आरजेएस पीबीएच ने संत कबीर: कर्म और भक्ति का सकारात्मक जीवन पर श्री कबीर मंदिर में किया संवाद

रामजानकी संस्थान पाॅजिटिव ब्राॅडकास्टिंग हाउस (आरजेएस पीबीएच) द्वारा श्रीकबीर मंदिर ईदगाह रोड दिल्ली में राष्ट्र प्रथम,भारत एक परिवार, विश्व एक घर की भावना को बल प्रदान करने के लिये फिजिकल व वर्चुअल बैठक का आयोजन किया ।

वेबीनार में ओपनिंग रिमार्क्स बढ़ोदा,गुजरात से आरजेएस पीबीएच ऑब्जर्वर प्रफुल्ल डी सेठ ने बताया कि कबीर साहब ने 2800 के लगभग दोहा-साखियां की रचना की । बीजक शब्दावली आदि उनकी रचना थी ।श्री कबीर साहब का मंदिर 1947 में पाकिस्तान से विभाजन के पश्चात आये लोगों ने 1958 में किया । मंदिर स्थापना का मकसद कबीर साहब की बातों को जन साधारण तक बताना था । श्रीकबीर मंदिर  के अनुयायी अमेरिका फ्रांस इंग्लैंड और विदेशों के अनेक देशों में फैले हुए हैं । यह मंदिर कबीर पंथियों का प्रमुख स्थल है । जामनगर गुजरात  के प्रेम सागर जगदीश जी महाराज ने कबीर वाणी का सुमधुर गायन कर मंत्रमुग्ध कर दिया। प्रेम सागर जी बहुमुखी प्रतिभा के धनी हैं वो पेंटर, मूर्तिकार,वादक और गायक हैं । सभी ने प्रदर्शनी का अवलोकन किया।वो प्रगति मैदान दिल्ली के ट्रेड फेयर में वसुधैव कुटुम्बकम यूनाइटेड बाई‌‌ ट्रेड की यात्रा और बैठक में शामिल रहे थे।उन्होने कहा कि कबीर साहब ने अंध विश्वास व कुरीतियों पर प्रहार किया और कर्म करते हुए ईश्वर को प्राप्त करने का आह्वान किया।  आरजेएस पीबीएच के संस्थापक उदय मन्ना ने “अमृत काल का सकारात्मक भारत” पुस्तक श्रीकबीर मंदिर की लाइब्रेरी के लिए पदाधिकारियों को भेंट की और कार्यक्रम का सफल संचालन किया। श्री कबीर सतधर्म प्रचारिणी सभा,श्रीकबीर मंदिर के महंत श्रीनंदलाल, प्रधान श्री सुभाष और संचालक श्रीओमप्रकाश ने मंदिर की स्थापना का इतिहास और कबीर साहेब के जीवन और कृतित्व पर प्रकाश डाला।कार्यक्रम में आरजेएस पीबीएच प्रवक्ता कवि अशोक कुमार मलिक, पैनलिस्ट दुर्गादास आजाद,   दूरदर्शन के इसहाक खान, ब्रजकिशोर, सतेंद्र त्यागी, नरेंद्र ,अजय,मनीराम,मोहित चावला और संजय आदि उपस्थित रहे । कार्यक्रम के अंत में श्रीकबीर मंदिर के संचालक श्रीओमप्रकाश ने उपस्थित महानुभावों को अंगवस्त्र व पुस्तकें प्रदान कर सम्मानित किया और विशेष धन्यवाद टेक्नीकल टीम का किया जो वेबिनार यूट्यूब और लाइव प्रसारण में सहयोग करते हैं ।सभी ने पाॅजिटिव मीडिया की सकारात्मक पत्रकारिता को सराहा।