वर्तमान दौड़ती भागती जीवनशैली और बढ़ती स्वास्थ्य चिंताओं के बीच, विश्व नींद दिवस2025 पर आरजेएस पीबीएच (राम जानकी संस्थान पॉजिटिव ब्रॉडकास्टिंग हाउस) के संस्थापक व राष्ट्रीय संयोजक उदय कुमार मन्ना द्वारा 330 वां कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम में चिकित्सा विशेषज्ञों के एक पैनल ने “समग्र स्वास्थ्य” विषय पर केंद्रित इस चर्चा में, आध्यात्मिकता, गुणवत्तापूर्ण नींद और आधुनिक चिकित्सा के साथ आयुर्वेद जैसे पारंपरिक अभ्यासों के सहक्रियात्मक एकीकरण की अपरिहार्य भूमिकाओं पर ज़ोर गया। सह-आयोजक आरजेएस पीबीएच युवा टोली पटना बिहार के प्रभारी साधक डा.ओमप्रकाश, प्रख्यात वरिष्ठ हड्डी रोग सर्जन डॉ. अजीत के सहगल, और चौधरी ब्रह्म प्रकाश आयुर्वेदिक चरक संस्थान,खेड़ा डांबर,नई दिल्ली के उपाधीक्षक डॉ. गौरव फुल ने सामूहिक रूप से इस बात पर ज़ोर दिया कि समग्र स्वास्थ्य मात्र शारीरिक तंदुरुस्ती से परे है, जिसमें मानसिक, भावनात्मक और आध्यात्मिक संतुलन शामिल है। विश्व नींद दिवस 14 मार्च के उपलक्ष्य में आयोजित इस कार्यक्रम में, नींद की गुणवत्ता बढ़ाने और समग्र कल्याण को बढ़ावा देने के लिए व्यावहारिक अंतर्दृष्टि और कार्रवाई योग्य रणनीतियाँ प्रस्तुत की गईं, विशेष रूप से वृद्ध नागरिकों के लिए जो उम्र से संबंधित स्वास्थ्य चुनौतियों से जूझ रहे हैं।
कार्यक्रम की शुरुआत साधक ओमप्रकाश ने कहा कि “आध्यात्मिकता एक स्वस्थ जीवन का प्राथमिक मार्ग है” । विश्व निद्रा दिवस पर सकारात्मक ऊर्जा व शांति के साथ अनिद्रा का समाधान करते हुए कहा कि शुभ निद्रा हेतु सभी दैनिक कर्मों से निवृत होकर शव आसन में आराम देह बिस्तर पर लेटें और आंखें पलकें सहज मुद्रा में बंद रहने दें तथा अंशु मंत्र जाप करें ।नींद आते ही स्वत: मंत्र जाप बंद होगा। साधक ओमप्रकाश ने ‘ओम्’ , ओम् शांति: ,ओम् हरि शयनाय नमः और ओम् नमः शिवाय की अवधारणा को एक सार्वभौमिक सिद्धांत के रूप में प्रस्तुत किया।मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए ध्यान सत्र का आह्वान किया।
वरिष्ठ हड्डी रोग सर्जन डॉ. अजीत के सहगल ने मांसपेशियों को मजबूत बनाने और संतुलन के क्वाड्रिसेप्स व्यायाम को उचित बताया वहीं घरेलू सुरक्षा उपाय और पर्याप्त प्रकाश व्यवस्था की ओर ध्यान दिलाया। उन्होंने नियमित दृष्टि और बोन मिनरल डेंसिटी(बीएमडी) यानि हड्डियों में कैल्शियम और खनिज की जांच सहित विटामिन डी और पर्याप्त प्रोटीन सेवन की सलाह दी।
चौधरी ब्रह्म प्रकाश आयुर्वेदिक चरक संस्थान के उपाधीक्षक डॉ. गौरव फुल ने नींद संबंधी विकारों की वैश्विक महामारी को संबोधित किया, जिसमें दुनिया की 10-30% आबादी और भारत की 13.8-33% आबादी अनिद्रा और संबंधित मुद्दों से पीड़ित होने के चिंताजनक आँकड़ों का हवाला दिया। उन्होंने नींद की कमी के गंभीर स्वास्थ्य परिणामों का विवरण दिया, जो हृदय रोग और मधुमेह से लेकर मानसिक स्वास्थ्य विकारों और कमजोर प्रतिरक्षा के कारक हैं।
उन्होंने कहा कि सोने से एक घंटे पहले डिजिटल डिटॉक्स, जितनी जल्दी रात का भोजन और हल्की चहलकदमी को जरूरी बताया।
दैनिक शरीर की मालिश, विशेष रूप से सोने से पहले पैरों और खोपड़ी पर ध्यान केंद्रित करना, मर्म चिकित्सा स्थपनी मर्म बिंदु (भौंहों के बीच) को लक्षित करना, शिरोधरा चिकित्सा और भ्रामरी प्राणायाम के साथ अश्वगंधा और सारस्वतारिष्ट को संभावित सहायता के रूप में उल्लेख किया, साथ उपयोग से पहले एक आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श करने की सलाह दी।
डॉ. फुल ने समझाया कि नींद में गड़बड़ी, खासकर वृद्ध वयस्कों में, अक्सर वात दोष के असंतुलन से जुड़ी होती है, जो ऊर्जा और गति से संबंधित एक आयुर्वेदिक अवधारणा है, और ज़ोर दिया कि ये प्राकृतिक उपचार संतुलन बहाल करने और पारंपरिक दवाओं के दुष्प्रभावों के बिना आरामदायक नींद को बढ़ावा देने में मदद करते हैं।
नींद, एक प्राकृतिक घटना है, जिसे केवल दवाइयों पर निर्भर रहने के बजाय जीवनशैली समायोजन और समग्र प्रथाओं के माध्यम से सबसे अच्छी तरह से संबोधित किया जाता है।
निष्कर्ष में, आरजेएस पीबीएच कार्यक्रम का मुख्य संदेश व्यक्तियों के लिए आधुनिक और पारंपरिक दोनों प्रणालियों से जीवनशैली संशोधनों, आध्यात्मिक प्रथाओं और सूचित स्वास्थ्य सेवा विकल्पों को सक्रिय रूप से अपनाने, आधुनिक जीवन की जटिलताओं को नेविगेट करने, नींद की गुणवत्ता में सुधार करने और एक स्वस्थ, अधिक संतुलित और पूर्ण अस्तित्व को बढ़ावा देने के लिए आह्वान था। कार्यक्रम में सुरजीत सिंह दीदेवार, अशोक कुमार मलिक, स्वीटी पॉल, बिन्दा मन्ना,सुमन कुमारी ,इसहाक खान,मयंक, वैभव भारद्वाज, दुर्गा दास आजाद, डा. मुन्नी कुमारी, सुनील कुमार सिंह, आकांक्षा,संदीप साहू दीपांशु ,सुधीर गुप्ता और दिव्यम आदि उपस्थित रहे ।