15 मार्च 2019 से सीबीएसई की परीक्षा प्रारंभ होने जा रही हैं इसको देखते हुए अध्यात्म योग संस्थान ने परीक्षा संबंधी तनाव को दूर करने के लिए डीडीए पार्क सेक्टर 3 द्वारका में निशुल्क योग शिविर का आयोजन किया गया जिसमें संस्था के अध्यक्ष डॉ. रमेश कुमार योगाचार्य ने छात्रों को संबोधित करते हुए बताया कि बच्चों में तनाव का होना स्वभाविक है कुछ सीमा तक चिंता का रहना अच्छा भी है क्योंकि इससे बच्चों में परिस्थितियों से मुकाबला करने का सामर्थ्य उत्पन्न होता है। यदि चिंता नहीं होगी तो बच्चे एकाग्रता से परीक्षा की तैयारी नहीं कर पाएंगे , परंतु जब यह सीमा से अधिक बढ़ जाती है तो मानसिक व शारीरिक हानि होती है इसे एकाग्रता भंग हो जाती है निर्णय लेने में असमर्थ होता है छात्र अशांत रहता है स्वभाव चिड़चिड़ा हो जाता है जिसके कारण पढ़ाई में मन नहीं लगता ।
इस कार्यक्रम में योगाचार्य मनमोहन गुप्ता जी ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि धैर्य पूर्वक और एकाग्रता से परीक्षा को संपन्न करें जल्दबाजी में पेपर ना करें प्रश्न पत्र को पूरा पढ़ें और जो सरल है उसे पहले करें घबराए नहीं चिंता के कारण शरीर पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव चिंता से शरीर में अनेक परिवर्तन होते हैं नकारात्मक सोच व मन का विचलित होना, उदासीन होना, नींद न आना, कोष्ठ बद्धता होना, हृदय की धड़कन बढ़ना, रक्तचाप में वृद्धि होना, श्वास – प्रश्वास में तेजी आना, मांसपेशियों में अकड़न भय व डर से शरीर व हाथों में कंपन हो जाना, भूख न लगना ,पढ़ा हुआ याद किया हुआ परीक्षा में भूल जाना इत्यादि अनेक दुष्परिणाम सामने आते हैं
तनाव मुक्ति के लिए योगाभ्यास
मनमोहन गुप्ता ने बताया की परीक्षा की तैयारियों में जुटे विद्यार्थी यदि विषय के साथ साथ कुछ समय योगाभ्यास करें तो परीक्षा पूर्व होने वाले तनाव से मुक्ति प्राप्त की जा सकती है l विद्यार्थी को अत्याधिक कठिन योगाभ्यास की आवश्यकता नहीं है अपितु कुछ सरल आसन एवं प्राणायाम और ध्यान की सहायता से तनाव दूर किया जा सकता है।
आसन- पद्मासन भद्रासन शवासन मकरासन ताड़ासन त्रिकोणासन भुजंग आसन प्राणायाम- भस्त्रिका प्राणायाम अनुलोम विलोम प्राणायाम भ्रमरी प्राणायाम कपालभाती, ओम का जाप, गायत्री मंत्र का जाप ध्यान- ध्यान के द्वारा अपने आप का निरीक्षण करना, परमात्मा का ध्यान करना, ओम का ध्यान करना।
लाभ – योग करने से मन शांत हो जाता है शरीर में चेतना बनी रहती है मस्तिष्क में रक्त संचार बढ़ता है उस से एकाग्रता बढ़ती है विभिन्न यादाश्त करने की क्षमता का विकास होता है।, रक्त परीक्षण करता है तथा शरीर के वक्त विजातीय द्रव्य को निष्कासन होता है नकारात्मक चिंतन में परिवर्तन होकर सकारात्मक विचार बढ़ने लगते हैं आनंद उत्सव है निर्भरता की प्राप्ति होती है