पवित्रता तथा सरलता की प्रतिमूर्ति श्री माँ सारदा देवी नित्यलीलामयी प्रति प्राणा,सहधर्मिणी के अतिरिक्त सेवापरा कन्या,स्नेहशीला बहिन,शिष्यवत्सला,गुरु, विशेषकर करुणामयी मुक्तिदायिनी माँ का भी आदर्श पाया जाता है जो असंख्य रूपों में प्रस्फुटित हुआ |
कहीं तो अनेको पापी-तापी शरणागत बद्ध और मुमुक्षु जीवों में भागवतरसा स्वादन की रूचि पैदा करके अभय और मुक्ति का द्वार खोलने वाली है |
कहीं अहैतुकी कृपावश करुणाविगलित हो कर जन्म जन्मान्तरो से संसार ज्वाला से दग्ध जीवों का उद्धार करने वाली क्षमारूपा महातपस्विनी गुरु है |
एक शिष्या को उपदेश देते हुए कहा – ” एक बात कहती हूँ यदि शांति चाहो बेटी तो किसी का दोष मत देखना दोष देखना अपना – संसार को अपना बना लेना सीखो कोई पराया नहीं है – बेटी ये सारी दुनिया तुम्हारी है ” |
सारदा माँ तेरे चरणकमल में लीन हो जाए मन ……………….