहीद मुस्कुरा उठे ,एक भेदभरी मुस्कान लिए,एक आह लिये पर नि:शब्द रहे, पर मैं बोल पड़ी ,जागो भगत सिंह तुम जागो ,तुम मृत नहीं जीवित हो , भारत के इतिहास पटल पर अंकित हो”।
आरजेएस पीबीएच के संस्थापक उदय कुमार मन्ना ने कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए सकारात्मक मीडिया को बढ़ावा देने के संगठन के मिशन पर जोर दिया। उन्होंने राष्ट्रीय गौरव पर कवि मैथिली शरण गुप्त की पंक्तियों को उद्धृत किया ” “जिसको ना निज भाषा तथा निज देश का अभिमान है वो नर नहीं निरा पशु, जीवित मृतक समान है।”
आरजेएस पीबीएच की पहल “सकारात्मक भारत- उदय वैश्विक आंदोलन” का परिचय दिया, जिसका उद्देश्य वैश्विक सकारात्मकता फैलाना है। उन्होंने स्वतंत्रता सेनानी व समाजवादी नेता डॉ राम मनोहर लोहिया की जयंती पर कोटि कोटि नमन् किया।
मुख्य वक्ता सुरजीत सिंह दीदेवार ने “आजादी एक अनुशासन है और अनुशासन ही आजादी है” विषय पर विस्तार से बताते हुए कहा, “अनुशासन जो करता है वो आजाद ही होता है और जो आजाद है वो आत्म-अनुशासन के बगैर आजाद नहीं सकता।”
उन्होंने समकालीन चुनौतियों, विशेष रूप से सूचना क्रांति और एआई के दौर में अनुशासन स्वयं पर करें। हम आज की इस टेक्नोलॉजी का उपयोग करें। ये प्रगति हमारे पतन का कारण ना बने। श्री दीदेवार ने संतुलित डिजिटल जुड़ाव की वकालत की, और प्रौद्योगिकी को आधुनिक गुलामी का रूप बनने से रोकने की चेतावनी दी।
दीदेवार ने आत्म-जागरूकता और आत्मनिरीक्षण पर जोर दिया, और अपने विचारों पर महारत हासिल करके “स्वयं का स्वामी” बनने पर बल दिया। दीदेवार के अनुसार, अनुशासन दैनिक दिनचर्या तक फैला हुआ है, यहाँ तक कि समय की पाबंदी भी, जो स्वेच्छा से किए जाने पर दायित्व से स्वतंत्रता में बदल जाती है। उन्होंने जीवन में संतुलन की वकालत की, जिसमें सचेत भोजन और शारीरिक आवश्यकताओं के अनुरूप कार्यों को संरेखित करना शामिल है। उन्होंने श्वास के प्रति जागरूकता को आत्म-अनुशासन की शुरुआती बिंदु के रूप में सुझाया, जो आंतरिक शांति और स्वतंत्रता को बढ़ावा देता है।
प्रश्नोत्तर सत्र के दौरान, विशेष रूप से युवाओं में घटते अनुशासन और नकारात्मक प्रभावों के बारे में चिंताएं उठाई गईं। दीदेवार ने व्यक्तिगत जिम्मेदारी और सामूहिक कार्रवाई पर जोर देकर जवाब दिया, और एक गौरैया द्वारा आग बुझाने के प्रयास के रूपक का उपयोग करते हुए छोटे, अनुशासित प्रयासों के प्रभाव को दर्शाया। उन्होंने नकारात्मकता के बावजूद सकारात्मक सामग्री को लगातार बढ़ावा देने की सलाह दी, और आरजेएस पीबीएच-आरजेएस पाॅजिटिव मीडिया जैसे सकारात्मक मंच और आधुनिक मीडिया, जिसमें एआई भी शामिल है, का उपयोग सकारात्मक संदेश और सफलता की कहानियों को युवाओं तक पहुंचाने का आग्रह किया। उन्होंने नशे की लत से जूझ रहे युवाओं के प्रति करुणा और पुनर्वास की भी वकालत की।
अन्य वक्ताओं, जिनमें साधक ओमप्रकाश, जिन्होंने गीता से अनुशासन को सत्य और नैतिकता से जोड़ा, सुदीप साहू ने भगत सिंह से जुड़े कहानियों को साझा किया। कवयित्री भगवती पंत, जिन्होंने माताओं से शुरू होने वाले गृह-आधारित अनुशासन पर जोर दिया, और इशाक खान, जिन्होंने आत्म-नियंत्रण की कमी के परिणामों पर एक मार्मिक कविता के माध्यम से प्रकाश डाला, ने कार्यक्रम के केंद्रीय विषय को सुदृढ़ किया। आरजेएस युवा टोली के सोनू कुमार और आशीष रंजन ने भी विचार व्यक्त किए और सकारात्मक आंदोलन को दोस्तों तक साझा करने की मंशा व्यक्त की। श्री मन्ना ने वक्ताओं और प्रतिभागियों को धन्यवाद दिया, और सकारात्मक मूल्यों के प्रति आरजेएस पीबीएच की प्रतिबद्धता को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि सकारात्मक मीडिया ,आधुनिक चुनौतियों का सामना करने में व्यक्तिगत और राष्ट्रीय प्रगति के लिए अनुशासित और जिम्मेदार समाज के प्रति प्रतिबद्धता के माध्यम से शहीद दिवस के शहीदों की विरासत का सम्मान करता है। उन्होंने घोषणा की कि आरजेएस पीबीएच,नई दिल्ली के राष्ट्रीय ऑब्जर्वर दीप माथुर विश्व रंगमंच दिवस पर सायं 6 बजे वेबिनार का आयोजन करेंगे।