Talented players at tender age should be given proper opportunity: Anurag Thakur


छोटी उम्र से ही प्रतिभाशाली खिलाड़ियों को भरपूर मौका देना होगा : अनुराग ठाकुर

अंडर-16, अंडर-19 पंजाब राज्य की क्रिकेट टीम कप्तानी करने के उपरांत, मात्र 25 वर्ष की आयु में ही हिमाचल क्रिकेट संघ की बागडौर संभाल लेना तथा भारतीय क्रिकेट बोर्ड के संयुक्त सचिव पद पर बखूबी ज़िम्मेदारी निभाना अपने आप में बड़े गौरव की बात है। जी हाँ, आपने सही पहचाना-अनुराग सिंह ठाकुर। पिछले दिनों हमारे संपादक श्री एस. एस. डोगरा ने युवा खेल प्रसाशक अनुराग सिंह ठाकुर से खेल विषय पर मुलाक़ात की। पेश है बातचीत के मुख्य अंश:

S.S.Dogra with Sh.Anurag Thakur
बचपन में खेल से जुड़ाव का खुलासा करें?
मैं बचपन से ही खेलों में विशेष रुचि रखता था जो आज भी कायम है। क्रिकेट में अच्छा खेलने के कारण ही पंजाब राज्य की क्रिकेट टीम की अंडर-16, अंडर-19 की कप्तानी भी की। हिमाचल में उस समय क्रिकेट के अलावा अन्य खेलों के अभ्यास तक के लिए खेल के मैदान थे ही नहीं। उस दयनीय स्थिति पर मुझे बड़ा दुख होता था। इसीलिए सैकड़ों प्रतिभाशाली खिलाड़ियों को राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चमकने का मौका ही नहीं मिल पाया।

आपने हिमाचल क्रिकेट संघ की बागडौर कब संभाली, उस समय राज्य में क्रिकेट की कैसी स्थिति थी? मैंने हिमाचल क्रिकेट संघ की बागडौर सन 2000 में संभाली, उस समय राज्य संघ की हालत बहुत ही खस्ता थी। हिमाचल का कोई भी क्रिकेट खिलाड़ी 2000 से पहले तक भारत के लिए नहीं खेला था। 

God of Cricket-Sachin Tendulkar with Sh.Anurag Thakur @ Dharmshala Cricket Ground,H.P.
आपने बागडौर संभालने के बाद क्या कुछ विशेष किया?
आज राज्य के प्रतेयक जिले में ऊना, नादौन-हमीरपुर, शिमला, नूरपुर, स्टेडियम स्थापित किए जा रहें हैं। जबकि मंडी, कुल्लू, चम्बा, सोलान, सिरमौर में क्रिकेट अकादमी चल रही हैं। धर्मशाला में बना क्रिकेट स्टेडियम पूरे विश्व के सबसे खूबसूरत स्टेडियम की सर्वोच्च श्रेणी में आँका जाता है।

चुनिन्दा खिलाड़ियों के नाम बताएं, जो क्रिकेट के खेल में हिमाचल का नाम रोशन कर रहें हैं?
पंकज जसवाल अंडर -19, प्रशान्त चोपड़ा अंडर-23, अंकुश बेन्स अंडर-19, पारस डोगरा-इंडिया ए, विक्रमजीत, ऋषि धवन तथा शिमला के छोटे से गाँव से सुषमा वर्मा ने भारतीय महिला क्रिकेट टीम का प्रतिनिधित्व कर राज्य का क्रिकेट के खेल में खूब नाम किया। 

Sh.Anurag Thakur-Chief Guest during a felicitation ceremony of Ankush Bains (U-19 Indian Cricketer) from H.P. @ Mount Abu School, Rohini.
क्या आपने कभी सोचा भी था कि आप किसी दिन देश के प्रमुख खेल संघो के सर्वोच्च पदभार संभालेंगे?
अपने देश के लिए खेलना चाहता था वह तो पूरा नहीं हुआ। मुझे जब भी जो भी ज़िम्मेदारी मिली उसे बखूबी निभाने का जज्बा रहा और हमेशा सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ्ने के मूल मंत्र का अनुसरण किया। आज अपने राज्य व देश के नए उभरते हुए खिलाड़ियों को हर संभव खेल सुविधाएँ उपलब्ध कराकर उनका उम्दा प्रदर्शन देखकर बहुत सुकून मिलता है।

कुछ खेल प्रसाशकों के नाम बताएं, जिन्होने क्रिकेट को बढ़ावा देने में विशेष योगदान दिया?
डीडीसीए के लिए श्री अरुण जेटली, पंजाब क्रिकेट संघ के लिए श्री आई. एस. बिंद्रा, आंध्रा के श्री सुब्बाराव, मुंबई व भारतीय क्रिकेट बोर्ड के लिए श्री शरद पवार के बहुमूल्य योगदान के लिए सदा याद किया जाएगा। चौटाला जी ने भी खेलों के लिए बहुत कुछ किया। उन्होने अपने-अपने कार्यकाल के दौरान क्रिकेट संघ में सेवाएँ प्रदान कर राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर की खेल सुविधा मुहैया करवाकर खिलाड़ियों को देश का नाम गर्व से ऊंचा करने में अहम भूमिका निभाई है।

बतौर राज्य के क्रिकेट संघ के प्रमुख, आप किस तरह खेलों का उद्धार करना चाहते हैं?
मैं अपने राज्य को पर्यटन, क्रिकेट व अन्य खेलों के माध्यम से विश्व स्तर पर लाना चाहता हूँ ताकि राज्य में ही युवाओं को रोजगार के अपार अवसर प्राप्त हो सकें। इसी सपने को पूरा करने के लिए पूरे उत्साह से प्रयासरत हूँ।

आज हमारे पड़ोसी देश चीन ने खेलों में खूब तरक्की की है, लेकिन भारत की खेलों में स्थिति दुखद क्यों बनी हुई है?
इसके लिए सीधे तौर पर हमारी सरकार जिम्मेदार है। आज अनेक खेल संघो के दो-दो संघ बने हुए हैं और पीड़ा का विषय ये है कि कोई भी गंभीरतापूर्वक कार्य ही नहीं करना चाहता है। राष्ट्रीय खेल हॉकी में लगातार चार बार ओलिम्पिक चैंपियन होने के बावजूद आज हम एशियाई खेलों में भी कोई मेडल नहीं जीत पाते हैं। हमें अन्य उन सभी देशों की खेल नीतियों व उनके खिलाड़ियों को मुहैया स्तरीय मैदान, प्रशिक्षिक, खुराक, प्रतियोगिता में हिस्सा लेने वाले प्रदान अवसरों को अपनाना चाहिए। खेल में राजनीति का कोई महत्व नहीं होना चाहिए।

बतौर भारतीय ओलिम्पिक संघ के उपाध्यक्ष, भारतीय खेलों को इस दयनीय स्थिति से निकालने के लिए आप कुछ सुझाव बताएं?
प्रतिभाशाली खिलाड़ियों के लिए छोटी उम्र में ही अपने कौशल को निखारने के लिए सभी तरह के अवसर प्रदान करना ही हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए। परंतु इसके लिए हमें स्कूली स्तर से ही विशेष नीतियाँ व गंभीरतापूर्वक कदम उठाने होंगे। यदि इस तरह के प्रयास किए जाएँ तो भारत देश का तिरंगा भी तमाम विश्व के अनेक खेल प्रतियोगिताओं में गर्व से लहरने लगा।