चन्द्रकांत शर्मा
योग के जरिए आप घबराहट से निजात पा सकते हैं। यह कहना है सेलीब्रेटी फिटनेस ट्रेनर व योग गुरू आचार्य नीरज का। आचार्य नीरज कहा है कि ज्यादा दबाव वाले हालात में, पेट में कुलबुलाहट होना या बैचैनी महसूस होना, शरीर की सामान्य प्रतिक्रिया है। घबराहट असल में ‘जूझो या सटक लो’ प्रतिक्रिया का एक हिस्सा है। मानव जाति के विकास के साथ यह प्रतिक्रिया भी विकसित होती गई है। हमारे पूर्वज शिकारी थे, लेकिन वे भी कभी शिकार बन जाया करते थे। उनकी सहजवृत्ति उन्हें आने वाले हमले की स्थिति में लड़ने या भागने के लिए तैयार रखती थी। घबराहट से खून में एड्रेनेलिन का प्रवाह बढ़ जाता था और इससे वे जागरूक एवं जिंदा रहते थे।
उन्होंने बताया कि तकनीकी तौर पर, घबराहट को हम हम आने वाली घटना जैसे कि परीक्षा, इंटरव्यू, शादी, प्रेजेंटेशन या किसी गेम के वक्त लगने वाले डर के रूप में समझ सकते हैं। यह डर लोगों के बीच बात करते समय भी लग सकता है। आज के तनाव भरे वातावरण में, अधिकांश युवाओं को बेवजह डर लगता रहता है। उनके अर्धचेतन मन में कुछ-न-कुछ चलता रहता है और यह अहसास तनाव भरे हालात खत्म होने के बाद भी बना रहता है।
आचार्य नीरज ने बताया कि घबराहट का व्यक्ति के शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य पर असर हो सकता है, इसलिए यह जरूरी हो जाता है कि तनाव दूर करने वाली यौगिक विधियां उपयोग में लाई जाएं ताकि पेट की कुलबुलाहट शांत की जा सके। सबसे पहले यह समझना जरूरी है कि ये घबराहट असली नहीं होती और यह बहुत ज्यादा विचार करने का नतीजा ही हैं। हमें विचारों एवं भावनाओं के बीच के संबंध को समझना होगा, और यह भी समझना होगा कि विचारों एवं भावनाओं से हमारे व्यवहार पर क्या असर होता है।
उन्होंने बताया कि किसी भी काम को शुरू करने से पहले तथा खत्म होने पर गहरी सांस लें और खुद से मन ही मन यह कहें, “मैं पूरी तरह से शानदार, जीवंत और शांत अनुभव कर रहा हूं!” यह कहने के बाद अपने ऊर्जास्तर में आए बदलाव को महसूस करें। आप ध्यानमय होने का अभ्यास कर सकते हैं क्योंकि ध्यान से मस्तिष्क का ग्रे मैटर बढ़ता है। इससे यकीनन शरीर को तनाव के निचले स्तर पर बनाए रखने में मदद मिल सकती है।
उन्होंने इस बात को एक उदाहरण देते हुए समझाया कि, ‘आइए, शुरुआत करते हैं कुर्सी या जमीन पर आराम से बैठने के साथ। अपने हाथों को घुटनों पर रखें, कंधों को ढीला छोड़ें, सीने को बाहर खींचे और पेट कोढीला रखें। अब आंखें बंद करें और सांस पर ध्यान देते हुए इससे अपना जुड़ाव महसूस करें। ध्यान रखें, सांस को नियंत्रित करने की कोशिश आपको नहीं करनी है। जैसे सांस अपने-आप आत-जा रही है, उसी परध्यान दें।’ एक दूसरा तरीका और है घबराहट से निजात पाने का। जब कभी आपका सामना चिंता भरे विचारों से हो जाए, तो एक क्षण के लिए कल्पना करें कि आप इन हालात को बेहद सौम्यता, सरलता एवंस्पष्टता से संभाल रहे हैं। अपनी वर्तमान मानसिक स्थिति पर ध्यान न दें। केवल इस अनुभव पर ध्यान केंद्रित करें कि तूफान में भी आपकी कश्ती आसानी से आगे बढ़ रही है। योग गुरू ने बताया कि किसी भीअहम भाषण या घटना के पहले एक-दो आसान योगासन करने से घबराहट आसानी से कम हो सकती है। लेकिन याद रखें, ये केवल विधियां नहीं हैं बल्कि जीवन जीने का तरीका हैं। यदि आप इसे अपने रोजमर्रा केजीवन में उतार लें तो आप कभी तनाव का शिकार नहीं होंगे।